Darinde - 1 in Hindi Thriller by roma books and stories PDF | दरिंदें - 1

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दरिंदें - 1

दरिंदें ( 1 )
पूरा महानगर आज एकदम सुनसान है , वातावरण में एक अजीब सा डर मौजूद है , जिसके कारण सभी लोग अपने - अपने घरों में दुबक कर बैठे हैं ।

शहर का एक बड़ा रिहायशी इलाका, जहाँ बहुत सारे छोटे - छोटे खोलीनुमा पक्के मकान बने हुए हैं , वैसे तो वह एक भीड़ भाड़ वाला इलाका था जहां लगभग रात के 12 बजे तक चहल पहल रहती थी लेकिन आज वहाँ एक परिंदा भी पर नहीं मार रहा था।

धीरे - धीरे कदमों से एक व्यक्ति उस इलाके में प्रवेश करता है, उस व्यक्ति ने काले रंग के लेदर के कपड़े पहने हुए थे जो कि काफी कीमती लग रहे थे , उसके बाल एक सलीके से कटे हुए थे, उसकी त्वचा अप्राकृतिक ढंग से सफेद लग रही थी, उसकी आंखों की पुतलियां भी सफेद थी, उसके चेहरे और कपड़ों पर जगह जगह सूखे खून के धब्बे थे ,उसके शरीर पर जगह जगह घाव थे, उनमें से कुछ घाव सड़ चुके थे और कुछ घाव सूख कर मृत त्वचा में बदल गए थे, चलते समय उसके मुंह से " गर्ररररररररररर...... हुहहहहहहहहहह........ जैसी कुछ भयानक आवाजें आ रही थी ।

उन्हीं में से एक खोली के अंदर दरवाजे खिड़की लगा कर एक 8-10 साल की बच्ची और एक 30-35 साल की महिला बैठे हुए हैं ।

वह एक कमरे की एक छोटी सी खोली थी, उस खोली की दीवारों पर हल्का पीला पेंट किया हुआ था जो कि जगह जगह से उखड़ा हुआ था , उसमें बाएं तरफ एक छोटी सी स्लेब लगाई हुई थी, जिसके ऊपर एक गैस स्टोव रखा हुआ था , उसी स्लेब के बगल में एक छोटी सी स्लेब और थी जिसपर कुछ तेल मसालों के डिब्बे रखे हुए थे , उसी स्टोव के नीचे एक सिलेंडर रखा हुआ था , सिलेंडर के बगल में ही बहुत से बर्तन रखे हुए थे । उस खोली में पीछे की दीवार पर कुछ कीलें लगाई हुई थी जिसपर कुछ कपड़े टंगे हुए थे। उस खोली में दाईं तरफ एक लकड़ी की खिड़की थी , उस खिड़की से सटकर ही एक लकड़ी का पलंग लगाया हुआ था जिसपर वह बच्ची बैठकर उसी खिड़की के एक छेद से बाहर झांक रही थी ।

" मां...... बाहर देखो...... वह मशहूर एक्टर विनय दिवाकर....एक बार उनसे मिल आएं? " उस 8-10 साल की बच्ची ने खिड़की के एक छोटे से छेद से झांककर फुस्फुसाते हुए कहा।

" चुप कर बेटी..... अब वह कोई फिल्मी सितारा नहीं बल्कि एक वहशी है वहशी। " उस 30-35 साल की महिला ने फुस्फुसाते हुए कहा ।

" लेकिन मां..... "

"शशश्...... चुप कर अब.... अगर उसने सुन लिया तो मारे जाएंगे। " उसकी माँ ने उसे चुप कराते हुए कहा।

" काश कैसे भी करके उनसे मिल आती..... बाद में तो पता नहीं ऐसा मौका मिलेगा भी या नहीं ।" उस बच्ची ने मन ही मन सोचा।

फिर वह बच्ची उठी और दरवाज़े की तरफ जाने लगी , उसने अपना हाथ दरवाजे की कुंडी पर बढ़ाया तभी उसकी माँ ने उसका हाथ पकड़ लिया और पूछा " क्या करने जा रही थी तू? "

" मां ऐसा मौका दोबारा पता नहीं कब मिलेगा? "

" बेटा वो मार डालेगा हम सबको.....बात को समझ ।" उस बच्ची की मां ने कहा लेकिन इस दौरान वह दोनों यह भूल ही गए कि उनके खोली के बाहर ही वह अजीब सा शख्स मौजूद था, जिसने शायद उनकी बातें सुन ली थी।

"गर्ररररररररर........हुहहहहहहहह....... " की भयानक आवाज वातावरण में पहले से अधिक तेज गूंजनें लगी।

वह आवाज अब उन माँ बेटी की खोली के ठीक बाहर से आ रही थी, उस आवाज को सुनकर वे मां बेटी एकदम सिहर उठी और बिना आवाज किए दरवाज़े से सटकर खड़ी हो गई ।

उसकी माँ ने अपना एक हाथ अपने मुंह पर रखा और दूसरा हाथ अपनी बेटी के मुंह पर , ताकि वह कोई आवाज ना निकाले।

लेकिन उन दोनों ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया कि उस बच्ची ने दरवाजे की कुंडी खोल दी थी।

उस अजीब से दिखने वाले शख्स ने दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया जिससे वह थोड़ा सा खुल गया लेकिन दरवाजे के ठीक पीछे ही वह मां बेटी खड़े थे इसीलिए वह दरवाजा पूरा नहीं खुला , लेकिन उस शख्स ने उन दोनों को देख लिया था ।

वह शख्स अब भयानक तरीके से उन माँ बेटी को घूरते हुए दरवाजा खोलने की कोशिश करने लगा ।

उन मां बेटी ने अपना पूरा जोर लगाकर जैसे तैसे वह दरवाजा बंद किया , लेकिन वह शख्स किसी जानवर की तरह बेतहाशा दरवाजा खोलने की कोशिश करने लगा ।

अब वह मां बेटी बुरी तरह घबरा गए थे , लेकिन कुछ ही समय बाद उस शख्स ने दरवाजा पीटना बंद कर दिया और आगे की तरफ बढ़ गया ।

खिड़की के उसी छेद से उस बच्ची की मां ने बाहर की ओर झांका तो पाया कि वह शख्स उनकी खोली से दूर जा रहा था , जिसे देखकर उसने राहत की सांस ली ।

उसने अपनी निगाहें खिड़की से हटाई और ऊपर वाले का शुक्रिया किया लेकिन अगले ही पल किसी के चीखने की आवाज से वातावरण की शांति दोबारा भंग हो गई।

वह आवाज सुनकर उस महिला ने खिड़की के उस छोटे से छेद से बाहर छांका तो उसके रौंगटे खड़े हो गए क्योंकि बाहर पीली शर्ट और नीली जींस पहने एक व्यक्ति भाग रहा था, उसके चेहरे पर डर के भाव साफ नजर आ रहे थे , इस दौरान वह अजीब सा शख्स भी अजीब तरह से चिल्लाते हुए उसके पीछे भाग रहा था ।

" अरे प्रशांत भाई.... " उस व्यक्ति को देखकर उस महिला के मुंह से अकस्मात ही निकल पड़ा।

कुछ ही देर में पीली शर्ट वाला व्यक्ति एक ईंट से टकराकर लड़खड़ाकर नीचे गिर पड़ा , उस व्यक्ति ने बचने के लिए जल्दी से पलटकर उठने की कोशिश की लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी , क्योंकि वह अजीब सा शख्स अब उसके ठीक ऊपर था , उस शख्स का सामना करने के लिए उस व्यक्ति ने अपने दोनों हाथ आगे किए लेकिन उस अजीब से शख्स ने उसके एक हाथ को बुरी तरह जकड़कर उसकी दो उंगलियों को अपने दांतों से बुरी तरह से खींचकर हथेली से अलग कर दिया ।

"आऽऽऽऽऽऽह....."वह व्यक्ति बुरी तरह से चीखा , अब उसकी दो उंगलियां चबाते हुए वह शख्स उसकी छाती पर चढ़ गया , उस नीचे पड़े व्यक्ति के हाथ में से झर झर खून बह रहा था लेकिन उसे इस पर ध्यान देने का मौका ही नहीं मिला क्योंकि वह शख्स अब अपना मुँह खोलकर उठा और अपने दांत उसकी दाहिनी आंख में गड़ा दिए।

"आऽऽऽऽऽह......" उस व्यक्ति की चीख से पूरा वातावरण गूंज उठा।

वह जमीन पर पड़ा व्यक्ति अपने हाथ पैर छटपटा रहा था लेकिन तब तक उस अजीब से शख्स ने उसकी एक आंख को साॅकेट से बाहर खींच लिया ।

अब इससे पहले कि वह उसे कुछ और नुकसान पहुंचाता कुछ लोग अपने घरों से बाहर निकलकर उस अजीब से दिखने वाले शख्स को पत्थरों से मारने लगे।

"जाओ यहां से.....जाओ यहां से। " लोगों की आवाज वातावरण में गूंजनें लगी ।

अब वह अजीब सा दिखने वाला शख्स उस व्यक्ति को छोड़कर उन लोगों के पीछे आने लगा ,यह देखकर सारे लोग डरकर वापस अपने अपने घरों की ओर भागने लगे।

लेकिन तभी उस बस्ती के ऊपर एक हेलीकाप्टर तेजी से आने लगा , अब इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता उस हेलीकाप्टर में से रस्सी से लटकते हुए एक शख्स फौज की वर्दी में नीचे जमीन पर आया ।

उसका कद 5 फीट 6 इंच के आसपास था, उसका रंग गेहूआं था, उसके चेहरे पर हल्की दाढ़ी थी जो उसके ऊपर काफी फब रही थी ।

नीचे उतरते ही उसके बाॅकी टाॅकी में से एक आवाज आई " कैप्टन हर्ष, याद रखना तुम्हें विनय दिवाकर को मारना नहीं है, सिर्फ उससे लोगों को बचाना है।"

" ओके सर। " हर्ष ने भारी मन से कहा और फिर वह हाथ में राईफल थामे आगे की ओर बढ़ गया।

क्रमश:......
रोमा........