महबूब जिन्न,, भाग - ०२
By :- Mr. Sonu Samadhiya 'Rasik' (SSR ❤️)
विशेष :- यह सत्य घटना से प्रेरित है।
“देख लेने दो...! क्या फर्क पड़ता है, वैसे भी सबको हम दोनों के बारे में पता है..।” - शकील ने शबीना को अपनी बाहों से आजाद करते हुए कहा।
“हमारे अब्बू! को तो पता नहीं है न..?” - शबीना ने अपनी कालीं - कालीं दो बड़ी - बड़ी आँखें दिखाते हुए कहा।
“नहीं....!”
“तो मंजनू जी! अगर हमारे प्यारे अब्बू को पता चल गया न...? तो मिलना तो दूर की बात... हमारा स्कूल तक बंद करवा देंगे.... हमारे अब्बू जान!”
असल में, सेंकड़ों लोगों की चाहत खूबसूरत शबीना और शकील एक दूसरे से बेइंतहा मोहब्बत करते थे।
“हे! सुनो! आज हम अकेले हैं अपने फार्म हाउस पर.....!”
“तो हम क्या करें ....?”
“आज मिलने आ जाओ न यार... प्लीज...!”
“नहीं... सॉरी! हम नहीं आ सकते, हमारी मजबूरी को समझो बाबू..! आज मौसम का मिजाज भी कुछ ठीक नहीं लग रहा है, कभी भी बारिश हो सकती है और हम ज्यादा देर तक घर से बाहर नहीं रुक सकते क्योंकि मेरे अब्बू इसकी इजाजत कभी नहीं देंगे...।”
“बस थोड़ी देर के लिए आ जाना यार.... प्लीज मेरी खातिर... प्लीज..!”
“तुम्हें बखूबी पता है कि हम हमेशा तुम्हारी ज़िद के आगे हार जातें हैं ... तभी तुम जानबूझ कर हमारे साथ ऎसा करते हो न....?” - शबीना ने मुँह बनाते हुए शकील से पूछा।
शकील, शबीना की बातें सुनकर मुस्कुराने लगा।
“आओगी न..?”
“हम्म्म.. अब मैं जाती हूँ.. ख़ुदा हाफिज़... ।”
“सुनो...!”
“जी फरमाईए....!” - शबीना ने बापस शकील की ओर पलट कर पूछा।
“जाते - जाते एक किस तो देती जाओ यार.... प्लीज”
“यार... तुम भी न हद करते हो...?” - शबीना ने त्यौरियाँ चढ़ाते हुए कहा।
“प्लीज बेबी.....?”
“ओके... बट ओन्ली फॉरहेड....!”
“नो.....!” - शकील ने शबीना के चमकते चमकीले दो होंठों को की ओर देखते हुए कहा।
“नो.... अब हम जा रहें हैं... ।”
“प्लीज... बाबू..!”
“नो... बाय...!” - शबीना ने गुस्से से दूसरी ओर मुड़ते हुए कहा।
“तुम्हें मेरी कसम.... बस एक..?”
“क्या यार..? तुम भी न... ।” - शबीना ने शकील के करीब आते हुए कहा।
शकील, शबीना के होंठों को चूमने लगा।
“बस भी करो...?” - शबीना ने खुद को शकील की बाहों से अलग करते हुए कहा और उसकी ओर मुस्कुरा कर घूरते हुए बाहर चली गई।
“हम इंतज़ार करेंगे आपका......!”
उसी शाम पांच बजे शबीना गाँव के बाहर कच्चे उबड़ - खाबड़ रास्तों को पार करते हुए और सभी की नजरों से खुद को बचाते हुए शकील से मिलने के लिए उसके फ़ॉर्म हाउस की ओर बढ़ गई।
आसमान में बादल छाए हुए थे। सूरज बादलों के बीच आंख मिचौली खेलते हुए काले और घने बादलों के बड़े से झुंड में छिप चुका था, जिससे कम अंधेरा ज्यादा प्रगाढ़ काला और गहरा प्रतीत होने लगा था, जो शाम को ही रात होने का आभास करा रहा था। दूर - दूर तक आसमान को चूमते विशालकाय वृक्ष और रास्ते के दोनों ओर खड़ी घनी झाड़ियों से कभी - कभी सरसराहट की आवाज शबीना के जहन में खौफ़ की तपन इजाद कर रही थी। शबीना का दिल जोरों से धड़कने लगा था।
कहानी अगले भाग तक जारी रहेगी....... (to be continued 👻 ♥️)
(©SSR'S Original हॉरर)
💕 राधे राधे 🙏🏻 ♥️