महबूब जिन्न, भाग 8
By :- Mr. Sonu Samadhiya 'Rasik '
विशेष - यह कहानी सत्य घटना से प्रेरित है। लेखक पाठकों से अपने विवेक से काम करने की सलाह देतें हैं ।
पिछले अध्याय से आगे....
“वो अब्बू मेरे गले में थोड़ा टाइट था, तो उसे कमरे में ही रख दिया है।”
“पानी से बापस आकर पहन लेना और हाँ, कुरान शरीफ नहीं मिल रहा जब से तुम्हारी अम्मी बीमार हुई हैं, उसे भी ढूंढ देना ठीक है।”
“जी अब्बू अभी आई... ।”
शबीना जब पानी लेकर वापस लौट रही थी कि तभी उसने कुछ ऎसा सुना कि उसके पैरों तले जमीन खिसक गई।
कुछ लोग बातें कर रहे थे कि
“सुना है कि अपने गाँव सुराईपुर के जाकिर मिस्त्री का लड़का शकील उस तूफानी रात से लापता हैं?”
“सही कहा तुमने वो उस रात अपने फ़ार्महाउस पर अकेला था। सुबह देखा तो वो वहाँ नहीं था।”
“सुना है कि उसे उजड़ी मस्जिद के जिन्न उठा ले गए हैं?”
“अपने ताहिर भाई की भी लड़की उसी रात लापता हो गई थी और सुबह उजड़ी हुई मस्जिद वाले रास्ते में बेहोश पाया था। लगता है कि वो हरामी जिन्नात वापस लौट आएं हैं, अगर ऎसा है तो देखना सुराईपुर की एक भी मुस्लिम लड़की नहीं बचेगी उनसे... सबकी एक एक करके लेंगे वो।”
शबीना के पैरों तले जमीन खिसक गई। वह सोचने से भी डर रही थी कि अगर शकील उस रात से लापता है तो हर रात उसके साथ कौन हमबिस्तर हो रहा है?
शबीना, जल्दी से अपने घर जाकर देखती है कि उसका ताबीज, पाक कुरान और सभी वे चीजें गायब हैं, जो खुदा की इबादत में शामिल होतीं थीं।
शबीना का शक़ गहराता जा रहा था। अब उसे रात का इंतजार था। जब वह रोजाना की तरह इस बार भी शकील से मिलने वाली थी।
रात हुई और शबीना पूरी तैयारी के साथ शकील का इंतज़ार करने लगी।
जैसे ही शबीना शृंगार करके पीछे मुड़ी तो शकील को अपने पीछे देख कर एकदम से डर गई।
“क्या हुआ तुम इतनी डरी हुई क्यूँ हो?” शकील ने कहा।
“कुछ नहीं.... बस ऎसे ही।” - शबीना ने बात बनाते हुए कहा।
शकील ने शबीना को बाहों में भर लिया और उसे चूमने की कोशिश करने लगा।
“रुकना... शकील, मेरी आँख में कुछ है,?”
“मैं देखता हूँ।”
“नहीं.... मैं खुद देख लूँगी, बहुत तेज जल रहा है।” - शबीना ने शकील की बाहों से खुद को अलग करते हुए कहा।
वह अपनी ड्रेसिंग टेबल की ओर बढ़ गई। जब शबीना ने मिरर में शकील के रेफ्लेक्सन को देखा तो उसकी रूह काँप उठी। क्योंकि वो जिसे शकील समझ रही थी वो असल में कोई बहरूपिया जिन्नात था।
तभी बेखौफ हो शबीना शकील के सामने पहुंच गई और बोली -“ कौन हो तुम...? और तुमने मेरी अम्मी और शकील के साथ क्या किया?”
शबीना की बात सुनकर शकील के चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान उभर आई।
“अच्छा जी, तो आख़िरकार तुम्हें मेरी असलियत पता चल ही गई। वो सब छोड़ो, जान पहले मेरे पास आओ.....!”-शकील ने शबीना की ओर आते हुए कहा।
To be continued..... (कहानी अभी जारी है)
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(©SSR'S Original हॉरर)
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