और वह लाख प्रयास करने के बाद भी कुछ लिख नही पाया था।उसे हर सप्ताह एक कहानी अखबार को देनी होती थी।एक सीरीज वह लिख रहा था
जिंदगी के आस पास
इसके के लिए हर सप्ताह एक नए विषय पर एक कहानी उसे देनी होती थी।जो अखबार के सन्डे एडिशन में छपती थी।शुक्रवार हो गया था।सम्पादक का फोन भी आ चुका था।पर उसे लिखने के लिए कोई मसाला ही नही मिल रहा था।स्मादक का आग्रह था कुछ अलग हटके हो।इस बार की कहानी
भेजने का था।उसकी कहानी को पाठक खूब पसंद भी कर रहे थे।
जब वह काफी प्रयास करने के बाद भी कोई कहानी नही लिख पाया तो वह घर से निकल पड़ा।पहले वह स्टेशन गया।स्टेशन पर खोमचे वालो की चिल्ल पो और यात्रियों का रेला।ट्रेन आने पर यात्रियों की चढ़ने उतरने की जद्दोजहद
यहाँ उसे लिखने के लिए क्या मसाला मिलेगा
और वह चल दिया
सड़क नापता हुआ बस स्टैंड आ गया।बड़ा शहर तो बस स्टैंड भी बड़ा ही होगा।किसी भी समय आ जाओ लोगो की भीड़ हर समय मिलेगी।यहा भी स्टेशन जैसा नजारा
लेकिन अंतर।हर बस का कंडक्टर आवाज लगते हुए
काफी देर तक वह चक्कर लगाता रहा पर उसे कुछ नही मिला।तब वह चल दिया।चाय की दुकान देखकर उसे चाय की तलब होने लगी।
वह चाय पीने के लिये एक दुकान पर बैठ गए।वह सोचता रहा और फिर उसने पार्क जाने का निर्णय लिया।सेंट्रल पार्क बहुत बड़े क्ष्रेत्र में फैला है।इस पार्क में सन्डे या छुट्टी वाले दिन बहुत भीड़ रहती है।अन्य दिनों में सुबह शाम को घूमने आते है लेकिन इस समय बहुत ही कम लोग पार्क में मौजूद थे।कुछ लोग बेंचो पर बैठे थे।कुछ जोड़े जगह जगह नरम घास पर बैठे प्रेमा लाप्प में मशगूल थे।
वह धीरे धीरे चहल कदमी करता हुआ पार्क में आगे बढ़ने लगा औऱ आखिरी कोने पर आ गया।
इस जगह एक मात्र बेंच पर एक युवती बैठी हुई थी।वह सामने लगे गुलाब के पेड़ के गुलाब को निहार रही थी।वह उस युवती के पास जाकर बोला,"क्या मैं यहाँ बैठ सकता हूँ
उसने आंखों के इशारे से उसे बैठने का इशारा किया था।वह बैठ गया।युवती गुलाब को निहार रही थी।वह उसकी तरफ देखने लगा।कुछ देर बाद वह उससे बोला,"आपको गुलाब बहुत पसंद हैं
"मुझे गुलाब बहुत पसंद है।इसकी भीनी भीनी खुसबू तन बदन को महका देती है।
वह उठा और गुलाब के फूल को तोड़ लाया
"अरे आपने फूल क्यो तोड़ा।यह डाली पर सुंदर लग रहा था
"नही"वह बोला,"यह फूल आपके बालों में ज्यादा सुंदर लगेगा।आप इसे लगा ले
"सच मे सुंदर लगेगा
"हा
"तो आप ही इसे लगा दे
और उसने युवती के बालों में फूल लगा दिया था
"आप करते क्या है,"युवती ने उससे पूछा था
" राइटर हूँ
"मतलब लेखक
"हा लेखक
"मतलब कहानी किस्से लिखते है
"जी,"वह बोला,"हर सन्डे को अखबार में मेरी कहानी आती है।तुम पढ़ती हो
"नही।लेकिन अब पढूंगी,"वह बोली,"क्या यहां घूमने आए हो"
"नही,"वह बोला,"और तुम
"मेरा मूड करता है तब चली आती हूँ।एकांत में ताजी हवा का अलग ही मजा है,"वह बोली,"तुम
"मैं यहाँ कहानी की तलाश में आया हूँ
"अच्छा,"वह चों कि थी,"कहानी तलाश करनी पड़ती है।
"हा।खोजनी होती है।तलाश करनी पड़ती है।उसे ही तलाशते हुए यहाँ आ गया
"तो मिली कहानी
"मिल गयी
"कहा
"तुम
"मैं "वह आश्चर्य से बोली
"हां।तुम"वह बोला,"मैं तुम पर कहानी लिखूंगा
"मेरे पर"वह जोर से हंसी थी,"तुम मेरे बारे में कुछ जानते ही नही तो कहानी कैसे लिखोगे
"कहानी लिखने के लिए तुम्हारे बारे में सब कुछ जानना जरूरी नही है।मैं अपनी कल्पना से तुम्हारा चित्र मेरे मन मे बनाऊंगा और फिर लिखू गज़
"तुम तो खतरनाक हो दूर रहना चाहिये
"क्यो
"न जाने क्या लिख दो मेरे बारे में
"डरो मत
"अब चलू
"सचमुच जा रही हो
"हा
"एक बात कहूँ
"क्या
"तुम बहुत सुंदर हो
"थेंक्स
"तुम्हारे लब गुलाब की पंखुड़ी से सुर्ख और पतले नाजुक नरम है
वह कुछ नही बोली।तब फिर उसने कहा"बुरा न मानो तो एक बात कहूँ
"क्या
"मैं तुम्हारे रसीले होठो को एक बार छुना चाहता हूं।रस्वस्वदन करना चाहता हूँ
उसकी बात सुनते ही उसका चेहरा तमतमा गया।आंखों से गुस्सा टपकने लगा कुछ देर बाद उसका चेहरा सामान्य हो गया और उसकी बात सुनकर वह रोमांचित हो गयी उसके करीब आते हुये वह बोली"तुम मेरे लबो का रस्वस्वदन कर सकते हो लेकिन एक बार
और उसने अपने लब उसके लबो से सटा दिए