Aur Usne - 14 in Hindi Fiction Stories by Seema Saxena books and stories PDF | और उसने - 14

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और उसने - 14

(14)

“क्योंकि मेरे भाई को रात में सोते समय चलने की बीमारी है ना, वह कहीं भी उठ कर चला जाता है और सो जाता है। कभी जमीन पर ही लेट कर सो जाता है । उसी वजह से उसका इलाज कई सालों से चल रहा है तो उसे महीने में एक बार दिल्ली जाना पड़ता है लेकिन इस बार वह तीन चार महीने से नहीं गया है, उसके ऑफिस से छुट्टी ही नहीं मिली थी । अब जायेगा तो उसे दो-तीन दिन रुक कर ही आना होगा । मम्मी भी उसके साथ में ही जायेगी ।”

“ठीक है जाने दो ना, तुम मेरे पास ही रुक जाना अलका और फिर मुझे अच्छा भी लगेगा, अब मेरी मम्मी तो आ ही रही हैं तुझे कोई परेशानी भी नहीं होगी ।“

“अगर तू नहीं कहेगी न, तो भी मैं तेरे साथ ही रहूंगी और कहीं नहीं जाने वाली । मैं अकेले तो घर में रह नहीं पाऊंगी और ना मैं मम्मी के साथ जाऊंगी तो बचा क्या ? एक तेरे घर का ठिकाना और बस तेरा आसरा है।” अल्का ने हँसते हुए कहा। “वह गाना सुना है ना मानसी तुमने ? मैं तो बेघर हूँ अपने घर ले चलो, घर में हो मुश्किल तो तो दफ्तर ले चलो ।” अल्का ने गाने को गुनगुनाते हुए कहा।

“हाँ अच्छा गाना है लेकिन मेरा तो कोई ऑफिस नहीं है, बस घर ही है वहीं रुक जाना, नहीं तो मत रुकना।“ मानसी ने मस्ती से कहा।

“मैं जानती हूँ कि तेरा कोई ऑफिस नहीं है लेकिन एक दिन ऑफिस भी होगा और घर भी खूब बड़ा होगा, ठीक तेरे दिल की तरह ।”

“अरे अल्का तू यह क्या बेकार की बातें करने बैठ गयी ?मानसी थोडा शरमा गयी है ।

हाँ मानसी सच में जैसे तेरा दिल बहुत बड़ा है ना, ठीक वैसा ही तेरा बहुत बड़ा सा घर होगा और ऑफिस भी।“

“ तेरा भी दिल कोई छोटा नहीं है तेरा दिल मुझसे बहुत बड़ा है । अब ज्यादा मत समझा मुझे।“

“ ठीक है, हम दोनों का ही दिल बहुत बड़ा है । तेरा भी और मेरा भी, ओके, अब खुश है न ?” अलका मुस्कुरायी !

“तू भी खुश है न अल्का, अगर तू खुश है तो मैं भी बहुत खुश हूँ ?”

“हाँ मैं बहुत खुश हूँ, बहुत ज्यादा खुश।“ अलका ने अपनी दोनों बाहें फैलाते हुए कहा और जोर से हंसी।

“खुश है और मैं चाहती भी तो यही हूं कि मेरी सहेली अलका हमेशा खुश रहे खूब खुश रहे।“

“ कितनी लंबी और पतली पतली लग रही है अलका, कितना बदल गया इसका रंग रूप, चाल ढाल हाव-भाव, हर तरह से बिल्कुल अलग लग रही है । पहले जैसी तो बिलकुल नहीं लग रही है, क्या हुआ है इसको ? यह कौन सी बात है जो मुझसे छुपा रही है ? वो कौन सी ऐसी राज की बात है जो मुझे बताना नहीं चाह रही है? क्यों नहीं बताना चाह रही ? मैं तो इससे कभी कुछ नहीं छुपाती हूँ और हां यह भी तो मुझसे कभी कुछ नहीं छुपाती है। जो भी बात होती है एकदम साफ साफ कहती है फिर इसे आज ऐसा हुआ है? जो मुझे बता नहीं रही है ? इतना खुश है, मन ही मन मुस्कुरा रही है ऊपर से भी दिखा रही है लेकिन ......चलो ठीक है इसे खूब खुश होने दो, वैसे कुछ तो जरूर है । खैर मेरी प्यारी सहेली है । अल्का तू खूब खुश रहे । मानसी ने मन ही मन सोचते हुए यह प्रार्थना की।

“ क्या सोच रही है मानसी ? एकदम से बड़ा धीर गंभीर व्यक्तित्व बना लिया है तूने अपना।”

“ कुछ नहीं अल्का वैसे ही सोच रही हूँ कि दुनिया बहुत अच्छी है ना, और जब तू हँसती है तब और प्यारी लगने लगती है।“

“हां सच में बहुत प्यारी दुनिया है, बहुत प्यारी एकदम सुंदर और खूबसूरत । मुझे तो हर चीज बहुत प्यारी लगती है इन दिनों, यह दुनिया फूल पत्ते खुशबू गज़ब का नशा है इस खुशबू में । दुनिया की एक एक बात मेरे मन को छू रही है आजकल मुझे दुनिया बहुत प्यारी लगती है,” इस पर ही कोई गाना हो जाये मानसी, तुझे तो बड़ा शौक है ना गाने का ?

“हर बात में तो आज तुझे ही गाना सूझ रहा है इस बात पर तुझे कोई गाना नहीं सूझ रहा? अब तू ही बता और तू ही सुना।“

“हाँ सूझ तो रहा है, चल आज मैं ही सुनाती हूँ अपनी टूटी फूटी आवाज में, मुझे जब से मोहब्बत हो गई है यह दुनिया खूबसूरत हो गई है ..................

“ओ हो तो यह बात है, मोहब्बत अभी से, अभी तेरी उम्र ही क्या है?” मानसी कहा।

क्यों स्वीट सिक्सटीन हो जाऊँगी । 16 साल की उम्र का जो प्यार होता है ना वो सबसे न्यारा होता है, सबसे प्यारा और मासूम । निर्मल एकदम शुद्ध मन का प्यार, पहला प्यार 16 साल की उम्र का प्यार । वो गाना नहीं सुना तूने मानसी “सोलह बरस की बाली उमर को सलाम, ए प्यार तेरी पहली नजर को सलाम, ओ प्यार तेरी पहली नजर को सलाम।”

अलका मुझे तो ऐसा लगता है तुझे कुछ जादू हुआ है या तेरे सर पर आज कोई भूत सवार हो गया है । तो तू बस गाने ही गाती रहेगी नए-नए प्यार ही प्यार इश्क मोहब्बत के गाने मुझे तो भैया यह कुछ समझ नहीं आता । इश्क मोहब्बत प्यार व्यार मैं नहीं जानती ।”

“दिल विल प्यार व्यार तू क्या जाने रे”

“बस ठीक है, तू बस आज गाने ही गाती रह, तू गाना गाने के अलावा मुझसे कोई बात मत कर, मुझे भी तुझसे कोई बात नहीं करनी, हर बात पर गाना हर बात पर गाना, चल जा यहाँ से । तू तो दीवानी हो गई है दीवानी। सुन अल्का अब मैं नीचे जा रही हूँ, तू यहाँ छत पर अकेले बैठ कर गाने गाती रह ।“ मानसी उसके यूं हर बात में गाने से उकता कर बोली।

“हाँ हाँ मैं तेरे प्यार में पागल, हाँ मैं उसके प्यार में पागल।"

“किसके?” मानसी ने एकदम से पूछा।

“उसी के जो रोज मिलता है, मुझसे मिलने आता है, मुझे घर तक छोड़ने और मुझे साथ लेकर जाता है सेंटर तक, जिसकी कमल की जैसी बड़ी बड़ी आंखें और वह खूबसूरत चेहरे वाला मैं उसे पता क्या कहती हूं मैंने तो उसका नाम रख रखा है कमलनयन।”

“ नाम तो बड़ा अच्छा रखा है तूने क्या सोच कर रखा है ?”

“कहीं तुझे भी तो नहीं पसंद आ गया ना ?”

न ना मुझे नहीं पसंद आने वाला, जो तुझे पसंद आया है वह मुझे कैसे पसंद आ सकता है मेरी तेरी चॉइस कोई एक जैसी थोड़े ही ना है, तुझे जो पसंद है वह जरूरी नहीं हो मुझे भी पसंद हो? तुझे संगीत सीखना कहीं पसंद था, अब थोड़ा पसंद आ गया मुझे देख कर, तुझे सिलाई कढ़ाई बुनाई पसंद है लेकिन मुझे तो नहीं पसंद है ना और फिर वह तो तुझे पसंद करता है तो मुझे क्यों पसंद करेगा । अगर वह अच्छा इंसान होगा और तुझे सच्चे मन से प्रेम करता होगा तो वह सिर्फ तुझे ही पसंद करेंगा और सिर्फ तुझे ही प्यार करेगा, वह सिर्फ तेरे साथ ही निभाएगा इधर उधर मुँह नहीं मारता फिरेगा ।” मानसी न जाने क्या क्या बोले जा रही थी ।

“ मानसी तुम इश्क मोहब्बत प्यार व्यार कुछ नहीं जानती हो फिर यह इतनी बड़ी बड़ी बातें, प्यार की बातें, समझाने की बातें, निभाने की बातें शेरो शायरी बाते यह सब बाते तूने कहाँ से सीख ली ?

“मैंने पिछले जन्म में सीखी होंगी किसी ने बताई सिखाई होंगी, इस जन्म में तो मैं नहीं जानती यह प्यार मोहब्बत, इश्क विष्क, प्यार व्यार।

“ पता है तू क्यों नहीं जानती क्योंकि तेरा ध्यान इस समय पढ़ाई में लगा है और अभी तू बच्ची है, छोटी सी बच्ची, तू क्या जाने कि प्यार क्या होता है, एक बार बड़ी हो जा सब पता चल जायेगा ।“ अल्का हँसती हुई बोली।

हां ठीक है, मुझे छोटी बच्ची ही रहने दो, मुझे छोटा बनके रहना है मुझे नहीं होना बड़ा, क्या करूंगी प्यार जानने के लिए बड़ा होकर, ।“

“अच्छा मानसी, अभी मैं जा रही हूँ तुझे छत पर बैठना है तो तू बैठ, मैं नीचे जा रही हूं । मम्मी की कुछ पैकिंग बगैरह करनी है । जाकर उनकी थोड़ी हेल्प कर दूँ । कल तो तेरी मम्मी आ रही है ना, मतलब मेरी चाची जी ।“

“नहीं, कल नहीं परसों आ रही है ।

“इसका मतलब अभी एक-दो दिन है उनको आने में ?”

“हां यार अभी 2 दिन है । अब मैं मम्मी को मिस करने लगी हूँ । सच में अल्का मुझे मम्मी की याद आने लगी है । मैं अकेले यहाँ क्यों आ गयी ?” मानसी के चहरे से उदासी साफ झलक रही थी ।

“ऐसी बातें मत कर मानसी, जब तू उदास होती है तब मुझे अच्छा नहीं लगता है ।

“मुझे लग रहा है, कि मेरी मम्मी मुझे आवाज लगा रही हैं ।“ मानसी भावुक होते हुए बोली ।

“अच्छा चल अब मैं जा रही हूँ ।” अलका ने कहा ।

“ठीक है, ठीक है अल्का तू जा । अल्का नीचे चली गई और मानसी छत पर ही बैठी रही । छत के किनारे किनारे एक बाउंड्री बनी हुई है, उसी के उपर बैठी हुई मानसी सोच रही है कि अलका आजकल इतनी सुंदर क्यों लग रही है ? कितनी प्यारी लग रही है, उसके चेहरे पर कितनी रौनक है ? ऐसा लगता है जैसे दुनिया की सारी खुशियाँ सिमट कर इसके पास आ गयी हैं । हे ईश्वर इसको खूब खुशियां देना, यह हमेशा खुश रहे, ऐसे ही हँसती मुसकुराती रहे मेरी प्यारी सहेली, कोई दुख इसे छू भी न पाये।

वह सब सोच ही रही है कि उसके पेट में अचानक से बहुत तेज मरोड़ उठी, बहुत ही तेज दर्द, उसे लगा कि पूरा पेट फट जाएगा, उसके पेट में कुछ कट रहा है ? पता नहीं क्या हो रहा है ? उसे क्या हो गया ? वह अपना पेट पकड़ कर जमीन में बैठ गई और उसका दिल कर रहा है कि वह पेट को दबाकर जमीन में लेट जाये। पेट में इतना तेज दर्द क्यों हो रहा है ? मानो कोई आग का गोला पेट में घूम रहा है । अभी तो मैं बिल्कुल सही लग रही फिर अचानक से मुझे क्या हो गया ? क्यों मेरे पेट में दर्द हो रहा है ? अभी तो घर पर कोई भी नहीं है, पापा भी नहीं है, मम्मी तो है ही नहीं, वह तो नानी के घर में हैं । अब मैं क्या करूं ? अलका भी चली गई, पेट तो जैसे फटा जा रहा है, मानसी अपने पेट को पकड़े पकड़े जल्दी से उठी और नीचे आकर बाथरूम में बैठ गई । अचानक से बहुत सारा ब्लड यूरिन के रास्ते से निकल के पूरे बाथरूम में फैल गया । ओहह ! मुझे यह सब क्या हो गया है ? लगता है शायद मुझे कुछ बीमारी हो गयी है या फिर कहीं चोट तो नहीं लग गयी ? वह यह सब देखकर और सोच कर घबरा रही है किससे कहूं मैं, कैसे बताऊं किसी को ? पापा को कहूंगी तो क्या कहूंगी कि मुझे यूरिन में ब्लड आ रहा है, नहीं मैं उनसे नहीं कह सकती ? तेज दर्द से फटते पेट को पकड़ा और वहां पर उसने खूब सारा पानी डाला जिससे सारा ब्लड बह जाये । घर का दरवाजा ऐसे ही खुला छोड़ करके वो अलका के घर पर आ गई । अलका अपने कमरे में बैठी हुई है और शायद अपनी मम्मी के किसी कपड़े की कुछ सिलाई कर रही है ।

“अरे मानसी क्या हुआ तुझे ? अभी तो अपने घर की छत पर बैठी हुई और अब अचानक से तू यहाँ आ गयी ? और यह तेरे चेहरे को क्या हुआ ? तेरा चेहरा इतना उतरा हुआ क्यों है ? क्या मेरे बिना तेरा मन नहीं लगा ? अरे तेरा चेहरा तो एकदम से पीला पड़ रहा है।” अल्का उसके उदास चेहरे को देखकर उदास हो गयी और थोडा चिंतित भी ।

“मानसी ने कहा, अलका मेरे पेट में बहुत तेज दर्द हो रहा है । मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है ? जब मैं बाथरूम में गई तो मेरे साथ ऐसा ऐसा हुआ ? जैसे तू मुझे एक बार बता रही न ठीक वैसे ही ।“ मानसी ने उसे सारी बात बताते हुए कहा।

“मैं तुझे क्या बता रही ? मुझे याद ही नहीं आ रहा है ।“

“अरे तू मुझे बता रही ना एक बार कि जब लड़कियां बड़ी हो जाती हैं तब उनको कुछ होता है ? अल्का क्या यही सब होता है ?”

क्रमशः...