डॉक्टर हुदा की बात सुन उस लड़की की आंखों से आंसू लुढ़क गए उसने अपनी उदासी भरी आवाज़ में कहा ,
" मलाइका । "
हुदा के चेहरे पर मुस्कान आ गई । अभी वो दोनो बात ही कर रहे थे की तभी पुलिस की पूरी टीम एंटर हुए और उनके बीच मिस्टर अब्बास आए और उन्होंने मलाइका के सिर पर हाथ रखते हुए कहा ,
" तुम्हारे गांव को तो हम बचा ना सके लेकिन आगे कोई और गांव ऐसे बर्बाद ना हो इसके लिए मुझे सच जानना जरूरी है बेटा । क्या हुआ था उस दिन । "
उस दिन का जिक्र सुन मलाइका की रूह कांप गई उसके होंठ बेपनाह खोफ से कांपने लगे । मगर अपने गांव के इंसाफ के लिए उसने खुद को संभाला और अपनी आंखें बंद कर उस दिन जो हुआ वो बताने लगी ।
फ्लैशबैक ।
आजमगढ़ 2012 ( काल्पनिक वर्ष )
ओय पागल लड़की जरा इधर तो देख तेरा आशिक खड़ा है ।
मलाइका ने पीछे मुड़ कर देखा तो अभिनव खड़ा हुआ अपने गले में पहनी चैन को हिलाते हुए अपनी गर्दन को रगड़ रहा था पान चबाता हुआ वो बड़ा ही आकर्षक लग रहा था । पांच साल से वो यही तो करता था मलाइका पंद्रह साल की थी और अभिनव इक्कीस साल का तब से अभिनव मलाइका के इश्क में पागल था । मगर मलाइका का कुछ कहा नहीं जा सकता था क्यूंकि मलाइका ने ना कभी अभिनव को रोका और ना ही कभी उसे कुछ जवाब दिया । रोज मलाइका यूं ही स्कूल से लौट कर आती और रोज अभिनव उसे यही कह कर बुलाता और वो शर्मा कर अंदर चली जाती ।
आज भी यही हुआ , मलाइका पीछे पलट कर अभिनव को देख कर मुस्कुराई और अपने घर में भाग गई । अभिनव ने रोज की तरह उसको मुस्कुरा कर अंदर जाते हुए देखा तो बोला shh झल्ली है मेरी वाली एकदम ।
उसके दोनों दोस्त जो पीछे खड़े थे उन्होंने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा भाई अपनी चिड़िया को अपने पिंजरे में कैद करते हुए देर मत करो कहीं ऐसा ना हो की चिड़िया किसी और के पिंजरे में कैद हो जाए ।
जाने क्यों अपने दोस्तों की बात सुन अभिनव के दिल में एक डर सा बैठ गया अभिनव ने अपने सीने पर हाथ रख जो उसके दोस्तों की बात सुनकर बहुत तेज धड़कने लगा था । अभिनव ने अपनी दोनों कोहनी अपने दोनों दोस्तों के मारते हुए , क्या बक बक कर रहे हो सालो ऐसा कुछ नहीं होगा तुम छोकरा भी क्या क्या कहते हो । क्या अभी तक कुछ ऐसा है जो अभिनव ने चाहा हो और वह उसे ना मिला हो ! तो फिर मेरी मलाइका को मुझ से कोई कैसे छीन सकता है ।
इतना बोल अभिनव वहां से चला गया और उसके दोनों दोस्त वही खड़े देखते रह गए ।
मलाईका घर में आई तो एक आवाज ने उसके दिल में डर बैठा दिया " क्यों उसे रोज देखकर मुस्कुराती है लड़की ! क्या कहीं उसे गुंडे के प्यार में तो नहीं पड़ गई
। "
मलाइका मुड़ी उसने देखा उसकी दादी सोफे पर बैठी थी । और उसे ही अपनी सर्द नजरों से घूर रही थी । मलाइका के चेहरे पर जहां अब मुस्कुराहट थी अब वह मुस्कुराहट एक खोफ में बदल गई उसने अपनी कमीज को कस के पकड़ लिया और झल झलाते हुए बोली , " दादी मैंने आपको कितनी बार कहा है कि वह जो करता है उसको करने दीजिए । असल फैसल तो मेरा है । मैं जब उसे कुछ जवाब ही नहीं देती तो एक न एक दिन वह मेरा पीछा ऐसे ही छोड़ देगा । मलाइका की बात सुन उसकी दादी को कुछ सुकून और राहत मिली । मलाइका की दादी ने उसे अंदर जाने का इशारा कर दिया । मलाइका भी चुपचाप अंदर आकर बैठ गई उसने अपना बैग अपने बेड पर फेंकते हुए अपनी दोनों चोटिया खोलते हुए कहा " क्या मुसीबत है यार यह ये सब मेरे साथ ही क्यों होता है मुझे लगता है चाचा सही कहती हैं कि मैं हूं ही मुसीबत का पोटला " मलाइका ने अपनी दोनों चोटिया खोल डाली और अपने बालों को बुरी तरह झंझोड़ कर अपने गले में पहना हुआ दुपट्टा भी उतार कर बेड पर फेंक दिया और उठ कर कहीं चली गई ।
वहीं एक दूसरे घर और दूसरे कमरे में बैठी हुई मंजू शांति से अपनी ड्राइंग बना रही थी एक घर जो बहुत ही बड़ा था उसके ख्वाबों का महल चह चाहती हुई पास में चिड़िया । पास में खड़ा एक नल। एक चारपाई और उसके ऊपर बैठे हुए उसके पापा । यही था उसके ख्वाबों का महल मंजू वह तस्वीर बनाते हुए रो रही थी । वह चाहती थी कि उसके घर में उसकी मां हो उसके पापा हो दादी हो दादा हो चाचा हो चाची हो जैसे सबके होते हैं मगर ! कोई नहीं था यह भी तो कुदरत का फैसला था ना , कि वह अकेली थी पूरे जहां में सिर्फ एक औरत जो उसको अपने साथ अपने घर में रखती थी और वह थी लीला ! लीला ने मंजू को अपने घर में रखा था जब से उसके परिवार का एक एक्सीडेंट में देहांत हुआ था । तब से मंजू लीला के ही पास थी गांव वालों का कहना था , की लीला को मंजू से कोई लालच है लेकिन ! मंजू कहा करती थी " मेरी लीला बिना किसी लालच के मुझे अपने पास रखती है । वह तो सगी मां से भी ज्यादा मेरा ख्याल रखती है सब माएं अपने बच्चों को स्कूल भेज देती हैं मेरी लीला मुझे स्कूल भी नहीं भेजती इस डर से कि कहीं ऐसा ना हो कि मेरे दिल को कोई बात लग जाए और मैं घर वापस ना पहुंचु । मेरी लीला मुझे कभी भी कच्चा खाना नहीं खिलाती बल्कि खूब पका हुआ खाना खिलाती है । मेरी लीला मुझे मिट्टी का घर बनाकर खिलाता है मेरे साथ खुद भी खेलता है मेरी लीला नल से खुद पानी भर कर लाती है और मुझे उसे पानी से नहलाती है बहुत ख्याल रखती है मेरी लीला मेरा । "
मंजू बहुत खूबसूरत थी इतनी खूबसूरत जैसे खूबसूरती का जहां उसके कदमों में अपना सर झुकाता हो। इतनी खूबसूरत जैसे आसमान के काले अंधेरे में एक चांद हो । इतनी खूबसूरत जैसे तारों के बीच जगमगाता अकेला चंद्रमा ! इतनी खूबसूरत जैसे सूरज की तपिश से जगमगाता हुआ यह जहां उसकी बेपनाह खूबसूरती उसके लिए अभिशाप थी या वरदान यह बात तो कुदरत ही बता सकती थी । यह बात आने वाले वक्त के अलावा कोई नहीं जानता था , मंजू अपनी तस्वीर को रोज की तरह बना कर एक अलमारी में रखते हुए बोली " यह ख्वाबों का महल एक ख्वाब ही रहना है क्योंकि अब मेरे पास मेरे परिवार में कोई नहीं है । सब मर चुके सब दफन हो चुके । अब लीला ही मेरा परिवार है और लीला ही मेरा सब कुछ है । भले ही वह मेरी सगी मां नहीं है ना ही सौतेली मां है । हालांकि उस से मेरा खून कभी कोई रिश्ता नहीं मगर लीला मेरे लिए सबसे बढ़कर है अगर अब लीला मुझे छीनी तो मैं उसके बगैर जी नहीं पाऊंगी । । "