एपिसोड 10 ( दिल के दर्द )
अभी ऑफिस में बैठकर अभी तक अपने पिता की बातों को ह सोच रहा था | हालाँकि अभी ने कह तो दिया था, की वेहशादी कर लेगा लेकिन कहीं न कहीं वो भी ये बात जनता था, की वो अभी रेडी नहीं है | अभी का दिल, जो सालों पहले पत्थर बन चूका था, आज उस दिल में दर्द हो रहा था | आज वो मासूम सा दिल डरा हुआ था | फिर से धोखा खाने का डर | फिर से प्यार करने का डर | फिर से किसी को अपनाने का डर |
लेकिन तभी मयंक ऑफिस के दरवाज़े पर दस्तक देता है |
"अंदर आ जाओ " अभी ने मयंक को डोर के पास खड़े हुए देखा , तो धीरे से अपनी कॉफ़ी का सिप लेते हुए कहता है | मयंक अपने हातों में पकडे पेपर्स को टेबल पर अभी के सामने रखते हुए बड़े आराम से कहता है |
"बॉस , ये उस लड़की की डिटेल्स हैं जिसे आपके पिता ने आपके लिए चुना है |" मयंक की बात सुन, अभी जो यही सब सोच सोच कर तक चूका था | अब उसका मन नहीं था ये जानने का की आखिरकार उसकी शादी किस शख्स से उसके पिता करवाना चाहते हैं | इसलिए वो उस फाइल को साइड में रख देता है | अभी को ऐसा करते देख मयंक हैरान होते हुए कहता है |
"आपको जानना नहीं, की आखिर कौन सी लड़की है जिसने मिस्टर कपूर का दिल जीत लिया है ?" मयंक कीबात सुन, अभी एक लम्भी सांस छोड़ते हुए कहता है | "नहीं, जो भी हो शादी तो केनी ही है | कोई चॉइस नहीं है अब |"
अपने बॉस के मुँह से ये बात सुन मयंक के पैरों तले तो मानो ज़मीन ही खिसक गई थी | इतने सालों में उसने पहली बार अपने बॉस के मुँह से ये सुना था, की उसके पास अब कोई चॉइस नहीं रही |
(सही कहते हैं लोग, माँ बाप केसामने औलाद हार ही जाती है ) मयंक मन ही मन सोचते हुए अभी को अकेला छोड़ वहां से चला जाता है | मयंकज के जाने के बाद, अभी एक नज़र उस फाइल की और देखता है, लेकिन फिर वापिस अपने काम पर लग जाता है |
वहीँ, मल्होत्रा हाउस में
शिवम् मल्होत्रा बड़े आराम से हॉल में लगे टीवी पर न्यूज़ देख रहे थे | की अचानक से उन्हें अपने सीने में दर्द महसूस होता है | पहले तो वो इतना ध्यान नहीं देते लेकिन जब दर्द बढ़ जाता है, तो वो महक कोआवाज़लगाते हैं |
"महक, महक... " किचन में नौकरो को खाने में क्या बनाना था, ये बता रही महक ने जब अपने पिता की दर्द भरी आवाज़ सुनी, तो वो जल्दी से भगति हु हॉल में जाती है |
"पापा। .. " शिवम् को दर्द में देख महक कहती है | लेकिन दर्द से शिवम् का सफ़ीद पड़ चुके चेहरे को देख महक डर जाती है | और जल्दी से शिवम् की व्हीलचैर को मोड़ते हुए हॉस्पिटल के लिए निकल जाती है |
गाडी में बैठते हुए, महक का दिमाग ना जाने क्या क्या सोच रहा था |
अमेरिका में मीटिंग कर रही मयता का फ़ोन बार बार रिंग कर रहा था | लेकिन जब माया ने देखा की उसे फ़ोन करने वाला व्यक्ति और कोई नहीं बल्कि महक थी, तो माया जल्दी से मीटिंग रोम से बाहर जाते हुए , और रिया को इशारा करते हुए फ़ोन उठा लेती है |
"हेलो। .. " माया महक की घबराईहुई आवाज़ सुनती है | जिससे ना जाने क्यों लेकिन माया थोड़ा घबरा गई थी |
"महक , क्या हुआ है ? सब ठीक है न ?" माया परेशान होते हुए कहती है |
लेकिन उसके बाद महक कुछ ऐसा कहती है , जिससे माया के पैरों तले ज़मीन ही खिसक जाती है | माया को समझ ही नहीं आ रहा था की जो वो सुन रही थी, उस बात पर उसे किस तरह रियेक्ट करना चाहिए |
माया कुछ कहना चाहती थी, लेकिन उसके पास वर्ड्स ही नहीं थे | और अब माया को अपने कुछ ना कह पाने की वजह से , खुद पर ही गुस्सा आ रहा था |
आखिर महक ने ऐसा क्या कह दिया था माया से ? और क्या हुआ दादा जी को ?
जानने के लिए बने रहिये मेरे साथ |