काला जादू ( 15 )
रूपा विंशती के साथ अश्विन के बेडरूम में जाती है, उस समय अश्विन बाथरूम में ही था ।
रूपा ने वहाँ आकर ज्योति से पूछा " आश्विन कोताए गेलो? (अश्विन कहाँ गया? )"
" वो बाथरूम में नोहाने गया है.... "पीछे खड़ी विंशती ने कहा।
" तुमको कैशा पोता? " रूपा ने तिरछी निगाहों से उसे देखते हुए कहा।
" होमारा शामने गया था इसीलिए.... "
" तुमको उनशे मोतलब रोखने का ज्यादा जारूरत नहीं है सोमझा? " रूपा ने विंशती से आक्रोशित स्वर में कहा।
इस दौरान अश्विन बाथरूम में से निकल ही रहा था, उसने नहा धोकर काली टीशर्ट के साथ काला लोअर पहना हुआ था,वह काली टीशर्ट उसके बाजुओं पर थोड़ी कसी हुई थी जिससे उसकी कसरती बाजू साफ दिखाई दे रही थी ।
उसने रूपा को विंशती पर ऐसे गुस्सा करता देखकर कहा " क्यों धमका रही हो उसे? " ये कहते समय उसकी आवाज में आए गुस्से को ज्योति ने महसूस कर लिया था।
अश्विन की बात सुनकर रूपा थोड़ा डर गई लेकिन फिर वह अगले ही पल बोली " ये आपका बारे में बहुत बोलता है इशलिए इशको मोना कोर रहा था...."
" इससे तुम्हें क्या तकलीफ है? " अश्विन ने गंभीर स्वर में कहा।
यह सुनकर रूपा कुछ ना कह सकी लेकिन फिर विंशती ने कहा " अ...ये बोल रहा था कि आपने इशको अपना घोर से बाहर निकाला था... "
" हाँ बिल्कुल निकाला था, मुझे लगा कि मेरी गैर हाजिरी में ये मेरे घर पर पता नहीं क्या कर रही थी इसलिए निकाल दिया.... इसने चुगली लगाई क्या मेरी तुमसे? " अश्विन ने कहा।
" नहीं नहीं होम कुछ नहीं बोला.... विंशती होम घोर जाता है तुम भी आ जाना... " कहकर रूपा वहाँ से तेजी से निकल गई।
यह देखकर अश्विन ने विंशती से कहा " इसने मुझे देखकर ऐसा रिएक्ट क्यों किया जैसे मैं इसको खा जाऊँगा? "
" वो डोर गया आपको देखकर... " विंशती अश्विन को चिढ़ाते हुए वापस ज्योति के पास बैठते हुए बोली।
" अच्छा.... लेकिन क्यों? "
" आपका शूरोत ही ऐशा है.... " विंशती ने मुस्कुराते हुए कहा।
" अच्छा तुम तो नहीं डरी थी मुझसे, बल्कि तुमने तो मुझे आइस्क्रीम भी दी थी... " अश्विन ने मुस्कुराते हुए कहा।
" होमको नहीं लोगता होम तो बहादुर है.... " विंशती ने कहा।
यह सुनकर अश्विन कुछ ना बोल सका , उसने ज्योति से कहा " मम्मी पापा नजर नहीं आ रहे? "
" वो विंशती की माँ ने कुछ सामान मँगवाया था, वही लेने गए हैं... " ज्योति ने कहा।
" अच्छा मम्मी मैं जरा लाइब्रेरी जा रहा टाइम पास के लिए कुछ किताबें लेने.... आप के लिए कुछ लेकर आऊँ? " अश्विन ने बाईक की चाबी लेते हुए कहा।
" बस तू ही जल्दी से आ जाना.... " ज्योति ने कहा।
उसके बाद अश्विन वहाँ से चला गया उसके जाते ही ज्योति ने विंशती से कहा " तुमने अश्विन को आइस्क्रीम दी थी? "
" हाँ जी....आपका लिए भी लाऊँ आज? " विंशती ने मासूमियत से कहा।
" नहीं बेटा उसकी जरूरत नहीं है... " ज्योति ने मुस्कुराते हुए विंशती के सिर पर हाथ रखते हुए कहा।
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अगले दिन अश्विन नहा धोकर तैयार होकर अपना आॅफिस बैग और बाईक की चाबी लेकर बेडरूम से बाहर आया तो उसने सामने रूपा को हाथ में एक स्टील का टिफिन लिए खड़े पाया, इस दौरान उसने लाल रंग का क्राॅप टाॅप और जींस पहनी हुई थी इसके साथ ही उसने अपने बाल खुले रखे थे, वह अश्विन को देखते हुए मुस्कुरा रही थी ।
उसे वहाँ खड़े देखकर अश्विन ने कहा " क्या काम है? "
" वो होम आपका लिए टिफिन लाया था.... " रूपा ने वह टिफिन अश्विन की ओर बढ़ाते हुए कहा।
यह देखकर अश्विन पहले तो मन ही मन कुछ बड़बड़ाने लगा लेकिन फिर कहा " आज मेरा व्रत है... "
" व्रत आप किशी और दिन रोख लेना ना... " रूपा ने वह टिफिन अश्विन के हाथों में पकड़ाते हुए कहा।
" तुम्हें एक बार में समझ नहीं आता क्या? "अश्विन ने क्रोधित स्वर में कहा।
" आपका प्रोबलम क्या है? होमारा जैशा इतना खूबसूरत लोड़की तुम्हें टिफिन दे रहा है और तुम मोना कोरता है..... "
यह सुनकर अश्विन ने गंभीर स्वर में कहा " गेट आउट...."
अश्विन के मुँह से अपने लिए यह सुनकर रूपा को बहुत गुस्सा आया और वह बोली " तुमको बहुत ज्यादा घोमंड है ना खुद पोर.... ओगर होमने तुम्हारा ये घोमंड ना तोड़ा तो होमारा नाम भी रूपा नहीं.... "
" तो अपने लिए कोई दूसरा नाम सोच लो फिर...." कहते हुए अश्विन अपने फ्लैट से बाहर की ओर चला गया।
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अश्विन आॅफिस में आकर अपने कैबिन में बैठ गया , कुछ देर वहाँ बैठकर कुछ सोच ही रहा था कि तभी उसके कैबिन के दरवाजे पर पीयूष ने आकर कहा " मे आई कम इन सर... "
" कम इन... " अश्विन ने कहा।
उसके बाद पीयूष अश्विन के कैबिन में आ गया और बैठते हुए फुस्फुसाते हुए कहा " सोर आपशे कुछ बात कोरना था.... "
" इतना धीरे क्यों बोल रहे हो? जोर से बोलो... " अश्विन ने हैरानी से कहा।
" सोर कहीं किशी ने शुन लिया तो? "
" इतने धीरे बोलोगे तो मैं भी नहीं सुन पाऊँगा.... और वैसे भी तुम अभी मेरे कैबिन में हो तो कोई नहीं सुन सकता.... जोर से बोलो जो बोलना है... "
यह सुनकर पीयूष ने सामान्य स्वर में कहा " सोर आपको आनुष्का का भाई याद है जो कोल यहाँ आया था?"
" है भगवान अब कहीं ये भी तो गायब नहीं हो गया? " अश्विन ने चिंतित स्वर में कहा।
" नोही सोर वो गायोब नहीं हुआ किंतु उशे आपका ऊपोर शोक है...."
यह सुनकर अश्विन ने अपनी आँखें भींचते हुए कहा " क्या मेरे ऊपर शक? लेकिन किस चीज का? "
" सोर उशको लोगता है कि आनुष्का को आपने ही गायोब किया है । "
" क्या? लेकिन मैं क्यों करूँगा ये फालतू काम? "
" सोर वह बोल रहा था कि आनुष्का आपको पाने का लिए काला जादू कोर रहा था तो हो शोकता है कि आपको इशका पोता चोल गया हो और आपने उशको गायोब कोर दिया । "
" उसका दिमाग खराब हो गया है और कुछ नहीं.... लेकिन चलो छोड़ो मैं समझ पा रहा हूँ कि उसकी बहन गायब है ऐसे में उसे हर किसी पर शक होना लाज़मी है.... वो जो करता है उसे करने दो .... अगर उसे मुझ पर शक करके शाँति मिलती है तो बेशक करे मेरा क्या जा रहा है। " अश्विन ने कहा।
यह सुनकर पीयूष ने कहा " सोर फिर भी आप शोतर्क रोहिऐगा.... "
" तुम्हारा हो गया? "अश्विन ने गंभीर स्वर में कहा।
" जी.....जी सोर ।"
" तो जाकर काम करो.... "
" जी... जी सोर.... " पीयूष ने कहा और उसके बाद वह अश्विन के केबिन में से निकलकर वापस अपनी डेस्क पर आकर बैठ गया।
पीयूष के जाने के बाद अश्विन भी वापस अपने काम में लग जाता है।
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अश्विन शाम को आॅफिस से वापस अपने फ्लैट में आता है , वह अपने फ्लैट में घुसा ही था कि उसने देखा कि प्रशांत ज्योति आकाश और रूपा के साथ उसके लिविंग रूम में सोफे पर बैठकर कुछ बातें कर रहे हैं , इस दौरान प्रशांत ने काली टीशर्ट और काला पजामा पहना हुआ था जबकि आकाश ने पीली कमीज और काली पतलून और ज्योति ने नीला सूट पहना हुआ था ।
यह देखकर अश्विन को थोड़ा अजीब लगता है, वह उन्हें देख ही रहा था कि तभी प्रशांत ने उसे देखते ही उठते हुए कहा " अरे दादा होम आपका ही इंतज़ार कोर रहा था...."
" मेरा इंतजार ? वो किसलिए? " अश्विन ने हैरानी से कहा।
" आप नहा धोकर फ्रेश हो लो फिर बात कोरता है... " प्रशांत ने कहा और उसके बाद वह वापस अपनी जगह पर आकर बैठ गया।
" ठीक है फिर में नहाकर आता हूँ... " कहकर अश्विन अपने बेडरूम की ओर बढ़ गया।
लगभग 10-15 मिनट बाद अश्विन नीली टीशर्ट और सफेद पायजामे में बाहर आकर कहता है " बोलो प्रशांत क्या बात करनी थी तुम्हें? "
" आओ बाल्कनी में बैठकर बात कोरता है.... रूपा तुम ओंकल आँटी के साथे इधर ही बैठो होम आता है.... " कहकर प्रशांत अश्विन के बेडरूम की ओर बढ़ गया।
बेडरूम में आकर उसने बाल्कनी में जाने वाला दरवाजा खोला और उससे बाल्कनी में आ गया , इस दौरान अश्विन भी उसके पीछे ही आ रहा था ।
वहाँ आकर अश्विन ने प्रशांत से पूछा " क्या बात है प्रशांत ? तुम कुछ परेशान लग रहे हो? "
प्रशांत ने पहले अपने इर्दगिर्द देखा फिर कहा " दादा.... वो रूपा होमको कुछ बोताया था.... "
" क्या बताया था उसने ?" अश्विन ने आँखें भींचते हुए कहा।
प्रशांत ने हिचकिचाते हुए कहा " देखो दादा हमको पोता है कि आप ऐशा कुछ नहीं कोर शोकता लेकिन उशने बोताया तो ....."
" प्रशांत सीधे सीधे बोलो कि क्या बात है.... " अश्विन ने प्रशांत की बात बीच में काटते हुए गंभीर स्वर में कहा।
" दादा..... वो बोलता है कि आपने उशका हाथ पोकड़ा.... "
" हाँ बिल्कुल.... मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने घर से बाहर निकाला था ...." अश्विन ने कहा।
" लेकिन क्यों दादा? " प्रशांत ने हैरानी से कहा।
" मैं उसे जानता नहीं पहचानता नहीं तो इसलिए मुझे लगा कि पता नहीं कौन मेरे घर में घुस आई, इसलिए उसे अपने घर से बाहर निकाल दिया। "
" वो ये भी बोल रहा था कि आप उशके शाथे बोतमीजी किया.... "
" तुम्हें लगता है ऐसा? देखो वो सुबह मेरे लिए टिफिन लाई थी मेरा व्रत था इसीलिए मैंने मना कर दिया बट वो तो फिर मेरे पीछे ही पड़ गई इसलिए मैंने उसे थोड़ा सख्ती से मना किया , अब बताओ कि मैंने क्या गलत किया। " अश्विन ने कहा ।
यह सुनकर प्रशांत ने कुछ सोचते हुए कहा " कोमाल है ये टिफिन वाला बात तो उशने मुझे बोताया ही नहीं था .... माफ कोरना दादा होम रूपा का बातों में आ गोया था।"
" देखो प्रशांत बुरा मत मानना लेकिन जितना जल्दी हो सके इसे इसके घर भेज दो....वरना कहीं इससे तुम्हारा ही नाम खराब ना हो जाए कहीं। " अश्विन ने कहा।
" तुम शोही बोलता है दादा....होम आज ही माँ को बोलेगा कि अपना शहेली को बोलो कि अपना लोड़की को ले जाए। "
" क्या इस लड़की की माँ तुम्हारी माँ की सहेली है? " अश्विन ने हैरानी से कहा।
" हाँ दादा ..... रूपा का माँ और हमारा माँ दोनों बोचपोन का शहेली है ,होम रूपा का माँ को मौशी बोलता है और वो होमारा माँ को । "
" ओह अच्छा.... " अश्विन ने कहा।
उसके बाद वह दोनों वापस लिविंग रूम में आ गए, वहाँ आकर प्रशांत ने रूपा से कहा " रूपा बाड़ी चोल.... बात कोरना है.... "
" होमशे बात? " रूपा ने हैरानी से कहा।
" हाँ चोल.... " कहकर प्रशांत रूपा को वहाँ से लेकर चला गया।
उनके जाने के बाद ज्योति ने अश्विन से पूछा " प्रशांत ने तुझे क्या बात करने बुलाया था? "
" इस रूपा ने प्रशांत से कहा था कि मैंने इसे छेड़ा था इस बारे में बात करने के लिए बुलाया था .... " अश्विन ने कहा।
" क्या? मैं तो इसे बड़ा शरीफ समझती थी ..." ज्योति ने हैरानी से कहा।
" माँ सारी लड़कियाँ एक जैसी नहीं होती ना.... "
इस पर ज्योति ने कुछ सोचते हुए कहा " क्या विंशती ही वही लड़की है जिसके बारे में तूने हमसे बात की थी? "
यह सुनकर अश्विन ने कहा " मैं थोड़ा मार्किट जाकर आता हूँ , वहाँ से आपके लिए कुछ लाऊँ? "
" नहीं। " ज्योति ने कहा।
उसके बाद अश्विन वहाँ से तेजी से निकल गया।
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वहीं दूसरी ओर प्रशांत के घर पर -
प्रशांत रूपा को लेकर घर आता है वहाँ आकर वह रूपा से कहता है " तुम होमशे झूठ क्यों बोला? "
" क्या झूठ बोला होम दादा? " रूपा ने हिचकिचाते हुए कहा।
"यही कि आश्विन दादा तुम्हारा शाथे बोतमीजी किया था... "
" इशमें होमने झूठ क्या बोला ? वो किया था... " रूपा ने इधर उधर देखते हुए कहा।
" हम बहुत ओच्छे शे जानता है तुम्हें भी और उशको भी सोमझा...." प्रशांत ने आक्रोशित स्वर में कहा।
उन दोनों की आवाज़ सुनकर किचन के अंदर से शुमा आ जाती है, उसने सफेद सूती की साड़ी और बालों का जुड़ा बनाया हुआ था।
उन दोनों को लड़ता देखकर शुमा बोली " ए की? तुम दोनों लोड़ता क्यों है? "
शुमा को वहाँ आता देखकर रूपा रोते हुए उसके गले लग जाती है और कहती है " देखो ना माशी वो आश्विन ने होमारा शाथे बोतमीजी किया और दादा हमको ही उल्टा डाँटता है।" और यह बोलकर रूपा और जोर से रोने लगती है।
" चुप हो जा.... " शुमा ने रूपा के आँसू पोंछते हुए कहा और फिर वह प्रशांत की तरफ देखने लगी और और अपनी आँखों से इशारा कर पूछती है कि क्या हुआ ।
तब प्रशांत उसे कुछ ना होने का इशारा करता है फिर शुमा कहती है " कोई बात नहीं रूपा हैं होम लोखमी को फोन कोर देता है वो तुम्हें यहाँ शे लेकोर जाएगा ।"
यह सुनकर रूपा शुमा से अलग होते हुए हिचकिचाते हुए बोली " अरे माँ को बोताने का क्या जोरूरत है? वो बेकार में पोड़ेशान हो जाएगा ये शुनकर... "
" तो एक काम कोरता है, होम अभी ठीक है इसलिए कोल शुबह होम ही तुम्हें छोड़ आएगा .... इशशे लोखमी माशी को तोकलीफ भी नहीं होगा और तुम्हें उनको इशका बारे में बोताना है बोता देना तुम्हारा मोर्जी.... ठीक है ना? " प्रशांत ने कहा।
यह सुनकर रूपा कुछ ना कह सकी उसने बस स्वीकृति में सिर हिला दिया और फिर सामने की तरफ मौजूद कमरे की ओर बढ़ गई ।
उसके जाने के बाद प्रशांत ने शुमा से कहा " इशका शामान बाँध देना होम कोल ही इशे छोड़ आएगा ।" यह सुनकर शुमा ने स्वीकृति में सिर हिला दिया।
क्रमश.....
रोमा.......