Drashtikon - 2 in Hindi Love Stories by Radha books and stories PDF | दृष्टिकोण - 2

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दृष्टिकोण - 2

अगले दिन सुबह
श्वेता और काव्या सो रहे थे तभी काव्या को उसकी मां की आवाज आती है - काव्या बेटा उठो, सुबह हो गई है ।
काव्या अपनी आंखे खोलती है वो अपने कमरे मे सोई हुई थी एक छोटी सी मुस्कान के साथ उठ खड़ी होती हैं और पास ही सो रही श्वेता को कंबल ओढ़ा कर कमरे से मां मां करते हुए बाहर निकल जाती हैं कुछ देर बाद श्वेता उठती हैं और अपने पास सो रही काव्या को ढूंढने लगती हैं लेकिन वहां कोई नहीं था श्वेता इधर उधर देखती है उसे कोई नहीं दिखता है श्वेता उठ कर आवाज लगाते हुए पूरे घर में ढूंढने लगती हैं तभी उसे किसी के सिसकने की आवाज आती हैं वो उधर जाती हैं काव्या अपने मम्मी पापा के कमरे में थी और बिस्तर के किनारे सिकुड़ कर बैठी हुई थीं और रो रही थी श्वेता पास जाती हैं काव्या ऊपर देखती है काव्या की आंखे लगातार रोने से लाल हो गई थी वह आंखो को पोंछते हुए पूछती हैं - मम्मी पापा आयेंगे ना??
श्वेता भावुक हो जाती हैं और आंखे भर आती हैं और काव्या को जोर से गले लगा लेती हैं श्वेता का जवाब ना सुन काव्या जोर जोर से रोने लगती है जिससे श्वेता भी रोने लगती हैं
काव्या ( रोते हुए ) - दीदी, हम यही रहेंगे हमेशा।।
श्वेता - ठीक है।
दोनो गले लग कुछ देर बैठे रहते हैं

1 घंटे बाद

दादी मीना से पूछती हैं - दोनो बच्चियां कहां गई है सुबह से दिख नही रही है आवाज लगा रही हूं जो भी नहीं बोल रही है??
मीना - आती ही होगी
उतने में दोनो दरवाजे के पास आकर खड़ी हो जाती हैं उन्हे देख दादी कहती हैं - इतनी सुबह सुबह तुम दोनो कहां गई थी ?
काव्या - अपने घर।
दादी ( आश्चर्य से ) - अपने घर ??
काव्या - दादी हम अपने घर पर ही रहेंगे मम्मी पापा के पास।
दादी श्वेता की ओर देखती है श्वेता पलक झपकते हुए हां में गर्दन हिला देती हैं तभी मीना कहती हैं- तुम दोनो अकेले वहां केसे रहोगी ?? ( उनके चहरे पर तनाव और पछतावे की भावना थी जिसे छुपाने की कोशिश कर रही थी )
श्वेता - चाची, हम पहले भी वही रहते थे तो डर नही लगता हैं रह लेंगे और काव्या की इच्छा भी वही रहने की है।
मीना - तुम्हारी यही इच्छा है तो ठीक है लेकिन दोनो समय खाना खाने यही आ जाना ।
श्वेता - चाची इसकी जरूरत नही है मेरे पास अभी कुछ पैसे है और बाद में पार्ट टाइम जॉब कर लूंगी।
दादी - तुम कैसी बाते कर रही हो।
श्वेता - दादी हम वही तो बड़े हुए है तो आप बेफिक्र रहो।
दादी - हमसे कोई शिकायत हो तो माफ कर दो पर यही रहो
श्वेता - काव्या की इच्छा वही की है।
दादी - ठीक है अपना ख्याल रखना।
श्वेता और काव्या ऊपर अपने रूम में जाती है और समान बांध कर नीचे लाने लगती है चाची और दादी भी मदद करवाती हैं यहां से उनका घर लगभग 100 मीटर दूर ही था । चाची एक बैग को स्कूटी पर रख दूसरे घर ले जाने लगती है तभी अवि आता है मन ही मन खुश होते हुए मजाक में कहता है - चाची , ये क्या कर रही हो इस उम्र में घर छोड़ कर कहां जा रही हो ??
चाची - तेरे घर !
अवि के चेहरे की खुशी अचानक गायब हो जाती हैं और चौकते हुए कहता है - क्या चाची आप भी ना, मेरी शिकायत मेरी मम्मी से करने जा रही हो आपको तो पता ही है की मैं तो आपसे मजाक करता हूं।
वैसे ये तो ठीक है लेकिन बोरिया बिस्तर बांध कर कहा जा रही हो।
चाची - कह रही हूं ना ,तेरे घर।
अवि ( नकली गुस्से से) - चाची मजाक मत करो, हमारे घर में आपके रहने के लिए जगह नहीं है यही रहो आप ।
चाची - अरे ! पागल बुद्धू , मैं कही नही जा रही श्वेता और काव्या अपने घर रहेगी जहां पहले रहते थे।
अवि - पर वो वहा केसे रहेगी ??
चाची - काव्या जिद कर रही है उसे वही रहना है।
अवि ( गुस्से में ) - आपने ही कुछ कहां होगा ??
चाची को श्वेता और खुद की रात की बात याद आती हैं लेकिन कुछ सोच कर कहती है - शायद !! लेकिन जो होता है अच्छे के लिए ही होता है।
अवि - अब आप ऐसी बाते मत करो।
अवि अचानक से खुश होते हुए कहता है - चाची आप बिल्कुल बेफिक्र रहो मेरा घर दोनो घरों के बीच में ही है मै उसका पूरा ध्यान रखूंगा।
चाची - ओय हेल्लो ! सिर्फ ध्यान रखना हैं उन्हे परेशान नही करना है और कोई प्रोब्लम हो जाए तो सीधा हमे बताना हैं इसके अलावा उनसे दूर रहना।
अवि - चाची, आप थोड़ा टेंशन में दिख रही हो
चाची - नही हु।
अवि - तो इतना पत्थर दिल क्यू बनी रहती हो।
दादी और श्वेता सारा सामान बांध कर लाती है उसके हाथ में भी समान देख अवि कहता है - आप समान यही रखो मैं अभी बाइक लेके आता हु उसमे सारा सामान पहुंचा दूंगा।
चाची - रास्ते में तो नहीं गिरा देगा समान ??
अवि - बिल्कुल नहीं।
श्वेता उसे देख मुस्कुरा देती हैं क्युकी उसे पता था कि अवि को बहुत अच्छी बाइक चलानी आती है वो तो बस चाची को परेशान करता है
श्वेता की मुस्कुराहट देख अवि के चेहरे पर भी स्माइल आ जाती है और उसके चेहरे से नज़रे नही हटा पता है ।
चाची जोर से आवाज लगाती हैं - अब बाइक ला ना , कहां खो गया।
अवि अचानक से होश में आते हुए - हां चाची अभी लाता हूं।

कुछ देर में

सभी श्वेता के घर के बाहर खड़े हुए थे श्वेता दरवाजा खोलती है अवि भी उसके पीछे अंदर आता है चारो तरफ देख कर कहता है - यहां कितनी धूल मिट्टी है मकड़ी के जाले और चूहे घूम रहे थे सफाई करनी पड़ेगी।
तभी अवि को तरकीब आती हैं और जेब से फोन निकाल कर कॉल करता है - हैलो नेहा,
नेहा - क्या है अवि, इतनी सुबह फोन क्यों किया ??
अवि - जल्दी श्वेता के पुराने घर पर आ और ममता को भी लेती आना ।
नेहा - क्यो ?
अवि - आ ना, फालतू सवाल मत कर !
नेहा - खडूस, आती हूं।
2-3 मिनट में दोनो आ जाती हैं उनका घर भी उसी मोहल्ले में था और श्वेत की अच्छी दोस्त है।
अवि - आ गई हो, अब सफाई करो।
नेहा - क्यो??
अवि - क्योंकि आज से छुटकी और श्वेता यही रहेंगी और तुम दोनो सफाई करो।
श्वेता - हां हम यही रहेंगे और ये तो मजाक कर रहा है सफाई के लिए नही बुलाया है।ये तो पागल है।
अवि - पागल नही हूं मै। और तुम दोनो को सफाई के लिए ही बुलाया है।
नेहा - कर लेंगे सफाई बस ।
अवि - तो शुरू करो तब तक मैं और श्वेता कॉफी पीकर आते हैं।
काव्या - और मै भी।
अवि (काव्या के पास जाकर )- हां छुटकी भी , हम तीनो छोटी सी फैमिली कॉफी डेट पर ।
श्वेता - कोई कही नही जायेगा हम सब साथ में सफाई करेंगे।
चाची की तरफ देख - चाची आप जाइए , घर पर ही बहुत काम होगा यहां हम कर लेंगे।
चाची - ठीक है आराम से करना।
चाची और दादी दोनो चले जाते है।
चारो मिल कर घर की सफाई शुरू करते हैं काव्या भी अपने छोटे छोटे हाथो मदद करती हैं। वहां 1 रसोई, 2 कमरे और 1 हॉल था कमरे में सफाई करते हुए अवि को फर्श पर गिरा हुआ कुछ दिखाई देता है वह उसे उठाता है वो श्वेता की बचपन की फोटो थी अवि उसे देख मुस्कुराने लगता हैं और चारो तरफ देखता है सब अपना अपना काम कर रहे थे अवि जल्दी से फोटो को जेब में रख लेता है तभी श्वेता देख लेती हैं - क्या हुआ ??
अवि - कुछ नहीं ??
श्वेता - तो वहां क्या कर रहे हो??
अवि - खजाना मिल गया।
श्वेता - अच्छा ! फिर तो अपने पास ही रखो।
अवि ( खुश होते हुए ) - ओके !!!
कुछ देर में सारी सफाई होने वाली होती हैं अवि को कॉल आता है। अवि फोन उठाता है - हेल्लो !
उधर से आवाज आती हैं - तूम अवि हो ना, करन का दोस्त।
अवि - जी अंकल जी।
अंकल जी - करन को क्या हो गया है कुछ दिनो से न तो कुछ बोलता है ना खाना खाता है पूरे दिन कमरे में बैठा रहता है उसके दूसरे दोस्तो को भी बुलाया है लेकिन कुछ नही बोल रहा।
अवि - अंकल जी, आपको एक बात बताऊं ??
अंकल जी - हां बताओ।
अवि - आपके बेटे का किसी लड़की ने दिल तोड़ दिया है ये उसी का असर है कुछ दिनो मे ठीक हो जाएगा आप आराम से चाय पीजिए। ( अवि ने बिना हिचकिचाहट से इतनी आसानी से बोल दिया जैसे कोई बधाई दे रहा हो )
अंकल जी - मुझे तो किसी ने नहीं बताया।
अवि - मै आता हु।
अंकल जी - ठीक है।

क्रमश: ..........