एपिसोड 13 ( डिफरेंट लाइफज़, डिफरेंट पीपल )
हॉस्पिटल के वॉर्ड की विंडो के पास खड़े होकर, माया ना जाने क्या फील कर रही थी, लेकिन वो इतना तो जानती थी, की आज तक उसे ऐसा कुछ फील नहीं हुआ | दर्द,एक अनजाना सा एहसास | जो आज तक उसने कभी भी फील नहीं किया था | माया एक सेकंड आसमान की और देखती है, और फिर एक गहरी सां लेकर छोड़ते हुए सब की और वापिस मुड़ती है |
माया जैसे की मुड़ी, वो थोड़ा स्टेप बैक लेती है | क्यूंकि सभी माया को ही देख रहे थे | मानो माया को एलियन हो |
"आई नो आप सब क्या सोच रहे हो | लेकिन ट्रस्ट मि, मुझे भी नहीं पता की मैं क्या फील कर रही हूँ |" ये कहते हुए माया थोड़ा पॉज लेती है | और अपने दादा जी की और कदम बढ़ते हुए, अपने हाटों को अपने सीने पर बांधते हुए, फिर से बोलना शुरू करती है |
"दादा जी, मैं तैयार हूँ |" माया की इस बात से सभी बहुत कंफ्यूज हो गए | किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था, की माया कहना क्या चाहती थी | लेकिन महक सभी के सवालों को शव्दों में संजोते हुए कहना शुरू करती है |
"तुम कहना क्या चाहती हो माया ? किस चीज़के लिए तैयार हो तुम ?" महक की बात सुन, माया महक की और देखती है, और फिर वापिस विंडो की और देखते हुए, कहना शुरू करती है |
" लिए तैयार हूँ | आप जिससे कहोगे मैं उससे शादी करने के लिए तैयार हूँ दादा जी |" ये कहते हुए माया फिर रूकती है, और फिर कहती है |
"मुझे पता है, की आपको किस बात की चिंता है | और मैं एक शादी तो कर ही सकती हूँ आप के लिए | वैसे भी शादी ही तो है | कौन सी कोई वॉर है ?" माया ये बात ऐसे कहती है, मानो उसे तो कोई फर्क ही नहीं पड़ता हो | मानो शादी तो कोई बच्चों का खेल हो |
माया की बात सुन, सभी उसकी और देखते हैं | सबकी आँखें ऐसे बाहर आ गेन थीं, मानो वो कोई ऐसी बात सुन रहे हैं, जिसका कोई सर पैर ही नहीं है | और अपनी इतनी सी बात कहकर , माया बिना कुछ कहे वहां से चली जाती है |
दादा जी कुछ कहना कहते थे, लेकिन माया ने किसी को भी कुछ भी कहने का मौका ही नहीं दिया | लेकिन महक के चेहरे पर ज़्यादा शॉक नहीं था | वार्ड में सहिवाम मल्होत्रा , रिया और महक ही थे | लेकिन माया के जाने के बाद, रिया कहती है |
"क्या मेरे कानों में कोई गाना बजा? या ये सब कोई मेरा सपना है ?" रिया की बात सुन, महक कहती महक अपने पिता के पास जाती है, और उनका हाथ थामते हुए कहती है |
"हमने जो सुना सब सच है | माया शादी के लिए मान ही गई |" महक की बात सुन, रिया शॉक में महक की और देखती है | इतनी देर में रिया बहुत परेशान थी | लेकिन अब जब रिया महक की और देख रही थी, तो उसे कुछ अजीब फील हुआ | महक के चेहरे पर स्माइल THI| और फिर रिया दादा जी की और देखती है | और उसने दादा जी को भी मुस्कुराते हुए देखा |
अब रिया का दिमाग खराब हो रहा था | इसलिए रिया अपना हेड शेक करते हुए कहती है |
"एक मिंट , क्या हो रहा है ?" रिया शॉक में सब से पूछती है | रिया के रिएक्शन ने सब के चेहरों पर स्माइल लाते हुए , दादा जी को बोलने पर मजबूर कर ही दिया |
"मेरे पास कोई और चारा नहीं था बेटे " दादा जी की बात सुन अब रिया को धीरे धीरे सब कुछ समझ में आ रहा था | रिया कुछ सोच ही नहीं पा रही थी | उसके दिमाग में हलचल हो रही थी |
"तो इसका मतलब ये सब , मेरा मतलब है की जो भू यहाँ पर हुआ वो सब झूठ था ?" रिये ने सवाल किया और दादा जी और ,महक के रिएक्शन ने रिया को उसके सारी सवालों के जवाब दे दिए |
रिया अब जल्दी से वहां से भाग जाती है, क्यूंकि वो थोड़ी देर यहाँ और रूकती, तो वो पागल हो जाती | लेकिन रिया को यूँ भागते हुए देख महक हैरानी से कहती है |
"लेकिन तुम। .. महक कह ही रही थी, लेकिन तब तक रिया जा चुकी थी |
और महक जो केहनाचाहति थी, वो नहीं कह पाई | तो वो अपने पिता की और देखती है, और उनसे कहती है |
"कहीं रिया माया को कुछ बता न दे पापा " महक परेशान होते हुए कहती है |
तो क्या रिया सच में माया को सब बता देगी ? और क्या माया शादी करेगी ? और आखिर दादा जी ने ये नाटक क्यों और किस के लिए किया ?
जानने के लिए बने रहिये मेरे साथ