एक समय की बात है । पार्वती शिव से नाराज थीं, शिव समाधि में थे और पार्वती अपने मन की
शिव जी को बताना चाहती थीं सती राजा दक्ष की पुत्री थीं
एक समय की बात है । पार्वती अपने पति
शिव से नाराज थीं, शिव समाधि में थे और पार्वती अपने मन की बात
शिव जी को बताना चाहती थीं सती राजा दक्ष की पुत्री थीं
और शिव जी के कारण पिता ने अपनी बेटी से संबंध नहीं रखा
जब शिवजी की समाधि टूटी तो पार्वती ने शिवजी से पूछा कि आप किसकी समाधि करते हैं तो उन्होंने कहा राम की तब सती चुप हो गईं. जब राम को वनवास हुआ और रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया तभी राम सीता की चिंता करके वन ढूंढ रहे थे राम भगवान ने पक्षी से पता पूछ रहे थे पशु से पता पूछ रहे थे
तभी सती ने महादेव से पूछा कि क्या यह वही स्वामी हैं जिनकी आप समाधि लगाते हैं यह साधारण आदमी है जो जंगल में अपनी पत्नी को ढूंढ रहा था. महादेव ने सती को समझाने की कोशिश की कि राम का जन्म रावण और राक्षसों को मारने के लिए जन्म लिया लेकिन सती ने उनकी बात नहीं मानी तब महादेव ने कहा तुम चाओ तोह परीक्षा ले सकती हो
तभी सती ने सीता का रूप लेकर राम के सामने गयी
और भगवान राम के सामने खड़े हो गये
लेकिन राम तो भगवान हैं, तो उन्हें समझ आ गया कि सती उनकी पत्नी सीता माँ नहीं हैं बल्कि वह भगवान शिव की पत्नी हैं तो उन्हें समझ आ गया कि सती उनकी पत्नी सीता नहीं हैं बल्कि वह भगवान शिव की पत्नी हैं राम ने सती से हँसते हँसते कहा आप महादेव को अपने साथ क्यों नहीं लाए? क्या आपने अपने पति को अकेला कैलाश पर छोड़ कर आयी हो
तभी सटी शर्मिंदा हो गयी जब उसने पीछे देखा तो उन्हें राम ही राम दिखाई दे रहे थे. तब उसे एहसास हुआ कि वह बहुत गलत थी. वह कैलाश में वापस आये. शिव जी ने तभी पूछा हो गई परीक्षा सटी ने कुछ नहीं कहा . शिव जी ने अपनी दिव्य दृष्टि
से सब देख लिया. और उन्होंने माता के स्थान मैं नीलकंठ को कहा तभी सटी समझ गयी कि महाबेव ने उनका त्याग कर दिया है. और वह दुखी हुई
एक दिन सती ने आसमान में बहुत सारे विमान उड़ते देखे और शिव जी से पूछा यह सब क्या है तभी शिव जी ने कहा तुम्हारे पिता ने बड़ा यज्ञ किया है यह सब देवता वहीँ जा रहे है. सती ने कहा के मुझे भी पिता के यज्ञ में जाना है. शिव जी ने बहुत समझाय के हमें आमंत्रित नहीं किया गया है लेकिन सट्टे ने ज़िद पकड़ी थी और उसने कहा कि उसे अपने पिता के घर जाने के लिए निमंत्रण की क्या आवश्यकता है और उसने कहा कि वह जरूर जाएगी इसलिए महादेव ने नंदी को उनके साथ बेजा
जब सती दक्ष के घर पहुंची तब पिता ने अपनी पुत्री को बहुत सुनाया और शिव जी का अपमान भी किया और वह क्रोदित हो गयी .उन्होंने प्रत्येक देवता के यज्ञ का भाग तो देखा परन्तु अपने पति शिव के यज्ञ का भाग नहीं देखा, जिससे वे और भी क्रोधित हो गयीं तो उन्होंने सभी देवताओं से कहा कि जिसने भी शिव जी का अपमान किया है और सुना है वह सब यहाँ से चले जाइए
और यज्ञ की जोह अग्नि प्रचलित थी उस में सटी कूद पड़ी
नंदी गण ने जब देखा तोह पूरा यग्य विदास कर दिया
और इस तरह सती ने अपना त्याग कर दिया