Tu Hi Meri Mohabbat - 1 in Hindi Love Stories by Arati books and stories PDF | तु ही मेरी मोहब्बत - 1

The Author
Featured Books
Categories
Share

तु ही मेरी मोहब्बत - 1

तु ही मेरी मोहब्बत - १

“मुंबई शहर” सुबह के 7.00 बज रहे थे। “अराध्या” उठ कर बाथरूम की तरफ जाने लगी। तभी उसकी नज़र बेड से लगे टेबल पर गई । जहां एक तस्वीर रखी हुई थी। उसने तस्वीर को हाथ मे लिया और कहने लगी “I MISS YOU A LOT” “आप दोनों की बहुत याद आती है आप दोनों क्यों चले गए हमें अकेला छोड़ कर।”। “आप दोनों से ही तो मेरी दुनिया थी”। “आप दोनों के बगैर कुछ अछा नही लगता”।“काश आप दोनों हमारे साथ होते तो यह सब नहीं होता हमारे साथ।” कहते हुए “अराध्या” के आंखों में नमी तैर गई !

“अराध्या पाठक” अपनी माँ “जानकी पाठक ” और पापा “संजय पाठक ” के साथ आगरा में रहती थी। “अराध्या” अभी मेहज 21 साल की थी । “अराध्या अपने माँ और पापा की जान थी” हंसता-खेलता परिवार था उनका लेकिन एक दिन सब बिखर गया ।“उसके पापा की मौत एक वाहन दुर्घटना में हो गई”। “संजय जी” की मौत से “जानकी जी” को गेहरा सदमा लगा था वो इस दर्द से उभर नहीं पा रहीं थी । तबसे उनकी तबीयत भी काफी खराब रहने लगी।

एक सुबह “दीदी” कब-तक आप “जीजाजी” के याद में खुद की तबीयत ऐसे खराब करतीं रहेंगी।” “अराध्या के मामा” ने “जानकी जी” के पास बैठते हुए कहा! मगर जानकी की ने कोई जवाब नहीं दिया। बस एक टक दीवार पर लगे अपने पति के तस्वीर को देखकर आंसू बहाती रहीं ! ये देख मामा जी ने फिर से कहा ! “दीदी आप इतना कमजोर कब से पड़ गई आप तो बहुत स्ट्रांग हैं ना” ! “मैं जानता हूं कि हम सबसे ज्यादा तकलीफ़ आपको हो रही है जीजाजी के चले जाने का”। “लेकिन हमें हिम्मत से काम लेना पड़ेगा ना दीदी”! “आप हिम्मत नहीं दिखाएंगी तो अराध्या बीटिया को कौन सम्हालेगा”। “बिचारी बच्ची के सर से बाप का साया हट गया”। बोलते हुए उनके आंखों में भी नमी तैर गई!

इतने में “मामी जी” चाय लेकर आ जाती हैं। चाय का ट्रे टेबल पर रख कर वो “मामा जी” को धीरे से समझाते हुए कहतीं हैं “अब आप भी हिम्मत हार रहे हैं “अरविंद”! “हम कमजोर पड़े तो दीदी को सम्हालना मुसकील हो जाएगा।” गरिमा के इतना कहते ही मामा जी ने अपने आंसू पोंछे और दोनों ने जैसे-तैसे खुद को सम्भाला।

फिर मामी जी दोनों को चाय दी और कहा! “दीदी हम तो कहते हैं कि आप और अराध्या चल कर हमारे साथ रहिए ” ! “वैसे भी दीदी अराध्या बीटिया अपने पढ़ाई के लिए हमारे यहां ही तो आने वाली थी”। “तो आप भी चलिए। उनके कंधे पे हाथ रख कर कहती हैं! “यहां अकेले रहेगें तो आपकी तबियत और ज्यादा खराब हो जाएगी”।

इतना सुनते ही “जानकी जी” नम आंखों से एक नजर अपने “भाई और भाभी” को देखा और उनकी तरफ मुड़ कर कहा! “अरविंद,गरिमा” मैं और मेरी बेटी तुम पर बोझ नहीं बना चाहते। “संजय तो मुझे छोड़कर चले गए”„ „ “उनकी यादें इस घर के हर कोने में है! यह घर ही उनकी आखिरी निशानी है”। “इसको छोड़कर मैं नहीं आ सकती” । “अराध्या”„„„„ “अगर अपनी पढ़ाई पूरी कर ने के लिए जाना चाहती हैं”! “तो जा सकती है”। “मैं नही रोकूंगी!

“जानकी जी” ने इतना कहा ही था कि।„„„

“यें आप क्या बोल रही है माँ?” पीछे से आवाज आई! „ „ „सबने पीछे मुड़कर देखा तो वहां “अराध्या” अपने आंखों में आंसू लिए खड़ी थी। “रिया” उसके साथ उसको सम्हाले हुए खड़ी थी। “रिया” का एक हाथ अराध्या के कंधे पर था और दूसरे हाथ से “अराध्या” के हाथ को थाम रखा था „ „ „ अराध्या का भी रो रो कर बुरा हाल था।

आंखें सूंझी हुई , आंखों के नीचे काले घेरे पड़ चुके थे। “अराध्या”, “रिया” के साथ चलते हुए सोफे के पास आई और अपने माँ के पास बैठ गई। अपने माँ के हाथों को अपने हाथों में लेकर वह कहने लगी! „ „ „

“माँ आपने ऐसा कैसे सोच लिया कि मैं आपको इस हालत में यहां अकेले छोड़ कर अपनी पढ़ाई पूरी करने चली जाउंगी।,”

“ मेरे लिए आप ज़रूरी हो माँ पढ़ाई नहीं।” कहते कहते उसकी आंखें भर आईं……. “पापा को तो हमने खौ दिया ”..... मगर अब आपको नहीं खोना चाहते । “आप से ही हमारा फ्यूचर है माँ हम अकेले कुछ भी नहीं। कहते हुए अराध्या रो पड़ी”।

अब चलेंगे तो सब साथ नहीं तो नहीं। अराध्या के इतना कहते ही जानकी जी ने अराध्या को अपने गले से लगा लिया।„ „ „ „। अराध्या इस बात से अनजान थी कि उसके माँ का यह प्यार भी चन्द दिनों तक का ही है।

अगले दिन…..सुबह अराध्या नहा कर तैयार हो कर किचन में सबके लिए चाय बनाने आई अराध्या ने चाय बनाई और चाय लेकर डाइनिंग टेबल पर रखा तभी मामा जी अखबार पढ़ते हुए डाइनिंग टेबल पर आ गये।

“Good morning बेटा” बैठते हुए मामा जी ने मुस्कुरा कर कहा तो जवाब में अराध्या ने भी मुस्कुराकर “Good morning मामा जी” कह दिया। इतने में मामी जी आ गई।

“अरे अराध्या तुमने क्यों चाय बना ली”? “मुझे आवाज दे दिया होता मैं बना देती”। मामी जी ने कहा। “कोई बात नहीं मामी जी” हमारा मन किया इसलिए हमने बिना लिया! “आप बैठिए न”! अराध्या ने मुस्कुरा कर कहा और दोनों को चाय दी । “मामी जी” ने कहा “अच्छा बाबा ठीक है मगर दीदी कहां है अब तक तो वो उठ जातीं हैं आज इतना लेट„„„„„„„! रात को लेट से सोई थी क्या?” गरिमा ने चेहरे पर चिंता के भाव लाते हुए पुछा।

“पता नहीं मामी जी आप चाय पीजिए, हम माँ को लेकर आते हैं”। इतना कहकर अराध्या अपने माँ के कमरे की तरफ बढ़ गई। कमरे का दरवाजा खोला तो कमरे में ना के बराबर रोशनी थी। अराध्या कमरे में दाखिल हुई और सीधे खिड़की की तरफ जाते हुए अपनी माँ को आवाज देने लगी!
“क्या माँ आज से पहले तो आप कभी इतनी देर नहीं सोई।”
कहते हुए उसने खिड़की खोल दी और जानकी जी के पास आकर उन्हें उठाने लगी!
“माँ…. माँ उठिए सुबह हो गई” कहते हुए अराध्या के चेहरे के भाव बदलने लगे!, माँ…… माँ उठिए कहते हुए जैसे ही अराध्या ने अपना हाथ “जानकी जी” के हाथ के उपर रखा तो चौंक गई!

उनका हाथ थंडा पड़ चुका था! अराध्या का दिल किसी अनहोनी के डर से धड़कने लगा। उसके के चेहरे पर डर के भाव साफ़ नज़र आ रहे थे! वो चिल्ला पड़ी “माँ……!” अराध्या की आवाज सुनकर मामा, मामी और रिया भी वहां आ गए। “क्या हुआ अराध्या” मामा जी ने पूछा! अराध्या की आंखें भर आईं थीं उसने भरे हुए गले से कहा “मामा जी देखिए ना माँ अपनी आंखें नहीं खोल रहीं”।

इतना कह कर वो अपनी माँ को जोर जोर से आवाज देकर उठाने लगी “माँ……उठो ना क्या हो गया आपको…. बात क्यों नहीं करी आप उठो ना! मामा जी ने जल्दी से डॉक्टर को बुलाया डॉक्टर ने उनका चेकअप किया और कहा “माफ कीजिए वो अब इस दुनिया में नहीं रहीं।” इतना सुनते ही सबके पैरों तले जमीन खिसक गई! अराध्या तो फफक कर रो पड़ी। “माँ…… !! आपने भी हमें अकेला कर दिया। क्यों माँ,,,,,,,,,,,,?” अराध्या की हालत बिगड़ने लगी! मामी जी और रिया ने उसे सम्भाला।

आस पड़ोस के लोग इक्कठा हो गए। अराध्या के सामने उसकी माँ का शव सफेद चादर से ढक हुआ पड़ा था। सब रो रहें थे। “जानकी जी” के अंतिम संस्कार की तयारी हो चुकी थी।तब मामा जी ने कहा
“दीदी को लै जाने का वक्त हो गया है”!!
अराध्या ने जैसे ही सुना…..!! वो फूट-फूटकर रोने लगी। “मत ले जाइए माँ को” रोते हुए कहा!
जब उसके माँ के पार्थिव शरीर को ले कर जाने लगे तो अराध्या को सम्भालना मुसकील हो रहा था। गरिमा और रिया ने उसे जैसे-तैसे सम्भाला अराध्या सुन्न पड़ चुकी थी, अपनी माँ को खो देने का दर्द बस वो ही जानतीं थी। एक झटके में उसका सब कुछ बिखर गया। जो दो इन्सान उसकी पुरी दुनिया थे! वो अब इस दुनिया को छोड़ कर जा चुके थे।

“अराध्या” अपने बीते हुए कल में खोई हुई थी कि!
तभी “रिया” के फोन से अलार्म के बजने से “अराध्या” की तंद्रा टूटी। वह “रिया” को आवाज लगा कर बाथरूम में नहाने चली गई।
“रिया” बहुत ही चंचल और हंसमुख स्वभाव कि थी कहने को तो दोनों कजंन सिस्टर्स थीं । लेकिन दोनों की दोस्ती बड़ी पक्की थी । जानकी के गुजर जाने के बाद अराध्या के मामा उसे अपने साथ मुम्बई लेकर आ गये । अराध्या अपने मामा के परिवार के साथ ही रहती थी। छोटी सी फैमिली थी उनकी। मामा “अरविंद कश्यप” , मामी “गरिमा कश्यप” , बेटी “रिया कश्यप” और छोटा बेटा “नक्स कश्यप”। “मामा जी रेलवे बिभाग में थे”। “मामीजी हाउस वाइफ”, “नक्स” अभी 6th क्लास में था और “रिया” का अभी अभी कोलेज में एडमिशन हुआ था “अराध्या” के साथ।
नहाने के बाद अराध्या तैयार होने के लिए आइने के सामने आ गई । मासूम सा चेहरा, आंखें इतनी गहरी की कोई भी उसमें खौ जाएं, गोरा रंग, हाफ कल्चर लगे हुए बाल जो उसके कमर को छू रहे थे। गुलाबी होंठ और होंठों के नीचे एक तील। जो उसकी खुबसूरती में चार चांद लगा रही थी! उसको देख कर किसीको भी एक नजर में प्यार हो जाए। तैयार होते होते उसकी नज़र “रिया” पर जाती है। जो अभी भी बच्चों की तरह दुबक के सो रही थी। फिर “अराध्या” ने “रिया” को उठाते हुए कहा ! “रिया उठो आज कोलेज का पहला दिन है ओर पहले ही दिन लैट नहीं होना।” “उठ भी जाओ अब कहते हुए टाॅवल बालकनी में सुखाने चली जाती है।” “अराध्या ” के लगातार आवाज देने से “रिया” उठ कर बैठ जाती है। और अंगड़ाई लेते हुए कहती हैं!

“क्या यार अराध्या कोलेज है यह स्कुल नहीं जो टाइम पे पहुंचना जरूरी है ”!

क्रमश

आरति गोच्छयात्