यमुना तट पर कृष्णा रास खेले राधा संग l
सखी सहियर कृष्णा रास खेले राधा संग ll
वृन्दावन में प्रेम दीवानी सुधबुध बिसराके l
गोप गोपियाँ कृष्णा रास खेले राधा संग ll
१६-१२-२०२३
पागल होकर जाम पी रहे हैं l
अपनी ही धुन में जी रहे हैं ll
जैसे भी हो बस जी लेते हैं l
फटा हुआ जिगर सी रहे हैं ll
रूठ के बैठ न जाए कहीं वो l
बात कहने से भी बी रहे हैं ll
अक्खड़ कर चलने वाले देख l
जो जहां थे वहाँ ही रहे हैं ll
एक अकेले हम तन्हा नहीं l
तन्हाई में तो वह भी रहे हैं ll
१७-१२-२०२३
सीने में नफ़रत को मत पालो l
जहा तक हो सके बहस टालों ll
गर लगे तकरार का अंदेशा भी l
जरा दूर रहने की आदत डालो ll
कदम क़दम पर ठोकर लगेगी l
मंजिल ओर सभलकर चालों ll
एकदूसरे से मेलझोल बढ़ाके l
यूही सुबह शाम फूलो फालो ll
वैसे भी गुलाबी गुलाब सी हो l
किया ना करो तूम लाल गालों ll
१८-१२-२०२३
ये इश्क़ नहीं आसान संभलकर ईन राहों पर चलना l
सो बार सोच समझकर ही दिल का सौदा करना ll
बड़ी बेईमान हो गये हैं यहाँ चालबाज दुनिया वाले l
न खुद को छलने देना ना तू किसी और को छलना ll
जैसे हो वैसे ही सच्चे दिल से मुहब्बत करते रहना l
अपनी सच्चाइयों का यू छडे चौक दम नहीं भरना ll
यू राह चलते अपने इश्क़ का जनाना न निकालना l
जो तुम पर मरने को तैयार हो उस पर ही मरना ll
कयामत के दिन सब हिसाब किताब देना पड़ता है l
अनजानी अनदेखी परमशक्ति से ही जरूर डरना ll
१९-१२-२०२३
बीते हुए दिन की यादें रह रह कर आती है l
दिल का चैन ओ सुकून छीन कर जाती है ll
हाथों में हाथ लेकर घटों बैठे रहते थे छत पे l
आँखों ओ होठों पर तड़प ओ तरस लाती है ll
फ़िर उसी लम्हों को ताजा करके जख्म देके l
निगोड़ी को न जाने कौन सा आराम पाती हैं ll
तन्हाई के साथ आशिक से लंबी जुदाई में l
जीते जी जिन्दा ही जलाने वाली बाती है ll
मुहब्बत में एक साथ मिलकर गुनगुनाए हुए l
भूले बिसरे गीत मधुर आवाज़ में गाती हैं ll
२०-१२-२०२३
जिन्दगी के सफ़र ने समझदार बना दिया है l
अच्छा जीवन जीनेका तरीका सिखा दिया है ll
न किसीसे गिला है न किसीसे शिकायतें l
जो भी मिला वो ही किरदार निभा दिया है ll
हर मोड़ पर तकलीफों का सामना करते ही l
दर्दो गम ख़ामोशी से भीतर छिपा दिया है ll
सखी उम्रभर दम भरते रहे अपनेपन का उसी l
अपनों ने भी बेवफाओं सा सिला दिया है ll
दुनिया वालों का रंग ढ़ंग इस क़दर छाया कि l
दिलों दिमाग से नामों निशान मिटा दिया है ll
२१-१२-२०२३
अजनबी से मुलाकात क्या हुई जी की जंजाल हुई l
दो नजरों की इनायत क्या हुई जी की जंजाल हुई ll
गम नहीं दिल लुटा ग़म ये है सारी उम्र का रोग पाला l
मुहब्बत में बगावत क्या हुई जी की जंजाल हुई ll
रात दिन सोते जागते बस सखी ही नज़र आये तो l
खुदा से पहेले इबादत क्या हुई जी की जंजाल हुई ll
फ़िर से निकलना पड़ेगा तलाश में जीवन की यार l
जिंन्दगी देकर ज़मानत क्या हुई जी की जंजाल हुई ll
दुआ करना इस बार दीदार ए यार हो ही जाए सुनो l
जो महफिल में जमावट क्या हुई जी की जंजाल हुई ll
२२ -१२-२०२३
छत पर मुलाकात ना होती तो अच्छा था ll
इश्क़ की शुरुआत ना होती तो अच्छा था ll
मुहब्बत के दिले गृह प्रवेश करने के समय l
सितारों की बारात ना होती तो अच्छा था ll
आज प्रथम मिलन के वक्त हुश्न के सजदे में l
मुरादों वाली रात ना होती तो अच्छा था ll
दो रूहों के संगम के साथ अनजाने ही चार l
नजरें मिलते घात ना होती तो अच्छा था ll
एक-दूसरे के साथ साथ जीने के वादे में l
बर्बाद ए क़ायनात ना होती तो अच्छा था ll
२३-१२-२०२३
खुद का हाथ थामे खुशियाँ समेट ने निकल पड़ो ll
गुज़रते वक्त के साथ सदा आगे ही आगे तुम बढ़ो ll
दुनिया वाले कंधा नहीं देगे मज़ाक उड़ायेगे बेबसी का l
जी हल्का करने ग़र रोना है तो अंदर ही अंदर रड़ो ll
भूल के भी दिल किसीका आ भी जाता है तो l
थोड़ा सा खुश होते हैं तभी नया दर्द मिल जाता है l
सुध बुध खो बैठे हैं बेपनाह बेइंतिहा मुहब्बत में l
दिल ए जिगर जो उलझे अपनी रूह में जड़ों ll
प्रेम और अपनेपन को खरीदा नहीं जा सकता है l
जितना हो सके खुद के दम पर प्यार से चड़ों ll
रुख हवाओ का तेज़ ही होता है उसे समझ कर l
ज़िंन्दगी में आने वाली की लड़ाई मुस्कुराते लड़ो ll
२४-१२-२०२३
आओ नये सफ़र की शुरूआत करें l
खुल्ले दिल से फ़िर मुलाकात करें ll
आज़ सभी गिले शिकवे मिटाकर l
जो भी हो एक दूसरे से बात करें ll
लहजो में नमी ओ लब्जों में मिठास l
जी जान से रोशन क़ायनात करें ll
आज़ कोशिश करे दिल ओ जान से l
शाम ए सुकूं से अब रजूआत करें ll
खुल के रंग ए दहर आना चाहिये l
प्यार और दुआओ की बरसात करें ll
२५-१२-२०२३
नफ़रत करो या प्यार करो l
जो भी करो स्वीकार करो ll
आने वाली तकलीफ के लिए l
अपने आप को तैयार करो ll
दो लम्हों की ख़ुशी के वास्ते l
सखी नज़रे ही दो चार करो ll
खुल्ले मन से जिन्दगी जियो l
जीवन में ना अबसार करो ll
बेबसी का आवरण उतार के l
सच्चे दिल से मिस्मार करो ll
२६-१२-२०२३
सामने होते हुए भी दूर ना रहा करो l
दिल को यूही बेबस ना किया करो ll
मुहब्बत ग़र सची और पाकीज़ा हो l
जी भर के खुल्लमखुला जिया करो ll
आज हम खुदा के साथ पीकर आएं l
सुराही से चाक जिगर सिया करो ll
सुनो दिल की दुकान को बड़ी कर l
छोटों को खुले हाथों से दिया करो ll
महफिलों में यार दोस्तों के साथ l
लम्हों का लिहाज़ करके पिया करो ll
सदा ही रूह ए सुकून के लिए सखी l
वाइज की दुआएँ कायम लिया करो ll
क्या हुआ के बेवफा सनम निकले l
दुश्मन ज्यादा दोस्त कम निकले ll
दिखावे की लबों पे मुस्कराहट है l
जब भी देखो आंख नम निकले ll
खुशियों ने दस्तक क्या देदी कि l
सारी उम्र ही तड़पते ग़म निकले ll
राहे सफ़र में कभी हाथ न छोड़ेंगे l
ये दिलों दिमाग के भरम निकले ll
बड़ी आश लगाएँ बैठे थे कबसे l
ख्वाबों अरमानो के दम निकले ll
ना पास बिठाया ना बातेँ करी तो l
मायूस होकर दर से हम निकले ll
लिखना था वहीं नामा में ना लिखा l
सखी निगोड़ी बेदिल कलम निकले ll
जाम देखा तो प्यास बढ़ी l
प्यास बढ़ी तो आस बढ़ी ll
बासंती मौसम के आते ही l
यादों की मात्रा वास बढ़ी ll
कोई प्यार से पिलाता रहे तो l
पीने से और भी कास बढ़ी ll
मिलन के ख्याल मात्र से ही l
जिगर में मीठी सी हास बढ़ी ll
लब्जों के सय्यारे महेवर रहे l
गजलों में शब्दों की रास बढ़ी ll
ख्वाबों में जज़्बातों ने ली अंगड़ाई l
फ़िर दिलों दिमाग में खुशियाँ छाई ll
हुश्न दो घड़ी को बेपर्दा क्या हुआ l
लो अरमानों की कलियां मुस्काई ll
बड़ा बदमाश और नटखट है नादाँ l
दिल बेकाबू हुआ नज़रे जो उठाई ll
साए निगाहों के पीछा कर रहे तो l
अति उत्साह में जान तक लुटाई ll
बड़ी बेनमून चीज़ वारी है प्यार में l
जवाब में कहो कैसे करेगे भरपाई ll
२९-१२-२०२३
प्रथम प्रेम की बात निराली l
प्यार से मुलाकात निराली ll
एकाएक निगाहें मिलते ही l
हुई आँखों की घात निराली ll
ज़िंन्दगी के सुहाने सफ़र में l
प्रेम की कायनात निराली ll
चाँद सितारों के रूबरू में l
ये मिलन की रात निराली ll
पाक दामन ओ प्यार भरे l
जीस्त की सौगात निराली ll
३०-१२-२०२३
अकेले है तो क्या ग़म है l
बहुत ज्यादा खुश हम है ll
बात रटी हुई है फ़िर भी l
अंदाज ए बयान में दम है ll
खामोशी के आलम में तो l
फिझाओ में छमाछम है ll
मुहब्बत में डूबे लम्हों को l
जीतने भी दो वो कम है ll
नामाबर ने ख़त लौटाया l
लब चुप निगाहें नम है ll
३१-१२-२०२३