Aur Usne - 15 in Hindi Fiction Stories by Seema Saxena books and stories PDF | और उसने - 15

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और उसने - 15

(15)

“ओहह हाँ, मानसी यही होता है, हर महीने लड़की के पेट में बहुत दर्द होता है, किसी किसी को दर्द नहीं भी होता है और यूरिन की जगह से ब्लड निकलता है फिर उसको 5 दिन तक ऐसे ही चलता है किसी किसी के घर में बहुत सख्त नियम होते हैं जैसे अलग रहना होता है, खाना अलग खाना होता है आदि मानों छूत की कोई बीमारी हो, मेरे घर में भी यही नियम मम्मी ने लागू कर रखे हैं।“

“अच्छा स्कूल में कभी कभी लड़कियों की स्कर्ट्स पर इस तरह के स्पॉट होते हैं, तब मैडम उनकी हेल्प करती हैं तो क्या वह सब इसी वजह से होता है ?”

“हां मानसी यही होता है, वही मैं तुझे पहले से ही बता रही कि जब लड़कियां बड़ी हो जाती है तो उनके साथ ऐसा होता है ।“

“इसका मतलब है कि अब मैं भी बड़ी हो गई हूँ ? अभी तो मैं छत पर तुझसे कह रही कि मुझे छोटी ही रहना है लेकिन मैं बड़ी भी हो गई। मैं अभी 9थ में ही तो आई हूं ? इतनी बड़ी क्यों हो गई हूँ ? मुझे अभी बड़ा नहीं होना है ।“

“अरे मानसी इसमें बड़े होने की क्या बात होती है, यह तो हर लड़की की एक शारीरिक प्रक्रिया है और हर किसी के साथ घटती है फिर तू ऐसा क्यों सोच रही है कि तू बहुत बड़ी हो गई ? तू अपनी ऐज के हिसाब से ही तो रहेगी । मैं अभी 16 साल की हूं और तू अभी 13 साल की है बस इतनी सी बात है ।“ कह कर अल्का मुस्कुराई । सुन मानसी यहां पर मेरा भैया भी है अगर वह यह सब सुनेगा तो अच्छा नहीं लगेगा, तू अपने घर चल, मैं वहां चल कर तुझे सब कुछ समझ देती हूँ फिर तू उसी हिसाब से ही सब करना । ठीक है न ?”

“हाँ सही है, चल चलते हैं । अभी मेरे घर पर कोई नहीं है, पापा अभी आये नहीं हैं और मम्मी तो नानी के घर हैं ।“

“ मानसी अलका के साथ अपने घर आ गई और अल्का ने उसे सारी बातें अच्छे से समझाते हुये कहा, तू परेशान बिल्कुल मत होना, मैं हूं ना तेरे साथ । मानसी यह कोई बीमारी नहीं होती है, न ही कोई छूत की बात है । यह सिर्फ एक शारीरिक प्रक्रिया है, एक चक्र सा है जो 25 से 30 दिन का होता है इसलिए इसे मासिक धर्म भी कहते हैं । इसमें डरने की कोई बात नहीं होती है। मैं नहीं चाहती कि तुझे बिल्कुल अलग रखा जाए, तुझे सब से दूर रखा जाए, या कोई चीज छूने न दी जाये । तुझे खाना अलग, पानी अलग ऐसा कुछ नहीं होने देंगे जैसे मेरे साथ हुआ था । यह सब हम लड़कियों को भगवान ने दिया है, उसकी ही देन है । मैं उस दिन एक किताब पढ़ रही तो मैंने उसमें पढ़ा कि हमारे देश में एक कर्नाटक राज्य है । वहां पर अगर लड़की को पहली बार माहवारी या पीरियड होता है, तो एक बहुत बड़ा उत्सव सा मनाया जाता है । उसे राजकुमारी की तरह सजाया जाता है और उसके लिए सारे लोगों को बुलाकर खाना-पीना खिलाया जाता है कि आओ देखो हमारी लड़की अब बड़ी हो गई है इसके पीछे भी एक लॉजिक होता है कि लोग दूर-दूर से आते हैं सभी रिश्तेदार और मिलने जुलने वाले सभी आते है और उनको बुलाने का यही मकसद होता है कि अब हमारी लड़की बड़ी हो गई है, मतलब मां बनने के लायक हो गई है तो अब इसके लिए इसके लायक पढ़ा लिखा समझदार कोई लड़का रिश्तेदारी में या दूर के नातेदारी में या कहीं भी हो तो इसके लिए ढूंढ कर रखना । इस सब के पीछे यही होता होगा शायद लेकिन यहां पर लोग इसको बीमारी समझते हैं और छुआछूत मनाते हैं जबकि वहाँ पर सब लोग बहुत खुश होते हैं और खुशियाँ मनाते हैं। लड़की को बहुत सुंदर सा बनाकर रखते हैं उनके लोग तो कोई छूत की बीमारी नहीं मानते हैं बल्कि वे तो इसे भगवान का प्रसाद समझते हैं । ईमानदारी से अगर देखा जाए तो लड़की को खुश रखना जरूरी भी है क्योंकि एक लड़की से ही दुनिया चलती है इसी से मनुष्य जात, समाज और दुनिया आगे बढ़ रही है फिर जाने क्यों यहाँ के लोग इस भावना को मन में रखते हैं । मानसी तू ऐसा कर मेरी मम्मी को यह सब बातें पता न चलने पाये, नहीं तो वह फिर तुझे भी 5 दिनों के लिए अलग बिठा देंगी । तू मजे में रह और इसको इंजोय कर बाकी जब चाची जी आ जाएँ तो देख लेंगी वैसे मुझे लगता है कि चाची जी ऐसे कभी भी नहीं कहेंगी कि अलग रहो या यह मत करो, वो मत करो, जैसे मेरी मम्मी ने किया ।“

मानसी सब कुछ समझ गई है लेकिन उसे लग रहा है कि उसके साथ यह सब नहीं होना चाहिए । अल्का अपने घर चली गयी और वो उदास होकर बेड पर लेट गयी ।

मम्मी मुझे बहुत दर्द हो रहा है, मुझे पेट में कुछ कटता हुआ महसूस हो रहा है । क्या हो गया है मुझे ? मुझे बड़ा नहीं होना, मुझे माँ नहीं बनना । मुझे अभी पढ़ना है बहुत आगे बढ्ना है । मम्मी आप आ जाओ, मुझे आपकी याद आ रही है। मैं क्यों आ गयी यहाँ पर ? मुझे तो वही आप के साथ ही रहना चाहिए । मानसी ने सोचा ।

शाम को जब पापा ऑफिस से आए तो देखा मानसी बेड पर लेटी हुई है । उनके आने पर भी वह चुपचाप ऐसे ही लेटी रही । उसने कुछ बोला ही नहीं ऐसे ही एकदम शांत रही ।

“ मानसी....... क्या हुआ मानसी बेटा? आज तुम बहुत शांत और इतना चुपचाप क्यों लेटी हुई हो ? क्या कोई तबीयत बगैरह खराब है या कुछ हो गया है तुम्हें ? क्या हुआ है बताओ न बेटा ? किसी ने कुछ कहा है या अलका से लड़ाई तो नहीं हो गई तुम्हारी,?” पापा ने अचानक से इतने सारे सवाल उससे पूछ डाले ।

“नहीं पापा ऐसा कुछ नहीं हुआ है, मेरी अलका से तो लड़ाई कभी हो ही नहीं सकती और क्यों होगी उससे लड़ाई वो तो मेरा इतना ख्याल रखती है । बस मेरे पेट में थोड़ा दर्द हो रहा है शायद मैंने आज अल्का के घर पर उड़द की दाल और चावल ज्यादा खा लिए ।”

“वो तो तुम्हें उदास देखकर कहा कि तेरी अल्का से लड़ाई हुई है क्या ? खैर तुम्हें भी तो अल्का के यहां खाना खाए बिना चैन नहीं है । आज घर में इतना अच्छा खाना बना तो फिर भी तुम अलका के घर क्यों खाना खाने चली गयी या फिर तुमने यहां भी खाया होगा, और वहां भी खाया होगा, चलो ठीक है, कोई बात नहीं बस अब आज ही आज की बात रह गयी है कल तो तुम्हारी मम्मी वापस आ ही रही है । उनको मामा अपने साथ लेकर आ रहे हैं यहाँ पर छोड़ने के लिए ।“

“ मम्मी कल आ रही है ? पापा मुझे लग रहा कि वह परसों आयेँगी ।“मानसी इतने दर्द में भी ख़ुशी से चिहुंक उठी

“ नहीं बेटा वह कल ही आ रही है ।“ पापा ने उसे बहलाने के लिहाज से कहा ।

मानसी बहुत खुश हो गई, उसे लगा उसकी आवाज उसकी मम्मी तक पहुंच गई और वो आ रही है वाकई अगर हम किसी को सच्चे दिल से आवाज लगाते हैं तो मेरी आवाज उस तक जरूर पहुंचती है और वह सुनकर सब समझ जाते हैं, हमारी हर बात बिना कहे ही ।

उसने पापा को कोई बात नहीं बताई क्योंकि अलका उसे समझा गई थी। यह सब बातें आदमी लोगों को, लड़के लोगों को नहीं बताई जाती है, अच्छा नहीं लगता है ना । वैसे भी मानसी नहीं बता पाती लेकिन जब अल्का ने उसे समझाया था तो उसने कुछ भी नहीं कहा और ऐसे ही बहाना बनाकर चुपचाप बैठी रही ।

“अब मम्मी के आने की बात सुनकर तुम्हारी तबीयत ठीक लग रही है तो अब बताओ क्या खाओगी ? बेटा मैं तुम्हारे लिए गरम गुलाब जामुन और समोसे ले आऊं ?”

“ नहीं पापा, मेरा कुछ भी खाने का बिल्कुल मन नहीं है । मेरा पेट दर्द कर रहा है तो मैं कुछ हल्का सा खाना खाऊंगी या फिर मेरा मन कर रहा है कि मैं आज कुछ भी नहीं खाऊं ? पापा मुझे बस एक गिलास दूध दे देना, मैं गर्म गर्म दूध पीकर सो जाऊंगी।“

“ बेटा जब पेट में दर्द होता है तो दूध फायदा नहीं करता है बल्कि दूध तो नुकसान करता है, पता नहीं किसलिए पेट दर्द हो रहा है? हो सकता है खाने की वजह से हुआ है तो दूध पीना सही नहीं है, अगर ज्यादा तबीयत खराब लग रही है तो चलो डॉ को दिखा कर दवाई दिला देते हैं।“ पापा फिक्र करते हुए बोले ।

“ नहीं पापा, रहने दो दवाई मत दिला कर लाओ, हो सकता है आज मैं कुछ ना खाऊँ तो मेरा पेट दर्द सही हो जाए?”

“यह भी सही कह रही हो, डाइजेशन सही हो जायेगा जब तुम कुछ नहीं खाओगी।”

तभी अलका आ गई और वो अपने साथ में अदरक वाली गरम चाय और बिस्किट ले आई ।

“ मानसी और चाचा जी आप लोग चाय पियो, मम्मी ने चाय बनाकर भेजी है। आज मानसी के पेट में दर्द हो रहा है ना तो आज शाम को हम लोग खाना बनाकर भेजेंगे । आप खाना मत बनाना । मानसी को आज आराम करने दो मैं उसके लिए भी कुछ हल्का-फुल्का बना दूंगी । आप बिल्कुल परेशान ना हो, एक 2 दिन की ही तो बात है फिर चाची जी आ ही जायेंगी ।”

“ मानसी की मम्मी तो अब कल ही आ रही हैं बेटा । ज्यादा दिन कहां हैं ?” मानसी के पापा ने अल्का से बोला ।

“अच्छा चाचा जी, चाची जी कल आ रही हैं। मैं तो उनके आने का इंतजार कर रही हूँ कि वे आए तो मुझे खूब खाने पीने का समान मिले। वे अपने गांव से बहुत सारा खाने पीने का सामान लेकर आती है ना? फिर हम सब मिलकर आपस में बांटते हैं कि मुझे यह चाहिए, मुझे वो चाहिए । सच में मुझे बहुत खुशी हो रही है कि चाची जी कल आ रही है।”

“बेटा वह अब आ जाएंगी तो फिर तुम लोगो की भी थोड़ी जिम्मेदारी कम हो जायेगी ।”

“अरे जिम्मेदारी की क्या बात है । हम अपने घर में भी तो काम करते हैं । दो एक लोग और सही । कल मेरी मम्मी और भैया दोनों दिल्ली जा रहे हैं तो मैं भी तो आप लोगो के साथ रहूँगी, तो क्या आप पर मेरी जिम्मेदारी होगी ?”

“नहीं बेटा तुम्हारा तो हक है । तुम तो मेरी बेटी हो, जैसे मानसी मेरी बेटी, वैसे तू भी और कहते भी तो हैं न, कि बेटियां तो सबकी साझा ही होती है । बेटियां किसी एक की नहीं होती, वे सबकी होती हैं ।“

चाचा जी की बात सुनकर अल्का जोर से हंसते हुए बोली, “चाचा जी आपकी बातें तो कमाल होती हैं ।“

“मैं भी कमाल ही हूँ न बेटा?”

पापा की इस बात पर मानसी भी हंस दी है । हालांकि उसके पेट में अभी भी बहुत तेज दर्द हो रहा है और उसे बिल्कुल कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है ।

“ मानसी तू आराम कर, चाय पी, फिर मैं थोड़ी देर में आती हूँ । मम्मी की हेल्प कर दूं खाना बनाने में । हैं न ?”

“ठीक है अलका, तू जा मैं चाय पी लूंगी।“

अलका चली गई थी मानसी और उसके पापा ने चाय और बिस्किट खा लिए ।

अलका उसकी बहुत ही प्यारी और बहुत ही अच्छी दोस्त है । कितना अपनापन रखती है इतना तो उसकी अपनी बड़ी बहन भी शायद नहीं रखती है । हर बात का ख्याल रहता है । कभी कभी मानसी सोचती है कि उसकी दो बड़ी बहनें होने के बाद भी कभी उसके बारे में नहीं सोचती हैं, न ही कभी कोई भाई यह सोचते हैं कि पापा का रिटायरमेंट हो गया है तो घर के खर्चे और मानसी की पढ़ाई में थोड़ी हेल्प ही कर दें । किसी को ज़रा भी चिंता नहीं सब अपने घर परिवार में मस्त हैं।

क्रमशः...