Aehivaat - 7 in Hindi Women Focused by नंदलाल मणि त्रिपाठी books and stories PDF | एहिवात - भाग 7

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एहिवात - भाग 7

और चिन्मय कि तरफ मुखातिब होकर बोला बाबू बुरा जिन मानें बिटिया नादान है हा सुगा बेचे खातिर लाए है ।
 
चिन्मय बोला एक सुगा क दाम केतना पैसा लेब जूझारू बोला दस रुपया चिन्मय ने कहा दस रुपये त बहुत अधिक है हम तीन चार रुपया अधिक से अधिक दे सकित है।
 
चिन्मय के पास मात्र चार रुपये ही था वह इसलिये कि कही सायकिल पंचर हो गई तो बनावे खातिर जीतना चिन्मय के पाकेट में था उतना ही दाम बोला सुगा का इतना सुनत सौभाग्य के पारा चौथे आसमान पर बोली का समझे ह सुगा फ्री में मिले सुगा के बच्चा खातिर जान जोखिम में डारी के बापू पेड़ के पूताली तक बिना सोचे चढ जात है कि गिर जाए त का होए और तू दाम क बाती छोड़ सलिको नाही जानत लागत है कौनो छिछोर घर के है का ।
 
चिन्मय को गुस्सा नही आया वह गुस्से में तमतमाती सौभाग्य को देखता हुआ अंतर्मन से बहुत प्रसन्न हो रहा था क्योकि सौभाग्य गुस्से में बेहद खूबसूरत लग रही थी चिन्मय बोला तोहरे बिटिया बड़ी नकचढ़ी है एकर नाव का है?
जुझारू बोले ए अभागिन के नाव है सौभाग्य जहै जात वही बखेड़ा खड़ी कर देत है सौभाग्य गुस्से में चिन्मय को अनाप शनाप बोले जा रही थी चिन्मय सौभाग्य कि तरफ मुखातिब होते हुए बोला तू त पूरे बाज़ार में ऐसे लगत हऊ जैसे घनघोर अंधेरे क चीरत सुबह कि लालिमा हो, ऐसे लग रही हो जैसे अवसान होते सूर्य के बढ़ते अंधकार में पूर्णमासी के चांद है कोई पूरे बाज़ार में तोहरे जोड़ के तोहार सानी नाही है।
 
चिन्मय के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर सौभाग्य का गुस्सा कुछ ठंठा हुआ जुझारू चिन्मय और सौभाग्य कि नोक झोंक सुनने के लिए भीड़ एकत्र हो चुकी थी जो सौभाग्य और चिन्मय के बीच चल रहे नोक झोंक का भरपूर लुफ्त उठा रहे थे ।
 
सौभाग्य बोली जब जेब मे पईसा नाही है त काहे सुगा खरीदे आए ह चिन्मय बेवाक बोला सही ह सुगा खरीदे क बहाना रहा असल मे हम तोहे निहारे ही आये है काहे तोहरि जइसन खूबसूरत लड़की कबो कबो हम अपने सपना में देखिले इतना सुनते ही सौभाग्य का चेहरा सुर्ख लाल हो गया वह निरुत्तर हो बोली बापू इन्हें बिना पईसा के सुगा दे द ।
 
जुझारू एक सुगा निकाल के चिन्मय के थामावत बोले बापू हमरी इहे एक बिटिया भगवान दिए है एकर खुशी खातिर हम जिये ली मरेली ई कही दिहिस सुगा ले जा एको पईसा जिन द।
 
चिन्मय बोला नाही चाचा आज हमारे पास चार रुपया है रखे बाकी पईसा हम अगली बाज़ार दे जाब हम सुगा के दाम नाही देत हई हम त आज सौभाग्य जईसन लक्ष्मी कि खातिर देत हई जैसे आज सुगा बहाने मुलाकात भइल ।
 
बिना बताए चिन्मय अपना परिचय देते हुए बोला हम बल्लीपुर के पंडित शोभराज तिवारी का एकलौता बेटा हई इतना सुनते ही जुझारू को लगा जैसे सुगा जैसे चिड़िया के लिए पंडित जी के लड़के से वाद विवाद हो गइल वह बिटिया सौभाग्य कि तरफ मुखातिब होते हुए बोला ई का किहु सौभाग्य सुगा खातिर पंडित जी कि बेटबा से झगड़ गयऊ सौभाग्य बोली बापू कौन आफत के पहाड़ टूट पड़ा कि तू दुनियां सर पर उठाई लिए ह चिन्मय बोला चाचा कौनो बात नही और सुगा लेकर घर कि तरफ चल पड़ा।