Hotel Haunted - 47 in Hindi Horror Stories by Prem Rathod books and stories PDF | हॉंटेल होन्टेड - भाग - 47

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 47

1 हफ़्ते बाद


“हैलो मिस्टर शर्मा....हां सर, में मिस. अग्रवाल बोल रही हूं।"jenny कुर्सी पे बैठी फोन पर बात कर रही थी।
"हां मैडम,sorry आपने दूसरे नंबर से कॉल किया इसलिए आपकी आवाज पहचान में नहीं आई।"cottage मैं लकड़ी की फ्लोरिंग वाले कमरे में एक आदमी कुर्सी पर बैठा आदमी फोन पर बात कर रहा था।
"जी कोई बात नहीं, वैसे भी मुझे cold हो गया है तो मेरी आवाज़ भी थोड़ी सी बदल गयी है।"
"जी मैडम तभी मैंने आपको नहीं पहचाना।" कहते हैं हुए मिस्टर शर्मा हंसने लगा।"
"और बताइये सब तैयारी तो हो गयी है ना?"
"जी इसमें तैयारी क्या करनी है, सब कुछ तैयार ही है, आप कभी भी आ सकते हैं
"Thanks Mr.Sharma, आपकी वजह से यह सब possible हो पाया, अगर आप नहीं होते तो मैं यह सब कभी नहीं कर पाती।"
"जी इसमे थैंक यू कैसा,अब आप मुझे यह सब कहकर शर्मिंदा कर रही है,इसमें कौन सी बड़ी बात है और वैसे मैं भी बहुत खुश हूं की मैं आपके कुछ काम आ सका।"
"तो क्या आप इस वक़्त वही पर हैं?"
"हां और यहां की ख़ूबसूरती को enjoy कर रहा हुं।"
"Wow... I'm very excited Mr. Sharma हम अगले Week में वहां पहुंच जाएंगे।"
“जी बिल्कुल, मैं आप सबका बेसबरी से इंतज़ार कर रहा हूँ।"
"Okay Mr. Sharma हम बहुत जल्द मिलेंगे Take care of yourself."
"जी बिलकुल" इतना कहने के बाद फोन कट हो गया, कुर्सी से उठकर शर्मा किचन की ओर बढ़े, गैस on किया और कुछ देर तक उस जलते हुए गैस को ही घूरने लगे,उनकी आंखो मैं एक अलग ही चमक थी जो ये साफ जाहिर कर रहीं थी की ये आंखें किसी इंसान की नही है, कुछ पल ऐसे ही खड़े रहने के बाद उन्होंने अपना सर आगे की तरफ किया और उस जलते हुए गैस पर रख दिया,आग की लपटों ने कुछ ही पल में उनके चेहरे को अपने घेरे में ले लिया, और उनके चेहरे की चमड़ी को जलाना शुरू कर दिया,उनका पूरा चेहरा जल भून रहा था पर उस चेहरे पर दर्द की जगह एक अलग ही मुस्कान थी।आग की तपन से चेहरे का मास शरीर का साथ छोड़कर फिसलता हुआ नीचे गिरने लगा,जैसे ही मास के कुछ टुकड़े चेहरे से अलग होकर नीचे गिरे,शर्मा ने अपना चेहरा उस आग से बाहर निकाल लिया,जैसे ही वो चेहरा बाहर आया वो चेहरा जला हुआ बिना बालों वाला बेहद ही भयानक नजर आ रहा था, चेहरे से कुछ हिस्सों की हड्डियां साफ नजर आ रही थी,सामने का बेहद ही खौफनाक और दर्दनक मंज़र था ,चेहरे के अलग अलग हिस्सों पे खून चिपका हुआ था, चेहरे की खाल बुरी तरह से जल के सिकुड गई थी।


शायद इतना सब भी कम था दिल दहलाने के लिए क्योंकि अगले ही पल मिस्टर शर्मा ने अपने चेहरे से मास को बेहद आराम से अलग किया और उसे मुँह में डालकर के चबाने लगा, खाते हुए उसके मुँह से एक अजीब सी आवाज़ गुंजने लगी,"अब आया असली मजा।"कहते हुए अपने खून से रिसे हाथ को चाटने लगा,कुछ देर तक ऐसे ही खड़े रहने के बाद वो वही पर गिर गया और धीमी सी उस जलते हुए गैस की आवाज आती रही।



"Listen Guys , I Have A Information For You,जिसके लिए मैने महिनो से प्लानिंग की है और आज में उसके बारे में आप सबको बताने वाली हूं " मिस जेनी ने अपने बालो को अच्छी तरह बांधा और टेबल का सहारा लेके खड़ी हो गई।सभी स्टूडेंट्स जेनी को घुरने लगें और इस बात का इंतज़ार करने लगें कि आखिर ऐसी कौन सी बात है जिसके लिए मिस लिए इतनी excited दिख रही है।
"अच्छा, जादा टाइम ना लगते हुए में सबको बता देती हूं, All Of You Remember You All Submit Your Project जिसके base पे मैंने कहा था कि मैं कुछ स्टूडेंट्स को किसी खास चीज के लिए सेलेक्ट करूंगी तो आज मेरे पास उन स्टूडेंट्स की list है जिन्हे मेने सेलेक्ट किया है As per your Projects."कहते हुए मिस ने एक fold पेपर को खोला, "पर उससे पहले आप सब ये नहीं जाना चाहेंगे कि ये सिलेक्शन होने के बाद क्या होगा,No one Asked."जिसे सुनकर क्लास मैं पूरी तरह शांति छा गई।



“अच्छा, मैं ही बता देती हूँ, तो आज जो भी स्टूडेंट Select होगा उसके लिए मैंने एक ऐसे session का preparation किया है जो उन्हें अपने carrier को सेट करने में उनकी मदद करेगा, I Will Show Those Students The
Great Architect Structure.जिसे उन्हें help मिलेगी, नये ideas मिलेंगे,एक experience मिलेगा कि Human Thinking कहीं तक भी जा सकती है,Our Brains Have No Limits वो हमे कुछ भी दिखा और करवा सकता है We Have To Focus On That Particular Thing.मेरा भी सिर्फ यही motive था आपसे उस प्रोजेक्ट बनवाने का कि आपका vision कहां तक जा सकता है और मैंने सिर्फ उसी के point of view से उन students का selection किया है।Believe Me, Those Who Are Selected They All Gonna Face
A New Thing In Their Life And Those Who Miss This They Miss Something Extra-ordiniary, खैर जो हो गया उसे कोई बदल नहीं कर सकता...But I hope कि आगे से आप इन सब चीज़ को seriously लेंगे।'' जेनी ने अपनी बात ख़तम की तो "पर मैम हम कहाँ जा रहे हैं?" एक student ने Excitement दिखाते हुए पूछा,"हम कहां जाएंगे और क्या देखेंगे यह फिलहाल आप सबके लिए अभी एक surprise है।" जेनी की बात सुन के सारे स्टूडेंट्स एक दूसरे की तरफ देखने लगें,सभी के चेहरे पर Excitement था।



"ठीक है अब में उन students के नाम बता देती हूँ.." कहते हुए Jenny ने list पर लिखा सबसे पहला नाम पढ़ा।
"प्रिया" नाम लेते ही प्रिया ने हंसते हुए अपना हाथ खड़ा किया ,"आंशिका , प्राची , श्रुति , तृष्टि , मिलन " इतना कह के मिस रुक गई,"और अब जिनसे मुझे उम्मीद नहीं थी फिर भी They Did A Fantastic Job....अविनाश'' अपना नाम सुनते ही अविनाश के चेहरे पर एक बड़ी मुस्कुराओ आ गई मानो उसने अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी लडाई जीत ली हो, फिर मिस ने आगे कहना शुरू किया," हर्ष, अभिनव, अनमोल, ये तीनो भी मेरी उम्मीद के बिल्कुल Opposite निकले Seriously Nice Work Guys" Miss. ने हल्का सा हंसते हुए कहा तो हर्ष के चेहरे पर smile आ गई,उसने हंसते हुए अभिनव को ओर देखा जो उसी की तरफ घूरते हुए देख रहा था।



"Well At Last But Not The Least,Who Always Doing Different Things...... Obviously Shreyas.''कहते हुए मिस ने उस जगह पर अपनी नज़र डाली जहां अक्सर श्रेयस बैठा करता था, लेकिन उसे आज श्रेयस वहां बैठा हुआ नजर नहीं आया।
"श्रेयस??!!" उसने पूरी क्लास में नज़र दौड़ाई तो वो उन्हे क्लास के आखिरी कोने में अकेले बैठा हुआ दिखा ,"श्रेयस.... ,श्रेयस..."मिस बार-बार आवाज लगा रही थी, सभी students की नज़र उसकी तरफ ही टिकी हुई थी लेकिन वो मानो अपनी ही किसी अलग दुनिया में खोया हुआ था तभी उसके आगे बैठे एक student ने उसका हाथ हिलाया जिसे वो होश में आया, कुछ पल वो उस लड़के को देखने लगा और फिर जब उसके कानों में मिस की आवाज पड़ी तब उसने सामने देखा।

"Are You alright Shreyas?" मिस ने शांति से पूछा जिसके जवाब में उसने सिर्फ अपनी गर्दन हिलाई।
"okay,So Shreyas You're also selected."
"Sorry Miss , But I Want To Withdraw My Name" मेरी आवाज़ सुनते ही सब मेरी तरफ देखने लगें,"What,??!.....What did you say?!!"मिस ने अजीब से लहज़े में मुझसे पूछा।
"मिस मेरी जगह आप किसी और को सिलेक्ट कर लीजिए क्यों की मैं....."इतना कह के मैं चुप हो गया।
“Did You Know What Are You Saying Shreyas? ये trip तुम्हारे dream को एक स्टेप ओर करीब ले आएगी और अब तुम खुद इससे दूर भाग रहे हो,Are you mad?" मिस ने थोड़ी ऊंची आवाज मैं गुस्से के साथ कहा लेकिन मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ा, मैं अभी भी बिना कोई Reaction दिए वैसे ही खड़ा रहा।
"Say something" मिस एक बार फिर चिल्लाई।

"Miss,Now I Have No Dream & Nothing To Achieve" मेने सिंपल लहज़े में कहा तो मिस बस मेरी तरफ़ देखती रही।
"श्रेयस मुझे पता है कि यह दुःख कैसा होता है पर किसी के जाने से हमारी जिदगी नही रुकती,तुम्हे आगे बढ़ना ही होगा।" इस बार मिस ने बेहद प्यारी आवाज़ में कहा। उनकी बात सही थी, हमारी लाइफ किसी के जाने से कभी नहीं थमती,हर कोई सब कुछ भूल के आगे बढ़ चूका था, पर मैं नहीं क्योंकि मेरा दिल और दिमाग उसी पल मैं जैसे कैद सा हो गया था जिसे भूलकर मैं कभी आगे नहीं बढ़ना चाहता था। मैंने इसके आगे कुछ नहीं कहा बस यूं की सभी चेहरे को देखता रहा जो मेरी तरफ देख रहे थे।



"जिद मत कर ट्रिश,मुझे बार बार एक ही बात कहना पसद नही है।" मैंने फोन पे ट्रिश को समझाते हुए कहा।
"तेरे इस तरह गुस्सा करने से मैं नही डरनेवाली अगर तू नही आया तो तेरे घर आकर घसीट कर तुझे ले जाऊंगी।"इतना कह के उसने फोन कट कर दिया,मैने एक गहरी सांस छोड़ी और फ़ोन को बेड के साइड पर रखकर मैं बैठ गया तभी रूम का दरवाजा खुलने की हल्की सी आवाज आई,मैने उस और देखा तो आंशिका खड़ी मुझे देख रही थी।
"कैसे हो श्रेयस?" कहते हुए आंशिका रूम के अंदर आई, मैने जवाब में कुछ नहीं कहा और सामने टेबल पे रखी मां की तस्वीर को देखने लगा।
"मैं जानता हूं आंशिका तुम मुझे क्या कहने आई हो?"मेरी बात सुनते ही वो भी समझ गई कि गोल गोल बात करने की अब जरूरत नहीं है।
"मैं नही जानती की आंटी के जाने के बाद तुम्हे कैसा लग रहा है पर तुम्हारी बातो मै आंटी के खोने के दर्द के अलावा गुस्सा भी दिखता है,मैं सिर्फ यह जानना चाहती हूं की उस गुस्से की क्या वजह है जो तुम किसी से बात नही करना चाहते?"
आंशिका की बात सुनकर मुझे वो सब पल दोबारा याद आने लगे,"मुझे अब इन बातो से कोई फर्क नहीं पड़ता आंशिका,कोई मेरे बारे मैं क्या सोचता है अब मुझे इन सब बातो से कोई मतलब नहीं है,मैं बस अकेले रहना चाहता हूं तुम बस यह समझ लो।"

"इतने दिनो मैं You're change a lot श्रेयस पर मैं जानती हूं की आज भी तुम अंदर से वही एक इंसान हो मैने जिसके साथ अच्छा time spend किया है बस कुछ बुरे लम्हों ने तुम्हे ऐसा बना दिया है,अगर मुझे कोई गलती हुई हो तो मुझे माफ करदो श्रेयस पर अपने सपने को इस तरह टूटने मत दो।" आंशिका जैसे अपनी बात कर रही थी, वैसे-वैसे मेरे अंदर के जज्बात मुझ पर हावी हो रहे थे।


"याद है आंशिका तुमने एक दिन कहा था कि विश्वास ही प्यार और भगवान दोनो है,उस दिन में तुम्हे जवाब नहीं दे पाया क्योंकि मेरे पास उस दिन कुछ कहने को नहीं था, पर आज है....."मैं चलते हुए आंशिका के करीब पहुंच गया "विश्वास सिर्फ एक वहम है,मैं नही मानता पर मेरी मां मानती थी उस भगवान मैं,अपनी आखिरी सांस तक वो एक दुःख के साथ रही आखिर क्यों नही सुनी उसकी बात?वो वेहम ही है जो हमें प्यार और भगवान के होने का एहसास दिलाता है, असल में तो वो सिर्फ धोखा है।" कहते हुए मेरा चेहरा गुस्से से भर गया था।



“श्रेयस आज अगर आंटी तुम्हें इस तरह देखती तो वो जरूर टूट जाती।" आंशिका के बात सुन के एक पल गुस्सा तो आया पर मैने अपने आप पर काबू किया।
"याद है श्रेयस तुम्हें,आंटी हर पल तुम्हारी खुशी मैं ही अपनी खुशी को देखती थी पर तुमने उनकी खुशी से बढ़कर उस दुःख को चुना है,आज तुम्हे इस तकलीफ को देख वो जहां कहीं भी होगी उन्हे भी तुम्हे इस तरह से देखकर दुःख हो रहा होगा,आज तुमने उस दर्द के साथ अपने हर सपने को तोड़ दिया और विश्वास को वेहम का नाम देकर उनके हर प्यारे एहसास को तोड़ दिया।" कहते हुए आंशिका की आंखो से आंसु की कुछ बूंदे बाहर आ गई और इतना कहकर वो वहा से चली गई उसकी बात सुनते ही मेरा दिल भारी होने लगा और अब उन्हें महसुस करते ही मुझे इतना गुस्सा आया कि मैने अपना हाथ टेबल पर मार दिया,कुछ ही पलो मैं पैर लड़खड़ा गए और में टेबल के सहारे बैठ गया, आंखें से आंसू एक बार फिर बहने लगे और आंशिका की उन बातें ने मुझे फिर से जज़्बातों के उस सागर में डूबो दिया।कुछ दिन बीत गए, पर ये कुछ दिन ना बीते तो अच्छा होता क्योंकि जैसा मेरी जिंदगी मैं वो पल आनेवाला था जिसमे इससे भी ज्यादा दर्द और तलकीफ भरी हुई थी पर उन सब बातों से बेखबर इन पलो मैं कही खो गया था।




To be Continued.......