Aehivaat - 3 in Hindi Women Focused by नंदलाल मणि त्रिपाठी books and stories PDF | एहिवात - भाग 3

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एहिवात - भाग 3

आदिवासी नौजवानों एव जंगा के अथक प्रयास से विल्सन स्वस्थ होने लगा वह आदिवासी भाषा नही समझ पा रहा था टूटी फूटी हिंदी बोल पा रहा था लेकिन वह भोले भाले आदिवासियों कि भावनाओं प्यार सेवा को अंतर्मन कि गहराई से समझ रहा था ।

दुख था तो अपनी संवेदनाओ कि अभिव्यक्ति न हो पाने का उसे पता था कि हिंदुस्तान में हाथ जोड़ कर किसी को सम्मान दिया जाता है और पैर छूकर बुजुर्ग बड़ो का और गले लगा कर बराबरी वालो का वह यही करता आदि वासी समाज का भोजन था बड़े चाव से खाता तीखा जुझारू सौभाग्य बड़े खुश रहते इस बात पर जंगा को भी अपने हुनर पर गर्व था की उसने मरनासन्न को जीवन अपने इलाज से दिया ।

विल्सन के पास अन्य कुनबों के आदिवासी नौजवान आते तरह तरह के हास परिहास करते जब विल्सन पूरी तरह स्वस्थ हो गया और छ माह बीत गए विल्सन ने एक दिन कहा अब वह लौटना चाहता है ।

इतना सुनते ही जुझारू तीखा सौभाग्य जंगा और आदिवासी परिवार के कुनबों में वेदना कि हलचल हुई कोई भी अपने प्रिय विल्कु को नही विदा करना चाहता था ।

विल्कु था भी बहुत प्यारा जैसे कोई अबोध ईश्वर का दूत घायल मरणासन्न अवस्था मे आदिवासीयो के बीच पहुंचना और विल्सन से विल्कु बनाना जैसे विल्सन को अधिक रास आ गया जाना वह भी नही चाहता था लेकिन उसकी अपनी विवशता थी
जिसे नजर अंदाज कर पाना सम्भव नही था ।

आदिवासी नौजवानों द्वरा बिभिन्नं आदिवासी खेल आदि सिखाना जिसे बहुत रुचि और जिज्ञासा के साथ विल्कु सीखता तीर चलाना तरह तरह के जानवरों के आवाज़ निकालना पेड़ पर चढ़ना तैरना जंगल मे बिभिन्न खतरों से बचाव आदि विल्कु ने छः माह में वनवासी समाज के मध्य चिकित्सा के दौरान रहते सिख लिया था ।

सौभाग्या के रूप में विल्कु को चुलबुली बहन मिल गयी थी जो उसे बहुत परेशान करती विल्कु सौभाग्या को अंग्रेजी भाषा पढ़ाता सौभाग्या भी मुँहबोले भाई विल्कु के प्रत्येक बात आदेश को मन से शिरोधार्य करती नतीजा यह निकला कि सौभाग्या ने अंग्रेजी के लेटर कंठस्थ कर लिए साथ ही साथ कुछ पेड़ पौधों जानवरो के नाम भी अंग्रेजी में सिख गयी थी
इधर विल्सन के लापता होने से एव कोई खोज खबर लंबे अर्से न मिलने उसके परिवार के लोगो ने अपने देश मे भारतीय उच्चायोग में इसकी जानकारी दी ।

भारतीय उच्चायोग ने विल्सन के विषय मे जानकारी एकत्र करने के लिए भारत सरकार से सभी प्रायास करने का अनुरोध किया भारत सरकार ने विल्सन कि खोज में सारे प्रयास शुरू किए जो अनवरत जारी थे।

आदिवासियों के प्रिय और अजीज बन चुके विल्कु ने जब जाने कि जिद की तो जुझारू तीखा से बोला देखत ह तीखा एके कहत है देवता का दर्शन विल्कु आये और नेह लगाए हंसे रोये सबका हंसे रुलाये और झट से सारा नेह नाता तोड़ के चल दिये एतनो नही समझे कि नेह मोह के धागा लोर धार से कही कौनो नया तूफान बखेड़ा ना खड़ा हो जाये जियरा मानत नाही विल्कु के जाए देवे के लेकिन का करी सकित हई हमरे वन देवता और कुल देवी देवता कुछ और सोचे होईहे।

सौभाग्या को जब से विल्कु के जाने कि बात मालूम हुई खाना पीना छोड़ कर रोये ही जा रही थी विल्कु उसे हर तरीके से समझाने की कोशिश करता विल्कु कहता आई बिल कम बैक वन्स अगेन सौभाग्य कहती विल्कु भैया तुम तो यही समझते हो कि हम वनवासी लोग # अनपढ़ गंवार भावुक है जो भागते भौतिकता के समय मे पिछड़े लोग है नही हम लोग भगवान को मानुष और हर जीव में महसूस करते है पेड़ पौधे सभी मे यह जरूर है पेट कि आग बुझाने के लिए निर्भर भी इन्ही पर है लेकिन वनवासी समाज आदि वासी समाज मानवता कि उतपत्ति का आदि है संस्कृति सांस्कार का आदि अनादि है जिसका मतलब है प्रेम करुणा सेवा समर्पण #सौभाग्य ऐसे बोले जा रही थी जैसे विद्योत्तमा और गार्गी का प्रवचन दे रही हो विल्कु ने पुनः आने का आश्वासन देकर किसी तरह से सौभाग्या तीखा जुझारू जंगा एव अन्य आदिवासी परिवारों से लौटने कि आधे अधूरे मन से अनुमति पा सका।

विल्सन आदिवासीओ से विदा लेकर चलने को हुआ तीखा जुझारू उससे लिपट कर ऐसे रोने लगे जैसे वह उनकी ही औलाद हो विल्सन अपनी भाषा मे बोला यह आई एम लाईक योर सन एंड योर डॉटर हू सेव मय लाइफ इज माई सिस्टर आल ट्राइबल यूथ इज माय ब्रदर विल्सन की भाषा तो कोई समझ नही सका कहते है भषा से अधिक सशक्त संवेदना भाव और उसकी अभिव्यक्ति कि अनुभूति होती है ।

तीखा जुझारू सौभाग्य जंगा के साथ साथ सभी आदि वासी विल्सन की हृदयस्पर्शी भवनाओ को बहुत गहराई से महसूस कर रहे थे यही हाल विल्सन का भी था विल्सन आदिवासीओ से विदा लेकर सीधे जो पास के चर्च गया और चर्च के पादरी फादर डेविड से आप बीती सुनाई फादर डेविड ने विल्सन को उसके देश कि एम्बेसी तक पहुचने का बंदोबस्त कराया।

विल्सन भारत मे अपने देश ऑस्ट्रेलिया दूतावास पहुंचा जहां उसके देश के भारतीय उच्चयुक्त आर्थर ने उसका गर्म जोशी से स्वागत कर भारत सरकार को विल्सन के मिलने की सूचना दी आर्थर ने विल्सन से प्रश्न किया कि भारत के आदिवासी समाज पर शोध का निष्कर्ष तुमने क्या निकाला ?

विल्सन बोला सर रियली ट्राइबल्स ऑफ इंडिया इज इनोसेंट फॉर्म आफ आल माईटी गॉड आई रीड अबाउट गॉड एंड बीइंग ह्यूमन ऑलवेज ट्राय टू नो द फैक्ट्स ऑफ गॉड आई फील इंडियन ट्राइबल्स आर ट्रुथ फॉर्म ऑफ आल माईटी गॉड माय पर्सनल रिक्वेस्ट टू यू प्लीज वन्स यू गो तो फारेस्ट एंड जॉइन हिम फार फ्यू डेज फ़ॉर फीलिंग द आल माईटी।।