यह सब सोचते हुए आरना ने अपना सर पकड़ लिया उसे अपने सर में दर्द महसूस हो रहा था... तो क्या बाथटब में डूब कर उसकी मौत हो गई थी... और उसका रीबर्थ गया था... वह भी एक नॉवेल मे। तभी एक बार फिर उसने अपना सर उठा कर आईने में देखा..... उसकी बॉडी व्हाइट और सॉफ्ट थी.... लेकिन उसके गालों पर एक जोरदार थप्पड़ के निशान थे, यह देख कर आरना नॉवेल की और भी डिटेल्स को याद करने लगी, गुस्से में आकर श्रेजा ने.. इनाय का किडनैप करवाया था.... और उसे गुंडो से भी पिटवाया था.. पर पता नहीं रोम को इस बारे में पता चल गया.. वो इनाया को अपने साथ ले गया...बाद मे रोम ने श्रेया को सबके सामने.. थप्पड़ मार कर भेजती और जलील किया... और यह थप्पड़ के निशान रोम के ही दिए हुए हैं। इसका मतलब यह हुआ....आरना.. यानि श्रेजा 2 साल पीछे आगयी है। मतलब अभी इनाय का रेप नहीं हुआ है और ना ही इनाया नहीं सुसाइड किया है।
" चलो कुछ तो अच्छा हुआ, वरना इस बेवकूफ श्रेजा कि कि सजा मुझे मिलती। "
वह अपने लाल हो चुके गालों को छूूूूते हुए बोली,ऐसा नहीं था कि... हर किसी की तरह... आरना भी यह मानती थी कि.. श्रेजा ने ही इनाया का रेप कराया है, वह पहली ऐसीीी थी जिसे श्रेजाके लिए बुरा लगता था.. लेकिन वह श्रेजा को इसलिए बेवकूफ समझती थी क्योंकि.. वह एक ऐसे इंसान के प्यार में थी.. जिसनेेेेेेेेेे उसकी कभी कदर ही नहीं की जो उसका मंगेतर होते हुए भी उसकी बहन के प्यार में पड़, आरना को रोम ने जो शब्द कहे थे... श्रेजा से..वह बहुत अच्छे से याद थे " तुम एक सेल्फिश लड़की हो... तुमसे शादी करना मेरी एक मजबूरी है, ना कि तुमसेेेेेेे प्यार करना। तुम इनाया केेे पैरों की धूल बराबर भी नहीं हो,.. अपनी औकात में रहो... अगर तुमने फिर सेे इनाया को नुकसान पहुंचने की कोशिश की तो कल का सूरज देखने के लिए जिंदा नहीं रहोगी। "
आरना भी यह सब सोच रही थी कि.. उसके रूम का गेट नॉक होता है.. आरना बाथरूम से निकाल कर दरवाजा खोलती है.. उसके सामने एक मेड अपना सर झुकाए खड़ी थी.. उसे ध्यान से देखा जाए तो समझ आ रहा था कि वो डर से काप रही है। आरना जानती थी कि ऐसा क्यों हो आ रहा था, श्रेजा हर वक्त नौकरो पर चिल्लाती और उनकी बेइज्जती करती रहती और छोटी-छोटी बातों पर उन्हें नौकरी से निकलने की धमकियां देती रहती थी। इसलिए नौकरों में भी कोई उसे पसंद नहीं करता था सबसे खतरे के रूप में देखते थे। और उस नौकरानी के लिए.. आरना श्रेजा थी।
" क्या हुआ? " श्रेजा ने उस मेड से पूछा।
" मैम.. वो सर ने आपको.. ब्रेकफास्ट करने के लिए नीचे बुलाया है"।
मेड मैं अपना सर झुकाए हुए ही कहा।
" हम्म ओके.. तुम्हारा नाम क्या है? "
श्रेजा ने फिर से पूछा।
" श... शांति। " उस मेड ने हिचकिचाते हुए जवाब दिया।
" अच्छा शांति तो क्या तुम इस रूम को साफ करने में मेरी मदद करोगी? "
उसकी यह बात सुनकर मेड हैरानी से उसकी ओर देखने लगी। श्रेजा के टोन में पहले की तरह... घमंड और रूड नहीं थी.. इस बार उसकी टोन फ्रेंडली थी।
" जी.. जी.. मैम। "
मेड ने अपना सर जल्दी से हां में हिलाया.. उसे डर था की कही... श्रेजा पहले की तरह उसे पर भड़क ना जाए।
श्रेजा जल्दी से कपड़े लेकर वॉशरूम के अंदर चली गई।
थोड़ी देर में जब वह बाहर आई तो मेड ने उसका कमरा साफ कर दिया था।
श्रेजा अपने बाल बांधकर ब्रेकफास्ट के लिए नीचे आ गई नीचे पांच लोग उसका ब्रेकफास्ट पर इंतजार कर रहे थे।
शुभम मेहरा... इशिता मेहरा.. शोभा सिंह.. श्रेयांश मेहरा.. और इनाया मेहरा।
शुभम को अपनी फर्स्ट वाइफ.. से दो बच्चे थे श्रेजा और श्रेयांश। अपनी फर्स्ट वाइफ की मौत के बाद उसने इशिता से दूसरी शादी कर ली थी.. इशिता की पहले से ही एक बेटी थी इनाया.. शादी के बाद इशिता.. श्रेया और श्रेयांश का बहुत ख्याल रखती थी... श्रेयांश तो इशिता को अपनी मां मां चुका था.. लेकिन इशिता कभी भी श्रेया के दिल में मां की जगह नहीं ले पाई... क्योंकि श्रेजा अपनी असली मां से बहुत प्यार करती थी और श्रेजा की बुआ शोभा हमेशा श्रेजा को इशिता के खिलाफ भड़काया करती थी... श्रेजा के दिमाग में बचपन से ही.. यह डाला गया था कि शुभम को श्रेजा की मां की परवाह नहीं थी इसलिए उन्होंने दूसरी शादी कर ली... इसलिए श्रेजा.. शुभम और इशिता से नफरत करती थी। धीरे-धीरे करके वह अपने भाई से भी दूर हो गई।