महबूब जिन्न,, भाग - ०३ By :- Mr. Sonu Samadhiya 'Rasik' (SSR ❤️) विशेष :- यह सत्य घटना से प्रेरित है। अध्याय 23 से आगे......... शबीना को सामने शकील का फ़ॉर्म हाउस दिखने लगा था, जिससे शबीना के चेहरे पर डर की जगह खुशी ने ले ली।
“शबीना...!!!!!”
तभी पास की झाड़ी की ओट से किसी ने शबीना को बुलाया। अचानक से झाड़ी से आई भारी आवाज ने शबीना के रूह को झकझोर कर रख दिया। उसकी साँसे कुछ देर के लिए थम सी गईं। कुछ पल के लिए शबीना भागने की बजाय डरते हुए एक टक उस झाड़ी की ओर देखती रही।
तभी पीछे से शकील ने उसे अपने आगोश में ले लिया। अचानक से शकील का पीछे से आना शबीना को चौंकाने के साथ डरा गया।
“ये भी कोई मज़ाक का वक़्त है, हम पहले से ही डरे हुए हैं और ऊपर से आप हमें डराने पर तुलें हुए हैं..? आप हमसे प्यार करते हो या यूहीं डरा कर हमारी जान लेने का इरादा है..?” - शबीना ने खुद को शकील की बाहों में खुद सहज रखते हुए कहा।
“प्यार करतें हैं आपसे बेइंतहा..... ।”
ये शकील की जबाब था... शबीना के सवाल का... ।
“अच्छा जी.... वैसे आपने हमें अपने फ़ार्म हाउस पर मिलने बुलाया था, लेकिन आप हमसे मिलने फार्म हाउस से बाहर इस वीराने में मिलने आ गए। आपसे रहा नहीं गया..? या फिर कोई दूसरी वजह है... यहां मिलने की वो भी उजड़ी मस्जिद के रास्ते पर...?” - शबीना ने भी शकील को अपनी बाहों में भरते हुए पूछा।
उसकी दोनों खूबसूरत आँखें शांत खड़े शकील की आंखों में झाँक कर अपने सवाल का जवाब खोजने लगीं।
असल में शकील और शबीना उस वक़्त ऎसी जगह पर खड़े थे, जहाँ से उजड़ी मस्जिद वाला रास्ता जाता था, जो जिन्नातों की वारदातों के लिए बदनाम था।
“आपसे मिलने की जल्दी थी... दोपहर की मुलाकात से ही मुझे आपके ही ख्याल आ रहे थे...।” - शकील ने मुस्कुराते हुए कहा।
“सच बताओ न...?” - शबीना ने हल्की जिद करते हुए शकील के वहां, उससे मिलने की वजह जानना चाही।
“सच बोल रहा हूँ..... यार!” - शकील की निगाहें शबीना के जिस्म की खूबसूरती को इस तरह से घूर रहीं थीं। जैसे कोई अनजान शख्स पहली बार किसी खूबसूरत लड़की को देख कर उसकी खूबसूरती का कायल हो गया हो।
“अच्छा...! तो फिर हम चलते हैं, आपको हम से मिलना था न...? हमारी मुलाकात हो गई है और मौसम भी खराब है बारिश कभी भी हो सकती है, रात होने से पहले मुझे घर पर भी पहुँचना है। अब्बू से खुद को छिपा कर आपसे मिलने आए हैं हम... ।” - शबीना ने अपनी मजबूरी बताते हुए कहा।
शबीना की नजरें आसपास के डरावने माहौल को देख कर खौफजदा हो रही थी।
शकील, असहज शबीना के खौफ़ को भांप गया।
“डरने की कोई जरूरत नहीं है... । मैं हूँ न आपके साथ...? यकीन है न मुझ....?”
“हम्म्म्म्...!”
“असल में हमारे आज मेहमान आएं हुए हैं, जिनके रुकने का इंतजाम हमारे अब्बू ने फ़ार्म हाउस में किया है।”
“अच्छा...! कोई नहीं हम फिर कभी मिल लेंगे....अब हमें चलना चाहिए।”
“ये सब इतनी जल्दी हुआ कि मुझे सोचने का मौका ही नहीं मिला... फिर भी....”
“फिर भी क्या..?”
“फिर भी मैंने हम दोनों की मुलाकात यादगार बनाने के लिए दूसरी एक छोटी सी जगह तैयार की है। एक छोटी सी दुनिया जिसमे सिर्फ़ हम और आप होंगे...।”
“अच्छा जी....!” - शबीना ने शकील की ओर मुस्कुराते हुए कहा।
इसी दौरान शबीना की नजरें शकील की नजरों से जा मिलीं, जो उसकी ही ओर देख रहा था।
शकील की मनमोहक आँखें, शबीना के खौफ़ को दूर करके उसे बेखौफ बना रही थी।
“चलोगी मेरे साथ.....?” - शकील ने मुस्कुराते हुए शबीना की ओर देखा।
शबीना सब कुछ भूल कर शकील की ओर देखे जा रही थी। बिल्कुल बेफ़िक्र और बेखौफ सी....। ये दोनों के इश्क़ का कमाल था या फिर कुछ और...., ये कोई नहीं जानता था।
“पर मेरे अब्बू...?”
शकील की बाहों में जकड़ी शबीना आगे कुछ कहती, उससे पहले ही शकील ने उसके होंठों पर किस करके उसे रोक दिया।
तभी आसमान में बिजली की तेज चमक और गङगङाहट की आवाज सुनाई दी। जिससे डरकर शबीना शकील को कसकर गले लगा लिया। कुछ ही देर में बारिश शुरू हो जाती है तो शकील गले से लगी शबीना के कान में धीरे से बोला - “देखा! आज कुदरत भी अपनी खूबसूरत शाम की गवाही देगी.. ...!”
“हम्म्म....!”
तेज बारिश होने से दोनों के जिस्म एक दूसरे के जिस्मों को गर्माहट का एहसास करा रहे थे। शबीना के गीले बालों से उठती मदहोश करने वाली खुश्बू शकील को हद पार दिवाना बना रही थी।
शकील ने मुस्कुराते हुए शबीना को अपने साथ ले जाने के लिए उस के आगे अपना हाथ बढ़ाया। शबीना ने बेझिझक मुस्कुराते हुए उसका हाथ थाम लिया और शकील के साथ वह उजड़ी मस्जिद वाले रास्ते पर बढ़ गई।
कहानी अगले भाग तक जारी रहेगी....... (to be continued 👻 ♥️)
(©SSR'S Original हॉरर)
💕 राधे राधे 🙏🏻 ♥️