Galatee - The Mistake - 49 in Hindi Detective stories by prashant sharma ashk books and stories PDF | गलती : द मिस्टेक  भाग 49

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गलती : द मिस्टेक  भाग 49

भौमिक वहीं खड़े होकर सोचता है कि यदि विशाल और उसके दोस्त अपने कमरे में चले गए थे तो फिर वे लोग डॉक्टर सक्सेना की कमरे की ओर क्यों गए होंगे ? आखिर उस दौरान ऐसा क्या हुआ होगा कि विशाल और उसके दोस्त कमरे से बाहर निकले और उन्हें उपर जाना पड़ा। क्या डॉक्टर सक्सेना ने उन्हें उपर बुलाया होगा ? या विशाल और उसके दोस्तों ने या उनमें से किसी ने कातिल के आने के आहट सुनी होगी और वे कमरे से बाहर आए होंगे ?

विशाल और उसके दोस्तों ने कातिल को देखा था ? क्या उन्होंने कत्ल होते हुए भी देखा था ? यदि ऐसा सबकुछ हुआ था तो फिर वे सभी लोग कत्ल का इल्जाम खुद पर क्यों ले रहे हैं ? आखिर ऐसा कौन कातिल है, जिसे वे सब मिलकर बचा रहे हैं ? ये कुछ ऐसे प्रश्न थे, जिनका भौमिक के पास फिलहाल कोई जवाब नहीं था। पर वो ये भी जानता था कि कोई तो है ऐसा जिसके पास इन सभी सवालों के जवाब हैं। भौमिक को बस उसे ही तलाश करना था।

भौमिक इन सभी बातों को सोच ही रहा था कि तभी हवेली में एक कार आकर रूकती है। कार से सुदीप शाह उतरता है और उसके पीछे एक शख्स और उतरता है। शाह वहां भौमिक को देखता है और उसके पास पहुंच जाता है।

अरे एसीपी साहब आप इस समय यहां ? शाह ने अचरज के साथ पूछा।

हां बस ऐसे ही चला आया था। भौमिक ने जवाब दिया।

फिर कोई सुराग मिला क्या आपको कातिल के संबंध में ? शाह ने पूछा।

फिलहाल तो नहीं मिला है पर मुझे यकीन है कि मिलेगा जरूर। भौमिक ने कहा।

बिल्कुल आप जैसे काबिल पुलिस अधिकारी है तो सुराग तो क्या कातिल भी मिल ही जाएगा। शाह ने कहा।

वैसे ये जनाब कौन है आपके साथ और ये यहां क्या कर रहे हैं ? भौमिक ने शाह के साथ शख्स की ओर इशारा करते हुए प्रश्न किया।

सर ये सुभाष है। मैंने आपसे कल कहा था ना कि मैं ठेकेदार को हवेली में होने वाले काम के बारे में समझाना चाहता हूं। ये वहीं ठेकेदार है। पहले भी काम किया था इसने ही, इसलिए इसे ही दोबारा काम दे रहा हूं। तो क्या काम करना है वही बताने के लिए इसे लाया था। वैसे अच्छा हुआ कि आप भी यही है तो आपके सामने ही काम समझा दूंगा, इससे आपको भी तसल्ली रहेगी कि हमने यहां किसी भी चीज को छूआ नहीं है। शाह ने कहा।

ओके, आप अपना काम कर लीजिए। मैं यही हूं। भौमिक ने कहा।

इसके बाद शाह ठेकेदार सुभाष को लेकर हवेली में चला गया। उनके पीछे भौमिक भी हवेली में चला गया था। राजन भी दौड़ते हुए हवेली आ गया। उसने भौमिक को देखा तो उन्हें नमस्ते किया और फिर शाह के पीछे-पीछे चलने लगा।

शाह ने सुभाष से कहा- देखो सुभाष हमें ये सामने वाली गैलरी की दीवार को तोड़कर इसे छोटा करना है। इतना छोटा कि वहां से धूप अंदर हॉल तक आ सके। इसके बाद इन सभी कमरो में बाथरूम तैयार करना है। ऐसे ही उपर भी जितने कमरे हैं उनमें भी सभी में बाथरूम तैयार करना है। हालांकि कमरो का साइज कुछ छोटा हो जाएगा, पर इससे फायदा यह होगा हर कमरे में बाथरूम होगा तो यहां आने वाले किसी भी व्यक्ति को कोई परेशानी नहीं होगी।

शाह लगातार सुभाष को काम समझाता जा रहा था और सुभाष की नजर बार-बार एक दीवार की ओर जा रही थी। हालांकि भौमिक ने उसे एक-दो बार दीवार की ओर देखते हुए देख लिया था, परंतु उसने कोई प्रश्न नहीं किया था। फिर जब बार-बार सुभाष एक ही दीवार की ओर देख रहा था तो उसके मन में शंका होने लगी थी। वो अब कभी सुभाष को तो कभी उस दीवार को देख रहा था। हालांकि इस बार भी उसने सुभाष या शाह से कोई प्रश्न नहीं किया था।

आखिर सुभाष बार-बार उस दीवार की ओर क्यों देख रहा था ? उस दीवार का क्या राज है ? क्या ये वहीं दीवार है, जिसे शाह तोड़कर छोटी करने की बात कर रहा था ? क्या इस दीवार में सुभाष का कोई राज छिपा है ? क्या हवेली में इस बार भौमिक को कत्ल से संबंधित कोई सुराग मिल जाएगा ? इन सभी सवालों के जवाब आगे कहानी में मिलेंगे, तब तक कहानी से जुड़े रहे, सब्सक्राइब करें और अपनी समीक्षा अवश्य दें व फॉलो करना ना भूले।