Mout ya Mohabbat - 1 in Hindi Thriller by Huda books and stories PDF | मौत या मोहब्बत । - 1

The Author
Featured Books
Categories
Share

मौत या मोहब्बत । - 1

कयामत से कम नहीं था ये मंजर ,
जब चारों तरफ आग और दहशत का बोल बाला था ,
ना यही कोई किसी का हमदर्द ,,
ना ही आज कोई साथ देने वाला था ।
चारों तरफ मौत का मातम फैला था ,
उसने जब खून से रंग खेला था ,
कोई नही था उन जालिमों को रोकने वाला ,
हर तरफ लड़कियां बन रही थी ,
इन वेहशियो का निवाला । ।

कहते हैं है रात के बाद सुबह का सूरज निकलता है और सही कहते हैं आजमगढ़ में सूरज आज भी अपने वक्त पर निकला ना एक मिनट आगे न एक मिनट पीछे मगर रोज की तरह चहचता ये गांव आज खामोश पड़ा था चारो तरफ खून की लहरे थी जो सुबह के सूरज के साथ सूखने की कोशिश कर रही थी कहीं बाप तो कहीं बेटा अपने प्राण त्याग रहा था तो किसी की बेटी बिना कपड़ो के अपनी लाश की नीलामी देख रही थी मगर कौन करता कुछ इनके लिए !
एक छोटा सा गांव जो शहर से थोड़ी दूर एक जंगल से गुजर कर आता था । मिनिस्टर और पुलिस तो वहां से गुजरती है ना जहां पक्की सड़कें हों कोई बाधा उनके रास्ते में ना आए । ये लाशें क्या dafn होने और अंतिम संस्कार के लायक भी नहीं थी । क्या कोई नही tha उनको समाधि देने वाला कोई नहीं था उन लाशों की जनाजे की नमाज पढ़ने वाला कोई नहीं था मुर्दा बेटियों के जिस्म को ढकने वाला कोई नहीं था इनके बहे खून पर आवाज़ उठाने वाला ।

लेकिन आखिर ये सब किया किसने , कौन था जिसने ये खून की होली खेली । कौन था जो बर्बाद कर गया एक हवा के झोके की तरह इस गांव को । आखिर क्या राज था इस गांव का जो रंग गया ये गांव सभी लोगो के खून से ।

Know Start the story,,,,

( यह एक काल्पनिक स्टोरी है , इसका किसी सच्ची घटना से कोई लेना देना नही है । लेकिन ये एक सच्ची सीख जरूर दे कर जायेगी । 🙂 अगर किसी को कोई परेशानी होगी तो में खुद ही ये स्टोरी बंद कर दूंगी । पर कोई रिपोर्ट नही लगाना प्लीज ! )

चारों तरफ खून ही खून फेला था जो ना जाने कब का सुख चुका था , आदमियों के जिस्म पर बुरी तरह जलने के निशान थे और फिर उन्हें तलवारों से काटा गया था । औरतें बच्चे और और लड़कियां सभी बिना कपड़ो के अपनी लाशों की नालमी बेबसी से देख रहे थे , ना आदमिओ के जिस्म पर कपड़े थे और ना ही औरतों के ! ये जिस्म चूड़े हुए थे , और बेपनाह बदबू उस जगह पर फैली हुई थी । चारो तरफ मीडिया फैली थी , एक लड़की ने आगे आ कर एक पुलिस की वर्दी पहने इंसान से कहा , " डीआईजी मिस्टर अब्बास शैख ! आखिर एक हफ्ते से कहां थे हम सब ? कहां थी पुलिस और कहां थे मिनिस्टर ! क्यों ये सब इस गांव के साथ हुआ ? क्या आप ये कैसे अपने कंधो पर लेंगे ? "

डीआईजी मिस्टर अब्बास शैख इंडिया में मोस्ट सक्सेसफुल डीआईजी जिनके नाम से क्रिमिनल की रूह कांपती थी । उनकी एक खासियत थी की जो गुनाह करता ये उसे उस गुनाह की सजा खुद देते थे । ना किसी मिनिस्टर के और न ही कोर्ट के हवाले करते । मगर आज उनके चेहरे की भी हवाइयां उड़ी हुई थी । उनकी आंखों में उनकी फैमिली घूम रही थी और वो अपने मन में सोच रहे थे ,

" जिसने भी ये सब किया है वो कोई आम इंसान नही है या तो बहुत बड़ा दरिंदा है या फिर कोई बहुत बड़ा क्रिमिनल जिसका संबंध माफियाओं से है ! मेरी बेटी का क्या होगा अगर मुझे कुछ हुआ तो । "

पर तभी उनकी नजर एक लाश पर गई , जिसके हाथ में खून से सना एक कागज़ था ।

" मैं अंजू अपनी लीला की बेटी । हां वो मेरी सगी मां नहीं , लेकिन की कोई ऐसा होगा जिन एक अनजान बच्ची को सहारा दिया हो । क्या कोई ऐसा होगा जी एक बच्ची के मां बाप के मार। केबा उसका खुद अपनी बेटी केसा खयाल rakha हो । मेरी ख्वाहिश थी की मेरी लीला के लिए कोई उसका मजनू आए , जो उसके सारे गमों से उसको दूर कर दे । लेकिन ये मुमकिन नहीं हो सका । इन दरिंदो ने मौत का खेल शुरू कर दिया । काश कोई फरिश्ता उतर आए और हमें बचा ले । काश हमारे गांव में भी बड़े बड़े मिनिस्टर रहते । पुलिस होती और सरबरह होते तो आज हमारा गांव यूं नीलाम ना हो रहा होता । । "


डीआईजी मिस्टर अब्बास शेख बुलंद आवाज़ से उसको पढ़ रहे थे । आखिर कैसी दुख भरी घड़ी होगी ये un लफ्जो से ही पता चल रहा था । वो इस लाश को गौर से देखने लगे ये लाश 9 साल की बच्ची की थी और उन जालिम वेहशियों ने उस 9 साल की बच्ची को भी नही छोड़ा था । मगर तभी एक ज़ोरदार चीख सुनाई दी । और सब उस चीख की तरफ भागे । ये चीख एक छोटे से घर से आई थी । पुलिस टीम ने उस घर की पूरी तलाश की ओर आखिर में एक लेडी इंस्पेक्टर ने जब बेड के नीचे देखा तो एक लड़की अपने होशो हवास खोए हुए सीधी लेटी थी । उसकी आंखों से अनांसुओं का कतरा बार बार गिर रहा था । वो हवननक सी बस एक ही बात कह रही थी , मेरा अभी …. अभी ! वो ज़ोर से चिल्लाई तो कभी अपनी सांसों में नाम लेती बस अभी अभी कर रही थी । उस फीमेल इंस्पेक्टर ने कुछ लोगो की मदद से उस लड़की को निकला जो यंग थी ।

उस जगह को सील कर दिया गया । और वहां पुलिस तैनात कर दी गई । इसी के साथ गांव के कुछ हिस्सों में पुलिस का पहरा कर दिया गया अब इंडिया के हर छोटे से छोटे गांव में पुलिस थी ।

उस लड़की का इलाज करने के लिए हॉस्पिटल लाया गया । एक डॉक्टर के रूप में बैठी हुई एक लड़की , जिसकी आंखें उसकी मासूमियत की गवाह थी । जिसको देख कर ही ऐसा लग रहा था की ये लड़की एक मजबूत लड़की है , केबिन के अंदर आते हुए एक लड़की ने घबराते हुए कहा ,

" डाक्टर हुदा डीआईजी साहब आए हैं । उनके साथ कोई पेशेंट है सीरियस कंडीशन है । "

डॉक्टर हुदा ने जल्दी से अपना कोट उतारा और केबिन से तेज़ कदमों से निकल गई ।

कुछ समय तक उस लड़की का इलाज चला और एक दिन आखिर वो घड़ी आ ही गई जिसका सब को बेसब्री से इंतजार था । वो लड़की उठी तो डॉक्टर हुदा ने प्यार से उसे देखते हुए कहा , " क्या नाम है आपका । जानती हूं आपका नाम आपकी ही तरह खूबसूरत होगा । "

डॉक्टर हुदा की बात सुन उस लड़की की आंखों से आंसू लुढ़क गए उसने अपनी उदासी भरी आवाज़ में कहा ,

" मलाइका । "

हुदा के चेहरे पर मुस्कान आ गई । अभी वो दोनो बात ही कर रहे थे की तभी पुलिस की पूरी टीम एंटर हुए और उनके बीच मिस्टर अब्बास आए और उन्होंने मलाइका के सिर पर हाथ रखते हुए कहा ,

" तुम्हारे गांव को तो हम बचा ना सके लेकिन आगे कोई और गांव ऐसे बर्बाद ना हो इसके लिए मुझे सच जानना जरूरी है बेटा । क्या हुआ था उस दिन । "




To be continued 🖤🙃