Rajkumari Shivnya - 18 in Hindi Mythological Stories by Mansi books and stories PDF | राजकुमारी शिवन्या - भाग 18

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राजकुमारी शिवन्या - भाग 18

भाग १८

अब तक आपने देखा की लड़के वाले अपने समय से काफी शीघ्र ही विलम नगर आ चुके थे जिस वजह से रानी निलंबा ने राजकुमारी शिवन्या को शीघ्रता से कक्ष में भेज दिया और बुलाने पर ही बाहर आने को कहा अब आगे की कहानी देखते है।

राजकुमारी अपने कक्ष के भीतर चली गई, वह अंदर बैठ गई और दासी से कह रही थी यह लोग इतनी जल्दी क्यों आ गए , वहा बाहर पड़ोसी राज्य धरम गढ़ के राजा धरम ओर रानी सुमिधा अपने पुत्र राजकुमार वीरेन के साथ राजमहल के मुख्य द्वार के भीतर पधार गए थे , भीतर आते ही राजा विलम और रानी निलंबा उन लोगो का स्वागत करने के लिए द्वार पर ही खड़े थे। रानी निलंबा नही जानती थी की कोन शिवन्या को देखने आने वाले है , परंतु राजा विलम को भलीभाती ज्ञात था, जब अतिथि महल के अंदर प्रवेश करे तब रानी निलंबा चकित रह गई।

उन्हे अपनी आंखो पर विश्वास नहीं हो रहा था , उन्हों ने देखा राजा धरम , रानी सुमिधा ओर उनके साथ उनका पुत्र राजकुमार वीरेन पधार रहे थे जेसे ही वो आए तब राजा विलम और राजा धरम गले मिले और रानी सुमेधा ओर रानी निलंबा एक दूसरे को गले मिले परंतु रानी निलंबा चौकी हुई थी क्युकी उनको नही पता था की ये लोग उनकी पुत्री को देखने आने वाले थे , रानी सुमिधा ने कहा महारानी निलंबा में भी ऐसे ही चकित हुई थी जब मुझे ज्ञात हुआ की हम आपकी पुत्री हमारी राजकुमारी शिवन्या को देखने आने वाले है , महाराज ने मुझे बताया ही नहीं था। रानी निलंबा ने कहा महाराज आपने भी मुझे इसके बारे में नहीं बताया फिर राजा धरम ओर राजा विलम हसने लगे और कहा हम आप दोनो को ऐसे ही चोकना चाहते थे इस लिए नही बताया।

असल में बात ये है की, राजा विलम और रहा धरम बचपन के दोस्त थे, पूरा बचपन साथ दोस्त बनकर गुजारा, और अब दोनो ने अपनी ये दोस्ती रिश्तेदारी में बदलना चाहते थे , ओर इनका पुत्र राजकुमार वीरेन एक बेहतरीन विद्यापीठ में शिक्षा लेने के लिए चले गए जब वह ५ साल के थे इसलिए आजतक शिवन्या ओर वीरेन की मुलाकात हुई ही नहीं थी, उन्होंने वहा तलवारबाजी, धनुर विद्या , घोड़े सवारी ऐसी कई विद्या एक दम अच्छे से सीखी थी उसमे वह एकदम निपूर्ण थे। अब चलिए आगे बढ़ते है, राजा विलम ने राजकुमार वीरेन को तिलक लगाया निलंबा ने उनकी आरती उतारी और सब ने हस्ते हस्ते महल के अंदर प्रवेश किया , सब लोग बहुत खुश लग रहे थे।

राजा रानी ने अतिथि को बिठाया और बाते करने लगे, राजकुमारी शिवन्या को सबकी आवाज आ रही थी हसने की इसलिए उन्हों ने दासी से कहा लगता है लड़के वाले आ गए है , तुम जरा बाहर झांक कर देखो कोन आया है , दासी ने खिड़की से थोड़ा देखने के कोशिश की उन्हों ने राजकुमारी शिवन्या को कहा , राजकुमारी जी पड़ोसी राज्य के राजा धरम ओर रानी सुमीधा आए हुए है उनके साथ उनका पुत्र लगता है , राजकुमारी शिवन्या आश्चर्य चकित हो गई की राजा धरम तो पिताजी के बहुत अच्छे दोस्त है इसका अर्थ है की उनके पुत्र के साथ मेरा विवाह पिताजी ने करने का सोचा है , राजा धरम ओर रानी सुमिधा तो कई बार यहां आते रहते है मुझे तो उनका स्वभाव बहुत अच्छा लगता है , वह मुझे अपनी बेटी जेसी ही मानते है।

उनके पुत्र वीरेन तो विद्यापीठ में शिक्षा लेने हेतु गए थे इसलिए आज तक मिल नही पाई वह तो बहुत बड़े जाबाज योद्धा होंगे कई सारी विधाएं उन्हों ने सीखी होंगी उस विद्यापीठ में अगर उनके साथ मेरा विवाह होने जा रहा है तो मुझे कोई दिक्कत नही है क्युकी वह राजा धरम ओर रानी सुमिधा के पुत्र है तो उनका स्वभाव भी उनके माता पिता जैसा ही होगा एक दम दयालु और नर्म।

इस कहानी को यही तक रखते है , कहानी का अगला भाग जल्द आएगा तब तक सोचिए अब आगे क्या हो सकता है।😊