एपिसोड 12 ( दादा जी की शर्त )
महक अपने पिता से बहुत प्यार करती थी | और उन्हें किसी भी हाल में खोना नहीं चाहती थी | डॉक्टर्स की बात सुनने का बाद, कुछ देर महक कुछ भी नहीं बोली | शाम हो चुकी थी, और माया अभी तक अपने दादा जी के पास नहीं पहुंच पाई थी | आसमान जैसे जैसे अँधेरे की चादर में डूब रहा था, वैसे वैसे माया के ज़ेहन में काला पन छाता जा रहा था | हॉस्पिटल पहुंचते ही, माया जल्दी से अपनी गाड़ी से निकलती है | सर्दियों का मौसम था, और क्यूंकि अमेरिका में ठंड नहीं थी, तो माया ने शॉर्ट्स पहन रखे थे | लेकिन गाड़ी से बाहर निकलते ही , जहाँ रिया की ठंड से हालत खराब हो गई, वहीँ माया को तो मानो कुछ फील ही नहीं हो रहा था | वो बिना आगे पीछे देखे सीधा हॉस्पिटल के अंदर भागी |
अंदर जाते ही, माया को अपने घर का बटलर स्टीव देखे, स्टीव ने भी जैसे ही माया को देखा तो जल्दी से बोले |
"डिस साइड मैम " स्टीव वार्ड के अंदर जाते हुआ बोलै | माया के चेहरे पर स्टीव ने पहली बार कुछ देखा था | लेकिन वो कुछ बोलै नहीं | वहीँ , माया जब वार्ड के अंदर गई तो, अपने दादा जी को बड़ी बड़ी मशीनों से घिरा हुआ देख और डर जाती है |
"दादा जी, दादा जी , आप ठीक तो हैं न ? वट हैपेंड ?" माया अपने दादा के साइड में बैठते हुए उनका हाथ थाम लेती है | दादा जी बिलकुल भी कोई रिएक्शन नहीं दे रहे थे | अपने दादा की ऐसी हालत देख माया की आँखें नम हो गेन थीं | रिया जब अंदर आई, तो जो नज़ारा उसने देख उसे देख रिया के तो हाथ पैर ठन्डे हो गए थे |
"ये क्या, चीफ की आँखों में आंसू ?" रिया धीरे से कहती है | मानो ये बात दादा जी के कानों तक गई, और उन्होंने धीरे से अपनी कमज़ोर आँखें खोल दीं | महक ने जब अपने पिता को देखा तो वो जल्दी से भाग कर उनके पास आती है |
"पापा , कैसा फील कर रहे हैं आप ?" महक अपनी नम आँखों से शिवम् से पूछती है | और अपने पिता को गले लगा लेती है | और फिर महक आगे कहना शुरू करती है |
"क्यों आप अटना स्ट्रेस ले रहे हो ? आपको पता है न , की आपकी हेल्थ के लिए स्ट्रेस लेना ठीख नहीं है ?" महक बस बोले ही जा रही थी | उसने ध्यान ही नहीं दिया, की माया उसकी बातें सुन कहीं खो सी गई थी | शायद माया को आईडिया तो था, की उसके दादा जी को किस बात का स्ट्रेस है | लेकिन माया कुछ बोली नहीं |
महक जब शिवम् से दूर हुई , तब शिवम् मल्होत्रा अपनी कमज़ोर आवाज़ में कहते हैं |
"अरे बच्चा, मैं बिलकुल ठीक हूँ | कुछ नहीं हुआ है मुझे |" माया अपने दादा जी के सफ़ीद पड़ चुके चेहरे को बड़े ध्यान से देख रही थी | उसे सब समझ आ रहा था, की उसके दादा उसे परेशान नहीं करना चाहते हैं, इसलिए ठीक होने का नाटक कर रहे हैं | अपने दादा जी की इस हालत के लिए माया अब खुद को गुन्हेगार मान रही थी | दादा जी के साइड से उठते हुए माया विंडो की और जाती है | और बाहर चल रही गाड़ियों को देखने लगती है |
माया अपने आंसू किसी को दिखाना नहीं चाहती थी | इस लिए वो अपने चेहरा फेर लेती है | लेकिन सब जानते थे, की माया को अच्छा नहीं लग रहा | लेकिन उसे समझ भी नहीं आ रहा की वो कैसे और क्या फील करे | इसलिए वो कुछ बोल ही नहीं रही है |
रिया भी शिवम् के पास आते हुए नम आँखों से कहती है |
"आप सच में ठीक हैं न ?" रिया बड़े प्यार से कहती है | जिससे दादा जी हाँ में अपना सर हिला देते हैं | और फिर अपनी पौती को बड़े प्यार से देखने लगते हैं | शिवम् मल्होत्रा ने अपनी पोती को कभी इस तरह नहीं देखा था | वो कुछ कहने ही वाले थे , लेकिन उससे पहले ही माया कुछ ऐसा कह देती है, जिससे वहां खड़ा हर इंसान शॉक में चला गया था |
किसी को भरोसा ही नहीहो रहा था, की जो वो सुन रहे हैं, वो सच है या कोई भ्रम !
आखिर माया ने ऐसा क्या कहा था सब से ? और किस बात का स्ट्रेस था शिवम् मल्होत्रा को ?
जानने के लिए बने रहिये मेरे साथ |