Aur Usne - 19 in Hindi Fiction Stories by Seema Saxena books and stories PDF | और उसने - 19

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और उसने - 19

(19)

अलका के भाई को पुलिस ने अरेस्ट करके जेल में भेज दिया है । अब मानसी के पापा ने कोशिश तो करी कि किसी तरह से पुलिस उसे छोड़ दें लेकिन इतना भयंकर केस है, पुलिस किसी कीमत पर नहीं छोड़ सकती है, केस को तो कोर्ट में ही जाना है और केस कोर्ट में चला गया और उसके भाई की जमानत नहीं हुई। मानसी के पापा ने अल्का के भाई को छुड़ाने की बहुत कोशिश की । अल्का की माँ बहुत परेशान हो गई । और अलका ने तो अपनी सुध बुध ही खो दी है । अलका की मम्मी और अलका दोनों अपनी मासी मौसा जी के साथ दूसरे शहर में चले गए हैं । जहां पर वह दोनों रह सके और पता नहीं कैसे उसके भाई के साथ क्या होगा कैसे होगा कुछ नहीं पता है । मानसी के पापा भी कुछ नहीं कर पाए वे क्या करते वह भी तो इतने उमरदार हो गए हैं और ऐसे केस में कोई भी साथ देने को तैयार नहीं होता है । अलका की पढ़ाई बीच में ही छूट गई । उसकी जरा सी गलती से पूरा घर बर्बाद हो गया । मानसी जब उसके घर के सामने से निकलती उसकी आंखों से आंसू बहने लग जाते । उसके भाई की अभी तो जॉब लगी, अभी तो उन लोगों के अच्छे दिन आए लेकिन अच्छे दिन आने से पहले ही ऐसे दिन आ गए थे कि सब कुछ खत्म हो गया, कुछ बचा ही नहीं।

मानसी की आंखों के सामने अलका का हँसता मुस्कुराता चेहरा घूमने लग जाता और वह बहुत परेशान हो जाती है । अलका की पढ़ाई अधूरी छूट गई, सब कुछ खत्म हो चुका है, उसकी दुनिया में अब क्या बचा है ? लोग क्यों प्यार मोहब्बत इश्क के चक्कर में पड़ जाते हैं ? क्यो अपना ही घर परिवार दुनिया सब खत्म कर जाते हैं ? कभी कभी अपनी जान की बाजी भी लगा जाते हैं ? कमलनयन चार बहनों का इकलौता भाई इश्क के चक्कर में सब मिटा गया ।

वह तो कभी प्यार नहीं करेगी, कभी किसी से मोहब्बत नहीं करेगी, कभी इश्क नहीं करेगी, कभी नहीं क्योंकि उसे बर्बाद नहीं होना है, ना अपना घर बर्बाद करना है, उसे तो एक अच्छा इंसान बनना है, इतना अच्छा इंसान बनना है कि वह एक दिन अपने मम्मी पापा का नाम रोशन कर सके, उनके लिए कुछ कर सके । उसको तो केवल अपने मम्मी पापा के अलावा दुनिया में और कुछ नजर नहीं आता है, उसे सिर्फ अपने मम्मी पापा के लिए ही जीना है ।

मानसी की पढ़ाई बहुत अच्छी चल रही है, जबसे उसने अल्का का हश्र देखा है, उसे दुनिया में कुछ अच्छा ही नहीं लगता है, उसका अब सारा ध्यान पढ़ाई पर ही लग गया है, वैसे भी वो पढ़ाई में अच्छी है अब और अच्छी हो गयी है । अलका की मम्मी एक बार बीच में अकेले आई । अपना घर द्वार बेच कर कुछ दिन उसके घर रुकी,मानसी की मम्मी को बता रही कि अल्का की पढ़ाई छुड़वा दी है । क्या करेंगे पढ़ा लिखा कर, उसका पढ़ने लिखने में मन ही कहाँ लगता है, अगर पढ्ना लिखना होता तो यह करम नहीं करती, हमें बर्बाद कर दिया, घर द्वार सब छुट गया, पराये शहर में अपनों के बीच पराए बनकर रह रहे हैं, वह बता रही कि अलका की जल्दी ही शादी कर देंगे ।

पढ़ा तो दीजिये, पैरों पर खड़ा कर दीजिये, उसे अभी शादी की क्या जल्दी है, मम्मी ने समझाना चाहा तो वे फौरन बोल पड़ी कि उनको अब उसे आगे नहीं पढ़ाना है, क्या करेंगे पढ़ाकर ऐसी लड़की को, जो प्यार मोहब्बत के चक्कर में अपने घर को ना देख सके, सब कुछ बर्बाद कर दे । क्या फायदा उसे पढ़ाने का उसकी समझ होती तो ऐसे करती दो घर खराब हो गए अपने भाई को भी खो दिया और उस लड़के को भी ? यह कहते हुए वे रो पड़ी हैं । भाई का केस 2 साल तक कोर्ट में चलने के बाद उसके भाई को आजीवन कारावास की सजा हो गई है और उसकी मम्मी अपनी छोटी बहन के घर में ही रहने लगी हैं । मानसी देखती जा रही है, सीखती जा रही है, समझती जा रही है । सच ही तो कह रही हैं उसकी मम्मी, अलका का मन तो वैसे ही पढ़ाई लिखाई में नहीं लगता है । अल्का के घर को एक किसी बड़े व्यवसाई ने खरीद लिया है, जहां पर उन्होंने अपनी कंपनी का सामान रखना शुरू कर दिया,, इतना बड़ा घर अब गोदाम बन गया । जहां पर हर समय अल्का की हंसी गूँजती रहती, अब वहाँ नौकरो और सामान की उठा पटक होती रहती है । उनका बेटा कबीर जो मानसी का हम उम्र ही है । वह भी कभी-कभी आता, वह मानसी की तरफ बहुत प्यार से देखता उससे बात करने की कोशिश करता लेकिन मानसी के मन में तो डर बैठा हुआ है और वह इन सब बातों से बहुत दूर रहना चाहती है । वह कभी किसी लड़के से बात नहीं करेगी, लड़के से बात करने से घर बर्बाद हो जाते हैं, यह बात उसके दिल दिमाग में बहुत गहरे तक समा गई है ।

कबीर बहुत ही अच्छा लड़का है, उसके पापा का बहुत बड़ा बिजनेस और वो उनका अकेली औलाद है, किसी तरह की कोई जिम्मेदारी भी नहीं है उसके ऊपर, बेइंतिहा पैसा होने के बाद भी उसको नाममात्र का घमंड छूकर नहीं गया था, बेहद नम्र स्वभाव, बेहद ईमानदार और एकदम से सच्चा इंसान, वह अक्सर मानसी के घर पर आता है, कभी किसी काम से तो मानसी उठकर अपने कमरे में चली जाती है, उसके सामने ही नहीं पड़ती है, ना कभी उससे कोई बात करती है ।

उसे लड़कों के नाम से ही डर बैठ गया है कि कोई लड़का उसके आस पास न आए और ना ही वह किसी से बात करें । ना जाने कैसा अंजाना सा भय उसके दिल में समा गया है । जब से उसने अलका का हश्र देखा है तभी से । अल्का कितनी मासूम है, उसकी सबसे प्यारी सहेली और उसके साथ ऐसा हुआ जिससे उसका पूरा जीवन ही खत्म हो गया है । अब पता नहीं वह अपना जीवन कैसे गुजारेगी, दिल करता किसी तरह से उसको अलका की कोई खबर मिल जाए लेकिन यह कहाँ संभव हो पाता, वह तो यहाँ से बहुत दूर अपनी मौसी के घर चली गई है ?

मम्मी और पापा को कबीर भोला बच्चा लगता है, वह अक्सर उससे अपने मन की बातें करने बैठ जाया करते हैं और वह भी बहुत ध्यान से चुपचाप सुनता रहता है, ऐसा लगता है कि उसने पापा का दिल जीत लिया है।

उस दिन वो उसके पापा को बता रहा कि एमबीए करके अपने पापा के बिजनेस में ही हाथ बटाएगा, पापा की इतनी प्रॉपर्टी है, इतना पैसा है, क्या करेंगे पापा उसको जॉब कराकर ? उसे तो घर का बिजनेस ही संभालना है और अकेला बेटा होने के नाते उसकी जिम्मेदारी बन जाती है कि वही सब संभाले।

“हां बेटा, तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो और तुम्हें ऐसा ही करना भी चाहिए क्योंकि पापा का बिजनेस अगर तुम नहीं देखोगे तो कौन देखेगा और फिर वह किसके सहारे पर रहेंगे, तुम ही तो उनका एकमात्र सहारा हो ।” पापा उसे बहुत अच्छे से समझाते रहते, वह कभी चाबी वगैरह लेकर नौकरों के साथ सामान लेने के लिए गोदाम में आता तो वह मानसी के घर पर जरूर आता है ।

मानसी इंटर पास करके अब आगे की पढ़ाई की तैयारी करने में लगी हुई है। उसने कोंपटीशन निकाला तो बी ई के लिए उसे जयपुर में एआई ट्रिपल ई का कॉलेज मिल गया, उसका वहाँ एडमिशन हो गया है । और वह दूसरे शहर में पढ़ने के लिए चली गई है ।

मानसी के चले जाने के बाद मम्मी पापा दोनों बिल्कुल अकेले हो गए हैं । भैया दीदी कभी आते थे और चले जाते थे मिल मिलाकर लेकिन पापा मम्मी की जिम्मेदारी कोई अपने ऊपर नहीं लेना चाहता था । पापा की तो उम्र हो रही थी, मम्मी भी अब पहले की तरह इतनी स्ट्रांग नहीं रह गई थी । उनकी देखभाल करने के लिए कोई तो ऐसा हो जो उनको अपनापन दे सके और उन लोगों को अपने साथ में रख सके। इस बीच कबीर ने उन लोगों की खूब अच्छे से देखभाल की, हर तरह से मदद की। अब वह पहले से ज्यादा आता था और मानसी के मम्मी पापा की बिना किसी स्वार्थ के खूब सेवा करता था।

पापा को कबीर से बहुत स्नेह हो गया था । पापा तो वैसे ही बहुत भोले भाले और प्यारे से हैं उन्हें तो हर किसी पर विश्वास हो जाता है,, प्रेम हो जाता है और जब कबीर ने उनकी किसी बच्चे की तरह देखभाल की तो वह बिल्कुल उसको अपना ही समझने लगे थे। मानसी जब छुट्टियों में घर आई तो उसने देखा कबीर का आना-जाना रोज का ही हो गया है। उसे यह बात पहले अच्छी नहीं लगी लेकिन जब कबीर का व्यवहार देखा तो उसे अच्छा लगने लगा कि कोई तो है जो उसके न होने पर उसके मम्मी पापा का ख्याल रखता है। अब जब कभी मानसी को कबीर की जरूरत पड़ती थी या कबीर को मानसी की जरूरत पड़ती थी तो वह दोनों आपस में बात कर लेते थे क्योंकि मम्मी पापा से बहुत मिलजुल कर रहने के कारण वो बहुत अपनेपन से उसका भी साथ दे देता था । मानसी भी अब बेहिचक उसे हर बात करने लगी थी।

कबीर ने भी एमबीए में एडमिशन ले लिया था । उसने मानसी के कॉलेज में अपने एडमिशन के लिए फॉर्म भर दिया था लेकिन उसके घर वालों ने बाहर जाने नहीं दिया तो फिर शहर के ही एक कालेज में उसने एडमिशन करा लिया । मानसी जहां से बीटेक कर रही थी, उसने वहाँ से अपनी स्कोलरशिप का फॉर्म भर दिया। मानसी बीटेक के थर्ड ईयर में थी और कबीर अभी एमबीए के फर्स्ट ईयर में, कि मानसी को स्कॉलरशिप मिल गई और वह आगे की पढ़ाई के लिए चाइना चली गई । मानसी कदम दर कदम आगे बढ़ती ही जा रही थी, उसे फ़िक्र तो सिर्फ अपने मम्मी पापा की थी अपनी पढ़ाई की थी, और बाकी किसी बात की चिंता नहीं थी। वह चाहती थी कि जल्दी से उसकी पढ़ाई पूरी हो और वह अपने मम्मी पापा को अपने साथ में रख ले ।

मानसी ने पूरा एक साल चाइना में गुजारा था, वहां का खाना-पीना वह सब उसे बिल्कुल समझ नहीं आता था, किसी तरह से गुजर हुई थी क्योंकि वहाँ के लोग अजीब तरह की चीजें खाते थे। जो उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं आती थी, ना जाने किस किस चीज के सूप पीते थे, खाने में भी अजीबोगरीब खाना होता था, जब घर में रहती थी तो उसको चाइनीज खाने का मन करता था .। उसका स्वाद और यहां का स्वाद बिल्कुल अंतर था । वह अक्सर आइसक्रीम और केक या कुकीज़ खाकर ही गुजारा कर लेती थी । किसी तरह से 1 साल पूरा करना था और उसके बाद वापस इंडिया ही आना था क्योंकि उसे जॉब इंडिया में ही करनी थी, भले ही वह किसी भी शहर में मिल जाए लेकिन हो भारत में ही क्योंकि उसे अपने देश से बहुत प्यार है और खास तौर से अपने मम्मी पापा से बहुत ज्यादा प्यार और लगाव है । भारत में रहेगी तो कहीं भी, किसी भी जगह अपने मम्मी पापा को बुला सकती है । नहीं तो उसके मम्मी पापा किसी भी कीमत पर उसके पास नहीं आएंगे ना उसके साथ रहेंगे, विदेश में तो किसी भी कीमत पर जाने से रहे । उसे यह बात बहुत अच्छे से पता थी इसलिए उसकी कोशिश थी कि उसको भारत में कहीं जॉब मिल जाए ।

और कमाल की बात तो देखो उसकी जॉब भारत में ही इस बड़े शहर में लग गई थी, अच्छी कंपनी थी और उसका पैकेज भी बहुत अच्छा था बस 6 महीने किसी तरीके से गुजर जाए फिर उसे अपने मम्मी पापा दोनों को अपने साथ रख लेना था लेकिन 6 महीने अभी और पूरे करने थे क्योंकि 6 महीने की इंटर्नशिप थी, उसके बाद में उसका प्रॉपर जॉब शुरू हो जाना था और और सबसे अच्छी बात यह हुई कि एमबीए करने के बाद कबीर को भी उसी कंपनी में प्लेसमेंट मिल गया था हालांकि उसका पैकेज इतना अच्छा नहीं था और वो पैसों के लिए नौकरी कर भी नहीं रहा था । वैसे कबीर को जॉब नहीं करनी थी लेकिन जब प्लेसमेंट कंपनी की तरफ से हुआ था तो उसने सोचा कुछ दिन जॉब करके दुनिया का माहौल देख ले, थोड़ा बाहर घूम फिर ले और बिजनेस तो अभी पापा ही संभाल रहे थे बस इसलिए उसने कंपनी में प्लेसमेंट ले लिया।

कबीर और मानसी ने वहां कंपनी में जब एक दूसरे को सामने से देखा तो वह दोनों ही चौक गए । “अरे तुम यहां ?” दोनों के मुंह से अचानक ही एक साथ निकला था। “हां मेरा तो इस कंपनी में प्लेसमेंट हुआ है चाइना के कॉलेज से ही।“ मानसी ने कहा ।

“अच्छा, तो मेरा यहां के कॉलेज से इस कंपनी में प्लेसमेंट हुआ है ।“ यह कहते हुए कबीर मुस्कुराया ।

“अरे वाह, यह तो बहुत ही अच्छा हुआ चलो हमारे शहर का कोई तो हमारे साथ में है और तुम कब से यहाँ पर आए हो?” मानसी ने कबीर से पूछ लिया ।

क्रमशः...