Aur Usne - 13 in Hindi Fiction Stories by Seema Saxena books and stories PDF | और उसने - 13

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और उसने - 13

(13)

घर पर आकर मानसी ने सबसे पहले सारे घर की साफ सफाई की । लग रहा है उन लोगों के जाने के बाद पापा ने घर में कुछ किया ही नहीं । वे तो बस अल्का के घर पर ही खाना खा आते और अपने घर में आकर सो जाते थे । अब मानसी और पापा दोनों मिलकर खाना भी बना लेते, कभी कभार अल्का की मम्मी खाना खाने को बुला लेती ।

अलका सिलाई, कढ़ाई, बुनाई का कोर्स कर रही है, उसको वैसे भी पढ़ाई लिखाई में मन नहीं लगता है न उसे तो यही सब पसंद है सो वह यही सीखने में लगी हुई है ताकि वो यह सब सीख कर और भी ज्यादा होशियार हो जाये ।

और मानसी को बचपन से ही गाना गाने, नाचने और बजाने का बड़ा शौक है । इसलिए अपने इसी शौक की वजह से उसने हारमोनियम बजाना सीखना शुरू कर दिया उसने सबसे पहले यह गाना सीखा....

होठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो

बन जाओ मीत मेरे, मेरे गीत अमर कर दो ।

अब बहुत मजे आने लगे, मानसी और अलका दोनों साथ-साथ अपने कोचिंग सेंटर जाते हैं और साथ-साथ ही वापस आती हैं, घर में पापा थोड़ी हेल्प करते, थोड़ी वह करती और सारे काम आसानी से निबट जाते हैं । कभी-कभी अलका के घर पर उसका दिन गुजर जाता और कभी अल्का का उसके घर पर । पता ही नहीं चला कब एक महीना गुजर गया अभी बस 15 दिन और सीखने जाना है फिर स्कूल खुल जायेंगे । मानसी ने अब तक हारमोनियम पर तीन गाने बजाने बहुत अच्छे से सीख लिए ।

इधर कुछ दिनों से मानसी देख रही है कि एक सुंदर सा लड़का अलका के पीछे पीछे या अलका के साथ-साथ आने की कोशिश कर रहा है । वह बहुत ध्यान से देख रही है लेकिन समझ ही नहीं पाती है कि यह क्यों हमारे साथ आने की कोशिश कर रहा है । हो सकता है वह भी यहाँ कोई कोर्स कर रहा हो क्योंकि वह सेंटर बहुत बड़ा है, वहां पर लड़कों के लिए भी कई कोर्स और टायपिंग, शार्ट हेंड यह सब चीजें भी सिखाई जाती जाती हैं शायद उसी सेंटर में ही वह भी कोई न कोई कोर्स सीखने के लिए आता होगा और उसकी भी छुट्टी का समय यही होता होगा तो वो भी सड़क पर चलता होगा और उसे अल्का के संग में चलता हुआ लगता होगा, यह उसका वहम हो सकता है । लेकिन कई दिनों से नोटिस करते करते उसे सचमुच यह एहसास हो गया है कि नहीं वह लड़का अल्का के साथ ही आ रहा है । या उसके पीछे पीछे ही चला आ रहा है। मानसी ने बड़े गौर से देखा कि अल्का कभी इस बात का विरोध भी नहीं करती ना ही कुछ कहती है बल्कि उसको देखती है तो स्माइल पास कर देती है। मानसी को थोड़ा नहीं, बहुत ज्यादा अजीब लगता कि यह एक ऐसा क्यों करती है एकदम छुई मुई सी बनी रहती है थोड़ी स्मार्ट क्यों नहीं बनती, या यह थोडा तेज क्यों नहीं चलती या उसको मना करें कि क्यों बेमतलब के वो उसके आसपास घूमता रहता है । मुझे तो लग रहा है यह अल्का ही इसे बढावा दे रही है तभी तो कुछ कहती नहीं है और इसे वैसे ही पढ़ाई का कोई शौक नहीं है। इसे सिर्फ घर ग्रहस्थी बसाना है,। जल्दी ही शादी कर लेगी लेकिन फिर भी अभी इसकी उम्र ही क्या है? 9थ में ही तो अभी आई है अभी तो इसे कितना आगे पढ़ना है? क्या करे वो उसे कुछ समझ नहीं आ रहा । मानसी यूं ही मन ही मन परेशान होती रहती ।

उस दिन मानसी घर पर आकर चुपचाप अपने कमरे में लेट कर बहुत देर तक उसके बारे में ही सोचती रही । पापा काम से वापस आ गए और मानसी के लिए गरम इमरती लेकर आए हैं, बाहर से ही आवाज लगाते हुए कहा, मानसी जरा यह इमारती का एक पैकेट अल्का को दे आओ जाकर ।

हे भगवान आज पापा फिर मीठा खाने का ले आए हैं इनको न जाने क्यों इतना शौक है खिलाने पिलाने का । खुद तो कुछ खाते नहीं हैं लेकिन उसके और अल्का दोनों के लिए कुछ न कुछ जरूर ले आते हैं । पापा हमेशा कहते हैं कि लड़कियां साझा होती हैं इसलिए मैं अलका को भी अपना समझ कर प्यार देता हूँ । साझा मतलब किसी की भी कोई लड़की है तो वह अपनी लड़की जैसी है क्योंकि शादी के बाद तो सब लड़कियों को पराया ही होना है फिर अपनी कहाँ रहती है जाना ही पड़ता है उसे ससुराल अपनों से दूर पिया के देश परायों के बीच ।

मानसी पर तो अपनी जान ही छिड़कते हैं अगर उसे कोई चीज पसंद आ जाये तो वो कितनी भी मंहगी क्यों न हो सबसे पहले उसे वह चीज दिलाएंगे । वे उसको तो कभी किसी चीज के लिए मना करते ही नहीं है । उसके लिए रोजाना कुछ पैसे जरूर देते हैं। खाने पीने के लिए या किसी और जरूरी खर्चे के लिए । उनके पास न हो फिर भी थोड़े पैसे देते हैं भले ही अपनी बचत में से देने पड़े । जब से मम्मी नहीं है तब से तो पैसे भी देते हैं और खाने पीने का समान भी रोज लाकर देते हैं।

“जी पापा आ रही हूँ ।” मानसी सोचती भी जा रही है और पापा की बात का जवाब भी दे रही है ।

पापा उसके लिए और अल्का दोनों के लिए इमरती लाये, मानसी का मन नहीं है अल्का के घर जाने का और अल्का से बात करने का लेकिन पापा को कैसे मना करती इसलिए उसने अल्का की मम्मी को बाहर से आवाज लगाई, “चाची जी जरा सुनो।“

“मानसी अंदर आ जा बेटा ।“ वे घर के अंदर से ही बोली ।

“नहीं चाची जी आज आप आओ ।”

“हाँ बेटा, क्या हुआ अंदर क्यों नहीं आ रही हो ?” वे बाहर आते हुए बोली ।

“वो न चाची जी, आज पापा के लिए चाय बनाने को पानी गैस पर रख कर आई हूँ न इसलिए मैं अभी अंदर नहीं आ रही हूँ । बाद में आराम से आती हूँ और हाँ चाची जी यह गरम इमरतियाँ मेरे पापा अलका के लिए लेकर आए हैं, आप और भैया भी ध्यान से खा लेना ।” इमारती का पैकेट उनको पकड़ाते हुए उसने कहा।

“क्यों लाते रहते हैं भाईसाहब इतना सब कुछ ?” उन्होने हिचकिचाते हुए पैकेट हाथ में लेते हुए कहा । तब तक अल्का भी बाहर आ गयी है लेकिन मानसी उससे कुछ नहीं बोली और इमरती का पैकेट देकर वापस अपने घर आ गयी है । उसे अल्का पर अभी भी बहुत गुस्सा आ रहा है ।

अगले दिन जब वह कोचिंग सेंटर जा रही, तो अलका भी उसके साथ में ही है । अलका ने खूब सुंदर सा पिंक कलर का सूट पहना हुआ है और थोड़ा सा मेकअप भी किया हुआ है । आज वो खूब बड़ी बड़ी सी लग रही है लेकिन बहुत प्यारी भी लग रही है, इतनी प्यारी कि मानसी का मन किया कि वो उसके गले में बाहें डालकर उसका गाल चूम ले लेकिन सड़क पर ऐसे करना अच्छा नहीं लगता इसलिए चुप ही रही । पर उसका मन नहीं माना और मानसी ने अपनी एक बांह उसके गले में डाल दी और ऐसे ही उसके साथ साथ चलने लगी, आज यह सूट तुम पर बहुत प्यारा लग रहा है अलका, तुमने पहली बार कोई सूट पहना है न, हमेशा स्कर्ट, फ़्रोक या जींस पहनने वाली अलका आज सच में बहुत प्यारी और उम्र से थोड़ी बड़ी भी लग रही है । अलका कुछ नहीं बोली बस मुस्कुरा दी, कितनी मासूम मुस्कान है इस अलका की कोई भी दीवाना हो जायेगा इसका तो, तभी मानसी ने देखा कि वह लड़का भी आ गया है और उन लोगों के साथ-साथ चल रहा है, कुछ दिनों से वह देख रही है कि वो लड़का आते समय भी यहीं से साथ में चलने लगता है और वापसी में घर के पास वाली गली तक साथ साथ आता है और फिर वापस चला जाता है । उससे पहले वह थोड़ी दूर साथ चलता है और दूसरे रास्ते पर मुड़ कर चला जाता है और वह लोग घर की तरफ आ जाती लेकिन अब वह ठीक घर के पास वाली गली तक आता है फिर वापस लौट कर जाता है । जाते समय वो अल्का को देखकर हल्के से मुसकुराता है, अलका भी उसको एक स्माइल देती है । क्या चल रहा है इन लोगों के बीच में ? मानसी ने अलका से पूछने की कोशिश की लेकिन फिर उसने सोचा रहने दो क्या पूछना एक दिन अलका खुद ही उसे सब कुछ बता देगी क्योंकि वह अपने मन में कभी कोई बात नहीं रखती, अगर उसने अभी अपने मन में कोई बात रखी हुई है तो इसका मतलब है कि कोई बहुत बड़ी बात है, जो वह उस से छुपा रही है और वह नहीं चाहती कि यह बात मानसी को पता चले ।

खैर यूँ ही दिन गुजर रहे हैं । वैसे दिन तो पंख लगाकर उड़ जाते हैं मानों दिन नहीं पंक्षी हो । मानसी को हारमोनियम सीखते हुए पूरा डेढ़ महीना होने को आया है, अब बस केवल कुछ दिन ही बचे हैं स्कूल खुलने में और सेंटर में हारमोनियम सीखने के भी, इसलिए मानसी खूब मन लगाकर सीख रही है, वहां की मैडम तो एक हफ्ते में एक गाना सिखाती हैं और अगले हफ्ते उसी गाने का रियाज कराती रहेंगी, जबकि मानसी चाहती है कि जल्दी से जल्दी पूरा सीख जाए आगे फिर सीखने का मौका मिला या नहीं मिला । उस दिन सेंटर से घर पर आकर वह अपने गाने की प्रैक्टिस कर रही । एक पुरानी फिल्म साजन का गाना था "बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम" वह यही गाना गा रही और साथ ही हारमोनियम भी बजाते जा रही, घर पर पापा नहीं हैं और वह अकेली ही बैठी हुई है, तभी अलका आ गई । वो बोली, “मानसी, तुम तो बहुत अच्छा हारमोनियम बजाने लग गई हो और वह गाना तो तुमने इतना अच्छा गाना शुरू किया है जो मन को छू रहा है, बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम, यह कितना अच्छा गाना है । मानसी, इस गाने को एक बार फिर से सुनाओ ना ?” अलका ने बड़े अनुरोध से कहा ।

“ठीक है अल्का ।“ मानसी ने हारमोनियम बजते हुए गाना शुरू किया, अल्का बड़े ध्यान से उस गाने को सुनती रही । गाना खत्म होने के बाद अल्का बोली, “मानसी तू इस तरह से गा रही है कि यह सीधे मेरी रूह में उतरता जा रहा है ऐसा लग रहा है कि मेरे रोम रोम इस लय में पुलकित हो रहे हो । वैसे मुझे भी गाने का बहुत शौक है । यह जो संगीत होता है न, तन और मन दोनों को स्वस्थ रखता है साथ ही किसी के मन को छूने का काम भी करता है ।”

 

“हाँ सही है, तू मुझसे ही सीख लेना, क्योंकि अब तो पढ़ाई शुरू हो जायेगी तो सेंटर जाने का समय नहीं मिलेगा ।” मानसी ने अल्का से कहा।“ तुझे पता है न अलका,कि मुझे यह सिलाई, कढ़ाई, बुनाई सीखना बिलकुल पसंद नहीं है। पर मुझे शटल चलाना बहुत पसंद है। वह मैं जरूर सीखूंगी उसमें बहुत बारीक काम होता है। सुन अल्का उसकी एक लैस बनाकर तुझे भी दूँगी फिर तू जब अपना सूट सिलना उसमें वो लैस लगा लेना,ठीक है न अल्का?

“तू शटल चलाना तो घर में ही सीख लेगी । वो तो बहुत सरल है लेकिन हाँ उसका बहुत बारीक काम होता है जिस वजह से कोई इसे सीखता नहीं है ।”

“हाँ मैं यह काम जरूर सीखूंगी। मुझे बहुत अच्छा लगता है जब मैं किसी भी लड़की को कभी स्कूल में शटल चलाते हुए देखती हूँ, तो मेरा मन करता है कि मै भी चलाऊँ।”

“हाँ हाँ सीख लेना, अच्छा छोड़ अब यह हारमोनियम, चल छत पर चलते हैं। देख आज कितना अच्छा मौसम हो रहा है ।“ अल्का ने उसे उठाते हुए कहा ।

“सुन अल्का एक बात तो बता, आजकल तू बहुत सुंदर होती जा रही है क्या बात है तू मुझे नहीं बताएगी ?” मानसी ने अल्का से पूछा ।

“मेरी मम्मी कहती हैं कि जब लड़कियां बड़ी हो जाती हैं न, तो बहुत सुदर लगने लगती हैं और उनके बाल भी लंबे, घने और सुंदर हो जाते हैं।” अल्का ने मानसी को समझाया।

“अच्छा ऐसा होता है लेकिन मेरे बाल तो अभी बड़े नहीं हुए, न मैं सुंदर हुई हूँ जबकि मैं तेरे बराबर लंबी हो गयी हूँ ।“ मानसी थोड़ा उदास होते हुए बोली ।

“अरे तू अभी बड़े होने का मतलब भी नहीं जानती है, थोड़ा रुक सब समझ जायेगी।” अल्का ने उसके गाल पर प्यार से एक चपत लगाते हुए कहा।

“ठीक है मैं रुकती हूँ लेकिन मुझे रुकना नहीं है, छत पर चलना है न ।“ कहते हुए मानसी ज़ोर से खिलखिला पड़ी । “अब मेरी मम्मी भी दो दिन में आने वाली हैं ।“

“यह सही है कि चाची जी आ जायेंगी क्योंकि स्कूल भी तो आठ दिनों के बाद खुल ही रहे हैं न ?”

“हाँ इसलिए ही तो आ रही हैं।“

“लेकिन मानसी अब मेरी मम्मी भाई के साथ दिल्ली जा रही हैं ।“

“क्यों ?”

क्रमशः...