Ek thi Nachaniya - 28 in Hindi Women Focused by Saroj Verma books and stories PDF | एक थी नचनिया - भाग(२८)

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एक थी नचनिया - भाग(२८)

महिला हवलदार वहाँ पहुँची तो उसने श्यामा और रागिनी की गुत्थमगुत्थी सुलझाने की कोशिश की,लेकिन दोनों ही बेकाबू होकर छुट्टा बैलों की तरह लड़ रही थीं,इसलिए महिला हवलदार ने दोनों पर डण्डे बरसाने शुरू कर दिए,तब जाकर दोनों ने एकदूसरे को छोड़ा और जाते जाते रागिनी परिहार ने श्यामा को धमकी देते हुए कहा....
"याद रखना तूने रागिनी परिहार से पंग लिया है और इसका हिसाब तुझे एक ना एक दिन चुकाना ही होगा"
"अरे...जा..जा,बहुत देखें हैं तेरे जैसे,जो करना है सो कर लेना",श्यामा बोली...
"अरे! अब तुम दोनों चुप होती हो या मैं तुम दोनों को और डण्डे लगाऊँ",महिला हवलदार बोली....
"आप इसे क्यों नहीं बोलतीं",रागिनी परिहार बोली...
"मैं तो चुप हूँ,तू ही चपड़ चपड़ कर रही है",श्यामा बोली...
"अगर अब तुम दोनों नहीं मानोगी तो मैं जेलर साहब के पास जाकर तुम दोनों की शिकायत करूँगी", महिला हवलदार बोलीं....
और फिर दोनों ने जब जेलर साहब तक उनकी शिकायत जाने की बात सुनी तो बहस को आगें ना बढ़ाते हुए दोनों अपने अपने रास्ते चलीं गईं,ऐसे ही कुछ दिन बीते अभी दोनों की दुश्मनी खतम नहीं हुई थी और उसी दौरान रागिनी परिहार बीमार पड़ी,दो दिन बीते लेकिन उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ,उसके कमरें में जो महिला कैदी उसके साथ रहतीं थीं तो उसकी हालत देखकर परेशान हो उठीं,उन सभी ने घरेलू उपचार किए लेकिन रागिनी परिहार की हालत में कोई भी सुधार नजर ना आया,तब वें थकहार कर श्यामा के पास पहुँची और उन में से एक महिला कैदी बोलीं कि....
"रागिनी परिहार बहुत बीमार है श्यामा जीजी! हमने सारे उपाय कर लिए उसे ठीक करने के लिए लेकिन उसकी हालत में कोई भी सुधार नहीं हो रहा है,लगता है हमें डाक्टर साहब को बुलवाना पड़ेगा",
"तो फिर बुलवा लो डाक्टर साहब को,इसमें मैं क्या करूँ?",श्यामा बोली....
"श्यामा जीजी! हम सब गए थे महिला हवलदार के पास लेकिन उसने हमारी एक ना सुनी,बोली ऐसा तो कैदियों को होता रहता है इसके लिए डाक्टर साहब को क्यों परेशान करना",दूसरी महिला कैदी बोली...
"लेकिन जेल में बीमार महिला कैदियों की जाँच करने सरकारी डाक्टर साहब आते हैं ना हर हफ्ते!",श्यामा बोली....
"हाँ!लेकिन वो महीने भर से नहीं आएँ,सुना है पुराने डाक्टर बाबू की बदली हो गई है और नए डाक्टर बाबू को महिला हवलदार ये कहकर टरका देती है कि जेल में सब स्वस्थ हैं,आप यहाँ आने की तकलीफ़ ना उठाया करें",तीसरी महिला कैदी बोली...
"तुम्हें ये सब किसने बताया",श्यामा ने पूछा...
"जो जेल के बाहर दरबान पहरा देता है ना उसी ने ,वो जब राशन का सामान लेकर भीतर आया था तब बताया था उसने",पहली महिला कैदी बोली....
"ओह...तो ये सब चल रहा है जेल के भीतर",श्यामा बोली...
"हाँ! यही सब चल रहा है जेल में,श्यामा जीजी! अब तुम ही कुछ कर सकती हो",तीसरी महिला कैदी बोली....
"अच्छा! चलो ! मैं पहले रागिनी की तबियत देखने चलती हूँ,इसके बाद ही मैं आगे कुछ करूँगी",श्यामा बोली....
"ठीक है श्यामा जीजी! तुम खुद ही उसकी हालत देख लो,बुखार से तड़प रही है बेचारी",पहली महिला कैदी बोली..
और फिर सबके कहने पर श्यामा उन सभी महिला कैदियों के संग रागिनी परिहार को देखने उसकी कोठरी में पहुँची,श्यामा रागिनी के बगल में जा बैठी और उसके माथे पर हाथ रखकर बोली....
"अब कैसी हो रागिनी"?
जब रागिनी ने देखा कि श्यामा उससे मिलने आई है तो उससे लरझती आवाज़ में माँफी माँगते हुए बोली....
"मुझे माँफ कर दो,तुम्हें पहचानने में मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई",
"कोई बात नहीं रागिनी! इन्सान तो गलतियों का पुतला है,गलतियाँ तो सबसे हो जाया करतीं हैं तो तुमसे भी गलती हो गई,अब तुम ज्यादा बात मत करो,तुम आराम करो,मैं डाक्टर साहब को यहाँ बुलाने का कुछ इन्तजाम करती हूँ,क्योंकि तुम्हारा माथा तो आग की तरह तप रहा है ",श्यामा बोली....
और फिर श्यामा कुछ देर रागिनी के पास रुककर वापस आ गई,इसके बाद वो कुछ महिला कैदियों के साथ महिला हवलदार के पास पहुँची और उसने महिला हवलदार से डाक्टर साहब को बुलाने की बात कही,लेकिन महिला हवलदार ने उसकी बात टालते हुए कहा....
"तुम लोग कहीं की रानी महारानी नहीं हो,कैदी हो कैदी,अपनी औकात मत भूलो, तुम्हारे लिए यहाँ किसी डाक्टर को नहीं बुलाया जाएगा",
तब श्यामा गुस्से से बोली....
"ओए....हवलदारिन! ज्यादा गर्मी मत दिखा मुझे,जानती है ना कि कितने कत्ल करके आई हूँ यहाँ,अभी भी मुकदमा चल रहा है मुझ पर,सजा मुकर्रर नहीं हुई मेरी,तेरा भी कत्ल करने में ज्यादा देर नहीं लगेगी मुझे ,तेरी खैरियत इसी में है कि फौरन डाक्टर साहब बुलवा दे,नहीं तो वो बेचारी तड़प तड़प कर मर जाएगी"
श्यामा ने जब महिला हवलदार को उसका कत्ल करने की धमकी दी तो महिला हवलदार की अकल ठिकाने आ गई और उसने श्यामा से कहा....
"बुलवाती हूँ ना! डाक्टर साहब को,मारने की धमकी क्यों देती है"?
"क्योंकि तुम जैसे लोगों के साथ इज्ज़त से बात करो तो तुम लोगों को समझ में नहीं आता,वो कहावत है ना कि " लातों के भूत बातों से नहीं मानते",उसी तरह मैं जब तुम्हारे साथ शराफत से पेश आ रही थी तो तुम्हें मेरी बात समझ में ही नहीं आ रही थी,अब यहाँ खड़ी रहकर मेरा भाषण मत सुनती रहो,जल्दी से डाक्टर साहब को बुलवाने का इन्तजाम करो",
और ऐसा कहकर श्यामा उन महिला कैदियों के साथ फिर से रागिनी के पास पहुँची और रागिनी के सिरहाने बैठकर वो उसका सिर सहलाने लगी,साथ साथ उसके माथे पर वो ठण्डे पानी की पट्टियांँ रखने लगी,फिर कुछ देर बाद वहाँ डाक्टर साहब भी आ पहुँचे और उन्होंने रागिनी की जाँच करते हुए कहा कि.....
" शायद इन्हें टाइफाइड हुआ है क्योंकि लक्षण तो यही दिख रहे हैं,मैं इन्हें कुछ दवाइयाँ दिए देता हूँ ताकि इनका बुखार जल्दी से उतर जाएँ,बाकि इनके खाने पीने का खास ख्याल रखना होगा...."
और फिर रागिनी की जाँच करके,उसे दवा देकर डाक्टर साहब चले गए,इसके बाद जैसा जैसा डाक्टर साहब ने कहा,श्यामा ने रागिनी की देखभाल के लिए वैसा वैसा ही किया,रागिनी अब खुद को स्वस्थ महसूस कर रही थी,दो चार दिन बाद डाक्टर साहब फिर से रागिनी की जाँच करने आएँ तब वें बोले कि अब रागिनी पहले से बेहतर है और श्यामा ने रागिनी की इतनी देखभाल की कि वो कुछ ही दिनों में स्वस्थ हो गई और फिर वो श्यामा से बोली....
"श्यामा! मैं तुम्हारे एहसान का बदला कैसें चुका पाऊँगी"
"चुप करो,तुम मुझसे उम्र में छोटी हो,कहीं छोटी बहन बड़ी बहन के एहसान का बदला चुकाया करतीं हैं",
"लेकिन फिर भी जब भी तुम्हें मेरी मदद की जरूरत होगी तो मैं हमेशा तुम्हारे लिए हाजिर रहूँगीं",रागिनी परिहार बोली...
"ठीक है तो मेरी जेल से भागने में मदद कर देना "श्यामा बोली...
"लेकिन तुम जेल पहुँची कैसें?"रागिनी परिहार ने पूछा....
"बहुत लम्बी कहानी है",श्यामा बोली....
"तो सुनाओ ना",रागिनी परिहार बोली....
और फिर रागिनी के कहने पर श्यामा रागिनी को अपनी कहानी सुनाने लगी....

क्रमशः....
सरोज वर्मा....