एपिसोड 17 (अभिराज की प्लैनिंग…. )
रिया को तो अपनी आँखों पर भरोसा ही नहीं हो रहा था, की माया शादी करने वाली है | वहीँ, जब माया अपने घर पहुंचती है, तो घर में एंटर करते ही हैरानियत से उसका मुँह कुछ पलों के लिए खुला ही रह जाता है | शिवम् मल्होत्रा ने पूरा घर किसी दुल्हन की तरह सजाया हुआ था | माया को पता था, की ऐसा कुछ हो सकता है | लेकिन ये तो कुछ ज़्यादा ही था | पुरे घर को गेंदे के तजे तजे फूलों से सजाया हुआ था | गुलाब के फूलों से सीढ़ियों को ढक ही दिया था | घर का कोई कोना ऐसा नहीं था, जो दुल्हन की तरह नहीं लग रहा था |
माया की नज़र तभी महक पर जाती है, जो ख़ुशी से सारा काम करवा रही थी | महक को देख कर तो ऐसा लग रहा था, मानो महक की खुद की शादी हो | तभी माया के ज़ेहन में एक ख्याल आता है |
"महक की भी तो शादी की उम्र हो गई है |" माया को खुद पर ही भरोसा नहीं हो रहा था, की वो ऐसा कुछ सोच रही है | क्यूंकि माया ना खुद शादी में भरोसा करती थी, और ना किसी को शादी करने का सुझाव देती थी |
महक को मानो फील ही हो गया था, की माया घर आ चुकी है | वो ख़ुशी से माया को देखती है | और उसके पास आते हुए कहती है |
"तो हमारी दुल्हन आ ही गईं !" महक की आवाज़ से ही कोई बता सकता था, की आज महक कितनी खुश थी | माया का हाथ थाम महक , माया को घर के अंदर लेक्जर आती है | और उसे सब कुछ दिखाती है | महक ये सब इसलिए कर रही थी, ताकि माया फील करे, की शादी के समय एक दुल्हन क्या महसूस करती है | लेकिन दूसरी और माया, उसे तो ये सब बहुत बोरिंग लग रहा था | और वेस्ट ऑफ़ टाइम भी | लेकिन सिर्फ महक की ख़ुशी के लिए माया चुप चाप सब देखती रहती है |
तभी माया की नज़र ऊपर से देखते अपने दादा जी पर जाती है | वो महक कपो देखते हुए कुछ सोच रहे थे | माया को मानो, भनक सी तो लग गई थी, की उसके दादा जी क्या सोच रहे हैं | उसके बाद, माया अपने कमरे में चली जाती है |
वहीँ कपूर विला में। ...
अभिराज आज बहुत ही ज़्यादा खुश नज़र आ रहा था | डाइनिंग टेबल पर, अपने पिता को आज इतना खुस देख अभि को भी अच्छा लग रहा था | बहुत समय बाद अभिराज के चेहरे पर इतनी ख़ुशी आई थी | और अभि ये देख, कसम खा लेता है की इस हसी के लिए वो शादी तो क्या कुछ भी कर सकता है |
"कल से हमारे घर में एक नया सदस्य भी होगा, जो हमारे साथ बैठकर खाना खायेगा |" अभिराज अपने बेटे की और देखते हुए ख़ुशी से कहते हैं | लेकिन इस पर , अभि सिर्फ हाँ में अपना सर हिला देता है | मानो फिर अभिराज को कुछ याद आया हो | अपने बेटे की और देखते हुए अभिराज कहता है |
"वो मैं सोच रहा था, की तुम मिस्टर आरव को भी बुला लो |
आरव , अभिराज के बड़े भाई का बेटा था | तो ज़ाहिर सी बात थी, की वो अभि से भी उम्र में बड़ा था | आरव की उम्र 32 साल हो गई थी | लेकिन अभी तक आरव सिंगल ही था | ना जाने क्यों , आरव शादी से मना कर देता था |
"तुम्हे शादी करते देख, शायद वो भी शादी कर ले" अभिराज खाना खाते हुए आने बेटे से कहता है |
"आपको जो ठीक लगे पापा , वैसे आरव इंडिया वापिस आ गया है | लेकिन अभी वो शहर में नहीं है | कल शाम तक आ जायेगा | तो मैं उसे घर ही बुला लेता हूँ |" अभि खाना खत्म कर, अपनी जगह से उठाते हुए अभिराज से कहता है , और फिर वहां से अपने रूम की और चला जाता है |
अभिराज ख़ुशी से अपना खाना खाते हैं , और अपने बेटे की शादी की साड़ी त्यारियां कर, सोने चले जाते हैं |
आखिर क्या होगा जब माया और अभि पहली बार एक दुसरे से मिलेंगे ? और आखिर शिवम् और अभिराज महक के लिए किस लड़के की बात कर रहे थे ? क्या महक अपने पास्ट को भुला कर किसी और को अपना हमसफ़र बना पायेगी ?
जानने के लिए बने रहिये मेरे साथ |