Khwahishy - 4 in Hindi Adventure Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | ख्वाइशें - 4

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ख्वाइशें - 4

"बेंगलोर पहले चलते है।
औऱ कांत सबीना को बेंगलुरू लेकर गया था।विशाल क्षेत्र में फैला आई टी हब।बड़ी बड़ी मल्टी नेशनल कम्पनी।सबीना देखकर दंग रह गयी थी।
"हमारे देश मे तो न इतनी कम्पनी है।न ही इस तरह का इतना बड़ा आई टी हब
"कम्पनिया उस देश मे आती है जहाँ पर अमन चैन हो।और सरकार सुविधा दे तब आती है,"कांत बोला,"तुम्हारे देश मे दहसतगर्दो की कमी नही है।ऐसे में कौन उद्योगपति अपन्स पैसा फ़साना चाहेगा।
"तुम सही कह रहे हो
सबीना बेंगलुरु देखकर दंग थी।उसने एक वीडियो भी शूट किया था।लोगो से जिनमे सभी धर्म के लोगों से बात भी की थी।
"अब कहा चलोगे
"मुम्बई,"कांत बोला,"कम से कम15 दिन के लिए तो आती।सात दिन में तुम शहरों की झलक भी ढंग से नही देख पा रही।
"तुम सही कह रहे हो लेकिन क्या करूँ।तुमहारे दश के दूतावास ने सात दिनों की ही इजाजत दी है
"अगलीबार ध्यान रखना
और कांत सबीना को मुम्बई ले आया था
"सारा पैसा तुम ही खर्च कर रहे ही
"कोई बात नही।मैं पाकिस्तान आउ तो तुम खर्च कर देना
"आओगे
"अगर तुम बुलाओगी तो जरूर आऊंगा
"मेरे साथ ही चलो
"क्या देखना है मुम्बई में
"यहाँ देखने को तो बहुत कुछ होगा
"है तो बहुत कुछ लेकिन। 6 या 7 दिन चाहिए।एक दिन में क्या होगा
"जो थोड़ा बहुत सम्भव हो सके
कांत सबसे पहले वे जगह दिखाने के लिए ले गया था।जहाँ पर26/11 हुआ था।समुद्र के रास्ते पाकिस्तान से आये थे।और सौ से ज्यादा निर्दोष लोगों कि जान उस हमले में चली गयी थी।कांत उसे ताज होटल में चाय पिलाने के लिए भी ले गया था।वहाँ पर भी कई लोग मारे गए थे।
कांत, सबीना को गेट वे दिखाने के लिय ले गया था।फिर उसे फ़िल्म स्टूडियो भी दिखाए थे।कुछ स्टार्स के बंगले भी रास्ते मे पड़े थे।
मुम्बई की सड़कों पर भागते लोग और लोकल ट्रेनों कि भीड़।सब कुछ उसे आश्चर्य जनक लगा था।कांत उसे हाजी की दरगाह भी ले गया था।
शाम को वे जुहू चौपाटी गए थे।समुद्र की ठंडी हवा का आनद लेते हुए वह बोली थी,"तुम्हारे यहा कितनी शांति है और सब कितने मिलजुल कर रहते है।यहाँ की प्रगति से में ढंग हूँ
"अब क्या अयोध्या
"अयोध्या फिर वहां से लखनऊ।लखनऊ में मेरी मौसी की पोती यानी कजिन बहन की शादी है।तुम शादी का वीडियो भी बनाना चाहती हो
"और कांत, सबीना को अयोध्या ले आया था।मन्दिर निर्माण का कार्य प्रगति पर था।कांत ने सबीना को मन्दिर का इतिहास बताया था।
चौड़ी सड़के,शानदार एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन देखकर वह हत प्रद थी
"सचमुच तुम्हारे देश के हुक्मरान देश की सोचते है और हमारे देश का पैसा लूटकर विदेश भाग जाते हैं
"तुम्हारे देश की जनता भी ऐसे लोगो को चुनती है जो विदेश मे रहते है
कांतकी मौसी पुणे में रहती थी।लीला मौसीकी पोती रश्मि की शादी थी।रश्मि का मंगेतर अमृतसर में था।लड़के और लड़की वाले दोनों लखनऊ आकर शादी कर रहे थे।कांत सबीना के साथ लखनऊ के मैरिज होम पहुंचा था।कांत के मम्मी पापा का देहांत हो चुका था।अब वह अकेला था
कांत को देखते ही लीला मौसी खुस हो गयी।कांत ने मौसी के पैर छुए थे।सबीना ने भी कांत को देखकर लीला के पैर छू लिए
"तू तो बड़ा छुपा रुस्तम निकला
"क्या हुआ मौसी
"तूने शादी कर ली और मौसी को खबर नही
"किसने कहा मौसी
"बहु को साथ लाया है और पूछ रहा है किसने कहा
"मौसी मैने शादी नही कि।यह सबीना है।"कांत ने मौसी को सबीना के बारे मे बताया था
"तेरी मा भी चाहती थी।पर कोई बात नही अच्छी नोकरी कर रहा है अब तो कर ले
"मौसी करूँगा।बस कोई लडक़ी मिल जाये
" लो सुन लो।लड़की साथ लिए घूम रहा है और कहता है लड़की मिल जाये
"सबीना से?कांत मौसी की बात सुनकर चोंकते हुए बोला था
"इसमें क्या कमी है।सुंदर है सुशील है।पढ़ी लिखी है और जैसी आजकल के लड़के चाहते है वैसी मॉडर्न है,"लीला बोली"क्या तुझे यह पसन्द नही
"मुझे तो है लेकिन लड़की की पसन्द जरूरी है
"बोल बेटी।अब तेरी बारी है तुझे कांत जैसा पति नही मिलेगा
"मौसी मैं मुसलमान हूँ
"अरे पगली औरत का न कोई मजहब होता है,न जाति।न वह दलित होती है न पिछड़ी।उसकी एक ही पहचान है वह सृजन करती है
"मौसी।सबीना, लीला से लिपट गयी थी
लीला ने अपने बेटे सुरेश और बहू राधा को बुलाकर सबीना और कांत के बारे में बताते हुए कहा,"कांत और सबीना कि शादी भी2 उसी मण्डप के निचे होगी
सबीना भारतीय संस्कृति से शादी का विडियो बनाना चाहती थी।उसे क्या मालूम था।उस वीडियो की दुल्हन वह खुद होगी
सच कहा है जोड़ी ऊपर वाला बनाता है।अगर ऐसा न होता तो2सबीना पाकिस्तान से कैसे खिंची चली आती