भाग १९
अब तक आपने देखा की राजकुमारी शिवन्या दासी को बोल रही थी की अगर राजा धरम ओर रानी सुमिधा के पुत्र से उनका विवाह होगा तो उन्हें कोई ऐतराज नहीं है अब आगे की कहानी देखते है।
सब लोग बैठे हुए थे , रानी निलंबा ने वीरेन से कहा पुत्र १६ साल पहले तुम्हे देखा था और अब आज देख रही हु एक दम बदल गए हो सही कहा ना महाराज , राजा विलम ने कहा अरे बदलेगा ही तब तो छोटा था ओर अब योद्धा बनकर लौटा है विद्यापीठ से, इतने सालो में कोई इंसान बदलेगा ही , राजकुमार वीरेन इस पर कहते है , महाराज महारानी मेने भी आपको छोटा था तब मिला था पर इतने बरसो में आपको भुला नहीं हूं आपका स्वभाव ही इतना अच्छा है की कोई भूल थोड़ी सकता है , मेने राजकुमारी शिवन्या के बारे में कल से बहुत सुना है पिताजी और मेरी माता से की वे भी एक बेहतरीन योद्धा है उन्हों ने राजा विलम की कई युद्ध जितने में बहुत मदद की है उनको भी तलवार बाजी पसंद है ना?
राजा विलम ने कहा जी उनको तलवारबाजी बहुत पसंद है , उनकी तो बात ही क्या करना अगर ढूंढने जाओगे ना तब इतनी अच्छी पत्नी नही मिलेगी आपको फिर सब हसने लगे उधर राजकुमारी शिवन्या कबसे अंदर कक्ष में बैठी थी , सबको हसी मजाक करता सुन वह दासी से कहने लगी सब अकेले अकेले हसी ठिठोरी कर रहे है ये नही की मुझे भी अब बाहर बुला ले , दासी ने कहा देख रही हो सखियों राजकुमारी को कुमार वीरेन से मिलने की कितनी उत्सुकता जागृत हो रही है ये कह कर दासिया हसने लगी , राजकुमारी हस कर ने कहा तुम लोग मेरी ठिठौरी कर रही हो , ऐसा कुछ भी नही है।
वो तो माता ने कहा था है आपको बुलाएंगे परंतु अभी तक बुलावा नही आया इस कारण में तो कह रही थी , उनमें से एक दासी ने कहा हा हा राजकुमारी जी हम समझ गए। सबको बात करते करते कुछ क्षण बीत चुके थे तभी रानी निलंबा ने कहा लगता है अब हमे राजकुमारी शिवन्या को बुला लेना चाहिए राजकुमार वीरेन देख भी लेंगे , रानी सुमिधा ने कहा जी अब आप बुला लीजिए आखिर कार हमे भी तो मिलना है हमारी शिवन्या से , राजा विलम ने कहा दासी राजकुमारी को लेकर आओ।
एक दासी राजकुमारी के कक्ष में गई , ओर कहा सुनो री सखियों राजकुमारी शिवन्या को महाराज बुला रहे है बाहर ले कर आओ , तब दूसरी दासी ने कहा चलिए राजकुमारी जी अब आपकी प्रतीक्षा समाप्त हुई आखिर कर आपको महाराज बुला रहे है , तब राजकुमारी शिवन्या खुश हुई परंतु पता नही क्यों उन्हे घबराहट सी हुई उसने दासी से कहा , दासी बड़ी बैचेनी सी हो रही है पता नही एक डर सा लग रहा है , तब उस दासी ने कहा राजकुमारी जी कई बार ऐसा हो जाता है जब आपको कोई देखने आ रहा हो यह एक स्वाभाविक भावना है जो हर किसी को हो सकती है अब आप विलंब न करे राजकुमारी जी चलिए।
दो दासियो ने राजकुमारी को एक एक हाथ से पकड़ा और धीरे से राजकुमारी को ले कर गए वह सीडिया उतर रहे थे , फिर राजकुमारी शिवन्या वहा पहुंच गई जहा सब बैठे थे , उन्हों ने राजकुमार वीरेन को देखा , रानी निलंबा ने कहा बैठिए राजकुमारी ये देखिए ये है राजकुमार वीरेन रानी सुमिधा ओर राजा धरम के पुत्र , राजा धरम ओर रानी सुमिधा ने कहा कैसी हो शिवन्या, कब से आप हमसे नही मिली थी आज मिल कर बहुत आनंद आया ।
रानी ने कहा आप बैठ क्यों नहीं रही है राजकुमारी आइए ना रानी निलंबा ने कहा यह आइए शिवन्या वहा स्तंभ के भाती क्यों खड़ी है। राजकुमार वीरेन को देख कर राजकुमारी की आंखे फटी की फटी रह गई समझ नही आ रहा था वह क्रोधित हो या अपनी किस्मत को कोस किसी ने पैरो के नीचे से जाने जमीन ही छीन ली हो ऐसा उनको लग रहा था।
राजकुमार वीरेन भी अपनी जगह से उठ गए राजकुमारी शिवन्या को देख कर ओर कहा आप है राजकुमारी शिवन्या , शिवन्या ने कहा हा में ही हू इस राज्य की राजकुमारी और तुम तुम आए हो मुझे देखने में तुमसे विवाह के बारे में सोच भी नही सकती तुम जैसा बदतमीज लड़का मेरा पति नही हो सकता , सब लोग अपनी जगह से खड़े हो गए राजकुमारी शिवन्या की बात सुनकर, रानी सुमिधा ओर राजा धरम ने कहा आखिर आप हमारे पुत्र के विषय में ऐसा क्यों बोल रही है , निलंबा ओर विलम ने कहा क्या आप पहले से इनको जानती है? आप दोनो कही मिले है ? राजकुमारी शिवन्या ने कहा हा, पिताजी ये वही लड़का है जो उस दिन तलवारबाजी का अभ्यास करते वक्त मैदान में मुझसे मिला था।
बात करने की भी तमीज नही है कबसे जुबान लडाये जा रहा था मुझसे उस दिन , राजकुमार वीरेन ने कहा आप मेरी बातो को ज्यादा ही गंभीरता से ले रही है राजकुमारी शिवन्या , में तो आपसे थोड़ी ठिठोरी कर रहा था और मुझे नही पता था की आप यहां की राजकुमारी है , शिवन्या ने कहा राजकुमारी ही नहीं आप किसी भी लड़की से ऐसे बात नही कर सकते , पता है पिताजी उस दिन क्या कह रहा था की इतनी सुंदर कन्या के हाथ में तलवार शोभा नही देती।
इस कहानी को यही तक रखते है , अगला भाग जल्द ही आयेगा।😊