Jinnatto ki Sachi Kahaniyan - 30 in Hindi Horror Stories by सोनू समाधिया रसिक books and stories PDF | जिन्नातों की सच्ची कहानियाँ - भाग 30

Featured Books
  • हीर... - 28

    जब किसी का इंतज़ार बड़ी बेसब्री से किया जाता है ना तब.. अचान...

  • नाम मे क्या रखा है

    मैं, सविता वर्मा, अब तक अपनी जिंदगी के साठ सावन देख चुकी थी।...

  • साथिया - 95

    "आओ मेरे साथ हम बैठकर बात करते है।" अबीर ने माही से कहा और स...

  • You Are My Choice - 20

    श्रेया का घरजय किचन प्लेटफार्म पे बैठ के सेब खा रहा था। "श्र...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 10

    शाम की लालिमा ख़त्म हो कर अब अंधेरा छाने लगा था। परिंदे चहचह...

Categories
Share

जिन्नातों की सच्ची कहानियाँ - भाग 30

महबूब जिन्न, भाग 9

By :- Mr. Sonu Samadhiya 'Rasik '

विशेष - यह कहानी सत्य घटना से प्रेरित है।


पिछले अध्याय से आगे....


“मुझसे दूर रहो.. मनहुश जिन्न, मैंने पूछा न मेरे शकील और मेरी अम्मी के साथ तुमने क्या किया?”


“वो सब अपने किए की सजा भुगत रहें हैं।”


“किस बात की सजा.....?” - शबीना ने अपने कदम पीछे खींचते हुए कहा।


“हमारे बीच पड़ने की सजा।” - जिन्न ने मुस्कुराते हुए कहा।


“शकील कहाँ है? आख़िरकार तुमने उसके साथ किया क्या है? क्या चाहते हो तुम मुझसे?”



“मैं तुम्हें चाहता हूँ, उस वीरानी रात में तुमने आकर मेरी रातें रंगीन बना दीं। वो भीगे बालों की खुश्बू और तुम्हारा खूबसूरत जिस्म मुझे यहाँ तक खींच लाया है मेरी जान..।”


“मेरे पास मत आना.... मैं दोबारा नहीं बोलूँगी....!”- शबीना ने हिम्मत के साथ एक जिन्न का सामना करने की ठान ली।



“सच कहतीं हैं आप.... आप बोलतीं कम हैं बस सवाल ज्यादा करती हो? तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं कि मैंने तुम्हारे इंसानी शरीर वाले आशिक़ को कायनात में पहुंचा दिया है और हाँ अगर मेरे बारे में किसी को बताया तो किसी कब्र में तुम्हारी अम्मी और अब्बू दफ़न होंगे...।”



“इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी.... ।” - शबीना ने हड़बढा़ते हुए ड्रेसिंग टेबल का ड्रायर छाना वो ताबीज खोज रही थी। जिससे वो जिन्न को उसकी असली जगह पर भेज सके, लेकिन दुर्भाग्यवस ताबीज वहाँ नहीं था।


“कुछ भी नहीं मिलेगा, जो मुझे रोक सके, मैंने सब चीजें उसी रात को ठिकाने लगा दी थीं, जिस रात तुम्हारे आशिक़ को कत्ल किया था।” - जिन्न ने अपने असली विकृत रूप में आते हुए कहा।


“मेरे प्यार को तुमने ख़त्म कर दिया, अब मुझे भी खत्म कर दो... मैं उसके बिना जीकर क्या करूँगी।” - शबीना रोते हुए अपने घुटनों पर बैठ गई।



“एक मामूली से इंसान के लिए रोती हो, मैं तुम्हें इंसानों से ज्यादा खुशी दूँगा इस संसार की भी और रोजाना की तरह बिस्तर पर भी.... हर जगह तुम्हें खुश रखूँगा.... ।”


“प्लीज मुझे भी ख़त्म कर दो...!”


“नहीं बेटा अब इस जिन्न को ख़त्म होना है।” - ताहिर खां ने पाक कुरान की आयतें दोहराना शुरू कर दिया।


“अच्छा हुआ ये भी आ गए। अब ये रोंकेंगे मुझे..... हाहाहा... शबीना तुम अपने आशिक़ को मरते हुए तो देख नहीं सकी, अब अपने अब्बू को मरते हुए देख लो..।” - जिन्न गुस्से से गुर्राता हुआ ताहिर की ओर लपका।

जिन्न ने अपने जादू से ताहिर को हवा में उठा लिया और दूर से उसके गले को दबाने लगा।
जिन्न ने ताहिर को एक दीवार पर पटक दिया और उसके गले को घोंटने लगा।

शबीना रोते हुए जिन्न के कदमों में अपने अब्बू की जान की भीख मांग रही थी, लेकिन जिन्न ताहिर की जान लेने पर आमदा हो चुका था।

शबीना खड़े हो कर वहां से चली गई। ताहिर की सांसे रुकने लगीं थीं। उसके आँखों से आँसू निकल रहे थे। जुबान बाहर आने लगी थी। जिन्न शैतानी मुस्कुराहट के साथ ताहिर को मारने वाला ही था कि तभी पीछे से आवाज आई।


“हरामी जिन्न अब तेरे जाने का वक़्त आ गया है।”


“ऎसा क्या...?” - जिन्न ने ताहिर को अपनी गिरफ्त से आजाद करते हुए पीछे मुड़कर देखा। वह मुस्कुरा रहा था क्योंकि वह शबीना को हल्के में ले रहा था।


“अरे...! नहीं?” - जिन्न की मुस्कुराहट खौफ में तब्दील हो चुकी थी, क्योंकि शबीना के हाथ में पाक कुरान और दूसरे हाथ में पानी से भरी बाल्टी थी।

असल में जिन्न ने पाक कुरान को ठिकाने लगाने के लिए उसकी किताब कूड़ेदान में फेंक दी थी, जो अब शबीना के हाथ में थी।

जब तक वो जिन्न कोई चाल चलता तब तक शबीना ने आयतें पढ़ते हुए उसके ऊपर पानी डाल दिया।
जिससे वो जिन्न चीखता हुआ हवा में गायब हो गया। जिन्न पानी से इसलिए डरते हैं क्योंकि अल्लाह ने उन्हें धुँआ रहित आग से बनाया है और आग और पानी एक दूसरे के शामक हैं।

शबिना ने पाक कुरान की प्रति को आंखों लगाया और चूमकर स्टैंड पर रख दिया।

शबीना ने अपने अब्बू को उठाया और कमरे से बाहर ले गई। शबीना ने बाहर देखा तो उसकी माँ उनकी ओर ही आ रही थी। क्योंकि जिन्न के चले जाने के बाद वो भी उसके जादू से आजाद हो कर बिल्कुल ठीक हो चुकी थी।

शबीना की बहादुरी और सूझबूझ से आज उसके परिवार की जान बच पाई थी। शकील के इंतकाल के बाद शबीना ने ताउम्र निकाह न करने का फैसला किया। अब सभी ख़ुशी ख़ुशी मिलजुलकर रह रहें हैं।

कुछ दिन बाद शबीना की तबीयत अचानक से खराब हो गई। भूख न लगना, जी मिचलाना उसके लिए आम बात हो गई। जब शबीना प्रेग्नेंसी टेस्ट करवाने जाती है तो उसकी रिपोर्ट पॉज़िटिव आती है, जो शबीना और आपको हैरानी के साथ खौफ़जदा कर देती है।






कहानी को अपना सपोर्ट ♥️जरूर करें, धन्यवाद 🙏🏻 🤗♥️



✝️The End✝️

(©SSR'S Original हॉरर)
💕 राधे राधे 🙏🏻 ♥️