Aehivaat - 15 in Hindi Women Focused by नंदलाल मणि त्रिपाठी books and stories PDF | एहिवात - भाग 15

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एहिवात - भाग 15

जुझारू सौभाग्य के विवाह के लिए उचित वर के लिए सोच विचार करने लगे पत्नी तीखा से परामर्श लेकर समय निकाल कर सौभाग्य के लिए वर कि तलाश करते लेकिन उन्हें अपनी बिटिया सौभाग्य के अनुरूप वर मिलता ही नही थक हार घर लौट आते यही क्रम चलता रहा ।
 
एक दिन तीखा से बताकर जुझारू सौभाग्य के लिए उचित वर कि तलाश हेतु निकल ही रहे थे ज्यो घर से बाहर निकले देखा सौभाग्य शेरू के पीठ पर सवार थी और शेरू उसे बड़े प्यार से चहल कदमी करते घुमा रहा था जुझारू शेरू और बिटिया सौभाग्य को देखकर ठिठक गए पत्नी तीखा को ऐसी आवाज लगाई कि शेरू ना बिदके तीखा घर के बाहर आई उसने भी बेटी को शेरू शेर पर सवार होकर अठखेलियाँ करती देखा वह भी आश्चर्य में पड़ गयी कुछ देर इस दृश्य को देखने के बाद जुखारु बोले तीखा हम जाइत है सौभाग्य ही लाई रही शेरू के एहिलिये वोसे एतना घुला मिला बा देखत हुऊ जौनी शेर कि दहाड़ से पूरा जंगल थर्रा जात है उहो प्यार के समझत है ।
 
जुझारू ज्यो चलने के लिए आगे बढ़े शेरू पीछे से लगभग ऐसा दौड़ता की उसकी पीठ से सौभाग्य गिरने ना पाए आया और जुझारू कि धोती पकड़ कर खिंचने लगा जुझारू ने जब पीछे मुड़कर देखा की शेरू है उसकी पीठ पर सौभाग्य जुझारू ने बिना किसी प्रतिरोध के शेरू जिधर चलना चाह रहा था चल दिए उन्होंने शेरू का कोई प्रतिरोध इसलिए नही किया की कही शेरू नाराज होकर उग्र ना हो जाए ।
 
शेरू जुझारू को पूरब दिशा की तरफ कुछ देर ले गया और धोती छोड़ दी जुझारू को लगा कि शेरू जिस तरफ कह रहा है उसी तरफ चला जाय और जुझारू पूरब दिशा को चल पड़े ।
 
शेरू लौट गया सौभाग्य को लेकर घर आ गया जुझारू कुछ देर पैदल चलने के बाद गांव से कोस भर दूरी पर बहुत पुराना देवी मंदिर था जुझारू को बहुत प्यास लगी थी और वह पानी कि तलाश मंदिर के आस पास भटक रहा था तभी मंदिर के पुजारी कुम्भज महाराज ने जुझारू को देखा और बोले पानी चाहिए जुझारू बोले जी महाराज पुजारी कुम्भज ने जुझारू को कमंडल से पानी पिलाया ।
 
जुझारू कि प्यास शांत हुई पुजारी कुम्भज बोले कुछ देर आराम कर लो भगत फिर जहाँ जाना हो जाओ लेकिन यह तो बताओ जा कहा रहे हो जुझारू बोला महाराज हमरी एक ही बिटिया है सौभाग्य वियाहे लायक हो गयी है वही खातिर वर खोजे जाई रहा हई पुजारी कुम्भज बोले देख भगत ईश्वर जो रास्ता दिखावत है वही सही होत है तू ईहा से परमपुरावा आधा कोस दूर जा जगन कोल के लड़िका ही तोहरे लड़की के जोग वर है ।
 
जुझारू मंदिर पर आराम करने के बाद पुजारी कुम्भज का आशीर्वाद लेके पुजारी जी के बताए ठौर के लिए चल पड़े कुछ देर चलने के बाद जुझारू परमपुरवा गांव पहुंचे और पूछते पूछते जगन कोल के दरवाजे पहुंचे जगन ने जुझारू कि आवो भगत करने के बाद आने का कारण पूछा जुझारू ने बताया कि वह अपनी लड़की के लिए वर कि तलाश में आया है सुना है आपके एके लड़िका है हमरो एके लड़की है जोड़ी त ईश्वर बनावत है शायद एहिलिए देवी मंदिर के पुजारी जी ईश्वर कि कृपा से आपे के घर बताए हमरी बिटिया ख़ातिर जगन बोले ऊ त ठिक है लेकिन हमरे बेटवा के देखनहरु बहुत आवत है ऊ विहाए वदे राजी नही होत बा ।
 
जगन और जुझारू कि बतकही चल ही रही थी तभी राखु जगन का बेटा कही से आ पहुंचा जगन बेटे कि तरफ मुखातिब होते हुए जुझारू से बोले इहे ह हमार घरे क दिया चिराग ।
 
बेटे से बोले ई जुझारू है प्रणाम पाँति कर ई अपनी बिटिया खातिर रिश्ता लेकर आइल हन तू त जाने केतने लोगन के लौटा दिहल तोहरे कारण जाने केतने हित मित्र रिश्तेदार खीसियाई गयेन जुझारू के हमरे परिचित नाही भेजे है ई अपने मर्जी से देवी मंदिर के पुजारी कुम्भज महाराज के कहे आएं हन ई रिश्ता के बारे में का ख्याल है राखु बोला ठीक है बापू हम सोच के काल बताईब आज जुझारू चाचा को रोक ल।
 
जुझारू ने राखु कि बात सुनकर बोले ठीक है जगन आज हमें रुके में कौनो दिक्कत नाही है और जगन के अतिथि के रूप में रुकने के लिए रजामंद हो गए जगन और जुझारू कि बतकही चलती रही जगन की पत्नी मोंगा ने तिलकहरू जुझारू के लिए स्वादिष्ट आदिवासी व्यंजन बनाया जगन और जुझारू ने एक साथ भोजन किया दोनों आपस मे बात चीत करते कब सो गए पता ही नही चला ।
 
तीखा पति जुझारू के न लौटने से शाम से ही परेशान पूरी रात देवी देवताओं का ध्यान करती पति जुझारू कि वापसी का आशीर्वाद मांगती रही सौभाग्य माई को परेशान देख समझाती कहती माई ते चिंता जिन कर बाबू के कुछ नाही होई उन्हें शेरू शेर भेजे है कुछ शुभ होई तीखा को तसल्ली नही हो रही थी पूरी रात जगते हुए पति कि राह निहारती रही ।
 
राखु सुबह उठा और अपने बापू जगन को बुला कर कहा बापू पता नाही काहे हमे ई रिश्ता रास आई गइल ह अब तू जौंन समझ कर जगन को बेटे कि रजामंदी से जैसे दुनियां भर कि खुशी मिल गयी हो जुझारू से बोले राखु आपकी लड़की से वियाह करे खातिर राजी हो गइल ह जुझारू बोले अब आप बतावल जा कैसे वियाहे के सिलसिला आगे बढावल जा हम बहुत साधारण मनई हई तोहार जोड़ बराबरी हम नाही करी सकित तोहार लड़िका पढल लिखल मेट्रिक पास खेती मकान तकान विरादरी में भी देखले से तोहार इज्जत सबसे ऊपर बा ।
 
जगन ने पलट कर कहा जुझारू तोहार बेटी अब से हमरे घर के बेटी ह एक लूंगा में विदा कर दिह हां बराती जेतने लोग जइहैं उनके तरफ से शिकायत ना होय बाकी त कौनो परेशानी ना होय ।
 
जुझारू विवाह के प्रति आश्वस्त होके बोले त गोड्धोईया के रस्म के दिन बार दिखाई के फिर हम आई त है वोकरे बाद वियाहे के दिन विचारा जाई ।
 
जगन से इजाजत ले के घर को लौटने लगे आधे कोस कि दूरी पर स्थित देवी जी के मंदिर पर रुके और पुजारी कुम्भज जी से मिलके आशीर्वाद जुझारू ने लिया और पुजारी जी से बोले आपही की कृपा से बेटी के जोग लड़िका मिल गइल बा पुजारी कुम्भज बोले एमे हमार कौनो कृपा नाही है ई त माई के आशीर्वाद तोहरे बिटिया पर बरसत है जुझारू पुजारी जी के प्रणाम दंडवत कर आशीर्वाद लेके घर के चल दिए ।
 
दिन दो प्रहर बीते घर पहुंचे पति को देख परेशान तीखा को तिहा आई उसने एक सांस में जुझारू से कितने ही सवाल कर डाले कहा थे कल ?क्यो नही लौट पाए? आदि आदि जुझारू बोले कुछ साँसों लेबे द बताइत है जुझारू दौड़े दौड़े पानी लायी पानी पीने के बाद जुझारू बोले सुन अपने सौभाग्य के रिश्ता बड़े रईस कोल परिवारे में तय हो गइल ह परमपुरवा के जगन के एक लड़िका राखु से घर दुआर खेती बारी चौऊआ सब बा राखु मेट्रिक पैस बा सौभाग्यवा त राज करी ई झोपड़ी से विदा होइके पति कि बातों को सुन कर तीखा की आंखे यह सोच कर भर आयी कि वोकरे घरे क सौभाग्य अब पराया होई जाय।