Uljhan - Part - 2 in Hindi Fiction Stories by Ratna Pandey books and stories PDF | उलझन - भाग - 2

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उलझन - भाग - 2

अपने बेटे प्रतीक के रिश्ते के लिए कमला ने अपने मन में पल रहे डर के कारण गोपी से कहा, "प्रतीक के विवाह के लिए मेरी एक शर्त है।"

"शर्त ... कैसी शर्त?"

"मुझे शहर की नहीं, किसी गाँव की बहू चाहिए।"

"यह क्या कह रही हो कमला? क्या प्रतीक मानेगा?"

"उसे मानना ही होगा हमारे लिए। गाँव की लड़कियों में आज भी संस्कार देखने को मिलते हैं, जो शहर से कब के नदारद हो चुके हैं।"

"चलो देखते हैं तुम्हारा लाडला क्या कहता है?"

वह दोनों इस तरह की बातें कर ही रहे थे कि तभी प्रतीक अपने ऑफिस से वापस घर लौटा। उसके आते ही कमला और गोपी दोनों ने ही अपनी बेचैनी पर नियंत्रण न रखते हुए विवाह की बात छेड़ दी।

प्रतीक से कमला ने कहा, "प्रतीक अब तो तेरी उम्र विवाह योग्य हो गई है। हम तेरे लिए लड़की देखना शुरू करने वाले हैं।"

"ठीक है माँ, मैंने विवाह के लिए कब मना किया है, देखो-देखो!"

गोपी ने कहा, "तेरी माँ गाँव की लड़की से तेरा रिश्ता करवाना चाहती है।"

"क्या ...? नहीं माँ नहीं, यह मत करो।"

"प्रतीक तुझे दुनियादारी की ख़बर नहीं है। तुझे यह शादी विवाह के मामले की कहाँ कुछ जानकारी है। तू बस सब मेरे ऊपर छोड़ दे। मैं तेरे लिए बहुत संस्कारी लड़की लाऊँगी, जो हमारे घर परिवार को साथ लेकर चलेगी। शहर की लड़कियाँ तो घर में खाना भी नहीं बनातीं। आये दिन बाहर से आर्डर करके मंगवाती है, साथ ही वह क्या कहते हैं ... बियर... हाँ बियर भी पीती हैं ..."

"पर माँ ...?"

"पर वर कुछ नहीं तुझे मेरी क़सम जो किसी भी तरह के नखरे किया तो। अरे माँ हूँ तेरी, जो भी करूंगी, अच्छा ही करूंगी। आख़िर तेरी फ़िक्र हम दोनों से ज़्यादा भला और कौन कर सकता है?"

ना चाहते हुए भी प्रतीक आगे कुछ भी ना कह पाया।

कमला ने गोपी से कहा, "हमारे गाँव या उसके आसपास के गाँव में लड़की देखते हैं।"

इस तरह उन्होंने लड़की ढूँढने की मुहिम शुरू कर दी।

उनकी यह तलाश निर्मला के आँगन में जाकर रुक गई। गोपी और कमला दोनों को ही निर्मला का परिवार, उसके माता-पिता, भाई सभी लोग बहुत पसंद आ गए। निर्मला यूं तो बहुत खूबसूरत थी, उसे देखकर या उससे बातें करने के बाद कोई ऐसा सोच ही नहीं सकता था कि यह लड़की सिर्फ़ आठवीं पास है। निर्मला के घर में भी सभी को कमला और गोपी का स्वभाव काफ़ी अच्छा लगा। लड़के की फोटो भी उन्हें पसंद आ गई। निर्मला के मन ने जो सोच रखा था कि किसी शहर के लड़के से शादी करेगी तो उसने भी तुरंत मन ही मन में हाँ कहने का सोच लिया।

जब उसकी माँ आरती ने उससे पूछा, "निर्मला शहर का लड़का है, फोटो भी अच्छा लग रहा है, तूने भी देखा है ना फोटो?"

"हाँ माँ देखा है।"

"तो तू तैयार है?"

निर्मला ने बिना एक भी पल की देर लगाए कह दिया, "हाँ माँ आपको पसंद है तो फिर मुझे क्या आपत्ति है।"

"ठीक है।"

इस पहले ही रिश्ते के लिए अपनी बेटी की हाँ सुनकर निर्मला और धीरज की ख़ुशी का ठिकाना ना रहा।

रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)
स्वरचित और मौलिक
क्रमशः