Menhadipur Balaji -Yatra Diary ka Antim Prishth in Hindi Travel stories by Prafulla Kumar Tripathi books and stories PDF | मेंहदीपुर बालाजी - यात्रा डायरी

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मेंहदीपुर बालाजी - यात्रा डायरी


22 दिसम्बर।लगभग एक सप्ताह के इस शीतकालीन वर्षान्त पर्यटन का अब समापन हो रहा है। आज सुबह नाश्ता कर हमलोग अपने रथ पर सवार होकर लगभग 10-30 बजे जयपुर आगरा एक्स प्रेस हाई वे पर तेज रफ्तार चल रहे थे कि सारथी भगवान सिंह की आवाज़ गूँजी -
"साहब, क्यों न मेंहदीपुर बाला जी महाराज के यहां भी मत्था टेक लें…"
हम सभी सहमत हो गए। समझ लिए कि सारथी के मुंह से स्वयं प्रभु निमंत्रण दे रहे हैँ।गाड़ीने थोड़ा टर्न ले लिया। थोड़ी दूर पर गाड़ी छोड़नी पड़ी। हमने बैटरी रिक्शा लिया और... अब हम दरबार में हाजिर हो गए हैं ।
आपको बता दें कि राजस्थान के दौसा जिले में स्थित मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर भगवान हनुमान जी का है। इस मंदिर में हनुमान जी के अलावा कई अन्य हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं।यहां हर दिन लाखों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर के कई रहस्य और चमत्कार सुनने को मिलते हैं। इस मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि इस मंदिर के दर्शन मात्र से भक्तों के सारे कष्ट दूर होते जाते हैं। साथ ही यहां आने वाले भक्तों को भूत-प्रेतों और किये-कराये से भी मुक्ति मिल सकती है।
बालाजी हनुमान जी का ही दूसरा नाम है। ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी के बचपन का नाम बालाजी था जो हिन्दी और संस्कृत में इस्तेमाल होता है।
इस मंदिर में स्थित बाला जी की मूर्ति के बाई छाती की ओर एक छोटा सा छेद है, जिसमें से लगातार पानी की एक पतली धारा बहती रहती है। इसी धारा से निकले पानी को टैंक में जमा करके भगवान बाला जी के चरणों में रखा जाता है, जिसके बाद प्रसाद के रूप में इसे वितरित किया जाता है। यहां पर ऊपरी चक्कर और प्रेत आत्माओं से मुक्ति के लिए अर्जी भी लगाई जाती है। इस मंदिर में प्रेतराज सरकार और भैरवबाबा की भी मूर्ति विराजित है। कहा जाता है कि किसी भी नकारात्मक साया के लिए यहां अर्जी लगाई जाती है। भूत-प्रेत के साए को भगाने के लिए यहां कीर्तन इत्यादि किया जाता है।यह भी विचित्र मान्यता है कि बालाजी के मंदिर का प्रसाद घर पर नहीं लाना चाहिए।चूँकि इस मंदिर के दर्शन से भूत-प्रेत, किये-कराए जैसी इत्यादि बाधाओं से मुक्ति मिलती है। ऐसे में इस मंदिर के प्रसाद या फिर इस मंदिर से जुड़ी किसी भी सुगंधित चीज को घर पर लाना सही नहीं माना जाता है क्योंकि ऐसा करने से घर में ऊपरी साया आने का खतरा रहता है।मुझे यह भी जानना आवश्यक लगा कि कैसे लगाई जाती है बालाजी में अर्जी?
बालाजी मंदिर पहुंचने के बाद वहां का दुकानदार आपको एक थाली देता है, जिसमें आपको एक अर्जी का दोना भी मिलता है। इसके साथ ही कटोरी में घी भी दिया जाता है। अर्जी लगाने के लिए इस थाली को सिर पर रखें और फिर अपना नाम, अपने पिता का नाम लें। अगर आप शादी-शुदा महिला हैं, तो अपने नाम के साथ अपने पति का पूरा नाम लें। अपने मन में अपनी तीन समस्याओं के बारे में सोचें।अब मंदिर पहुंचने के बाद इस थाली को महंत जी के हाथ में दे लें और फिर महाराज जी थाली में रखे लड्डू और घी को हवन कुंड में डाल देते हैं। पूरी प्रक्रिया में मन में उन्हीं तीन समस्याओं के बारे में दोहराना होता है। इसके बाद आपको अपनी दरख्वास्त करनी है और फिर दुकानदार के पास चले आएं। इस दौरान थाली में 6 लड्डू होती है, आपको लड्डू सहित दुकानदार को दे देना है।दूसरे चरण में अर्जी लगाने के लिए चावल की थाली दी जाएगी, जिसे प्रेतराज के दरबार पर जाना है। यहां जाते हुए भी वही प्रक्रिया दोहरानी है। फिर मंदिर से बाहर आने के बाद एक जगह रूकें और थाली में बची सारी चीजों को सात बार उतारें और पीछे गिराएं। पीछे मुड़कर नहीं देखना होता है और सीथे इस प्रक्रिया के बाद दुकानदार के पास वापस चले जाएं। दोनों थालियों को दुकानदार को देना है, यहां दुकानदार आपको लड्डू देगा, जिसे वहीं खाना है। इस लड्डू को दूसरों को न खिलाएं। फिर तीसरे चरण में अर्जी लगानी है, जिसके लिए दुकानदार आपको एक दोना देगा। इस दोने को लेकर आपको उस लाइन में खड़ा होना है, जिस लाइन में आप पहली बार खड़ थे। मन ही मन आपको अपना नाम और पता कहना है। साथ ही यह बोलना है कि “ बालाजी मैंने आज आपकी अर्जी लगाई है, जिसे मंजूर करना।” इसे मन ही मन दोहराएं, इससे आपकी अर्जी लग जाएगी।
हमलोगो ने कुछ प्रसाद पुष्प लेकर बालाजी महाराज के सिर्फ़ दर्शन किये।हां परिसर में कुछ मानसिक रुग्ण (ज्यादा तर महिलाएं ) लोगों को विचित्र हरकतें करते पाये।
मैं जहाँ जाता हूं वहाँ के इतिहास से भी आँखे चार करने की कोशिश करता रहता हूं। कभी सफल होता हूं कभी असफल।
मेहंदीपुर बालाजी का इतिहास
बताते हैँ कि यह मंदिर करीब 1000 साल पुराना है। मान्यता है कि एक बार मंदिर के पुराने महंत गणेश पुरी ने एक सपना देखा था, जिसमें उन्हें मंदिर में तीनों देवताओं के दर्शन हुए। यह बालाजी मंदिर के निर्माण की पहला संकेत था। कहा जाता है कि सपने में जंगली जानवरों और जंगली पेड़ों से भरे जगह पर भगवान प्रकट हुए और फिर तीनों देवताओं ने महंत को आदेश दिया कि वे सेवा करके अपने कर्तव्यों का पालन करे। इसके बाद महंत ने मंदिर में तीनों देवताओं बालाजी, प्रेतराज और भैरों महाराज की स्थापना की। इस मंदिर के पहले महंत गणेश पुरी जी महाराज थे जिनकीसमाधि पर भी लोगो का जाना होता है।फिलहाल मंदिर के महंथ श्री किशोर पुरी जी हैं। वह काफी धार्मिक निष्ठा भावना से मंदिर की पूजा करते हैं।इस मंदिर की बनावट राजपूत शैली में की गई है, जिसकी वास्तुकला देखकर आप पूरी तरह से आकर्षित हो सकते हैं। इस मंदिर के 4 प्रांगण है, जिसके पहले 2 प्रांगण में भैरव बाबा की मूर्ति और बालाजी महाराज की मूर्ति है। वहीं, तीसरे और चौथे प्रांगण में प्रेतराज की मूर्ति स्थापित है।मेहंदीपुर बालाजी मंदिर आप 12 महीने जा सकते हैं। इस मंदिर में कोई भी कभी भी दर्शन के लिए जा सकता है। आप किसी भी मौसम में जा सकते हैं। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जाने से पहले औरउसके बाद के अनेक do and dont हैँ जिनका मकसद मन और शरीर की सुचिता से है।
लगे हाथ इसी के साथ मैं आपको एक और जानकारी दे दूँ और वो यह कि हनुमानजी के यह दोनों ही मंदिर राजस्थान में स्थित है, जिसमें से मेहंदीपुर बालाजी दौसा जिले में स्थित है। वहीं सालासर बालाजी मंदिर चूरु(सीकर )क्षेत्र में स्थित है।यह संयोग देखिए कि इस यात्रा में हमनें दोनों जगह दर्शन कर लिए।
अब हम अपने वतन वापसी पर हैँ... भरतपुर, आगरा,फिरोजाबाद, इटावा और बस, अपने लखनऊ !