Galatee - The Mistake - 39 in Hindi Detective stories by prashant sharma ashk books and stories PDF | गलती : द मिस्टेक  भाग 39

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गलती : द मिस्टेक  भाग 39

पर सर हम पहले भी उन लोगों से पूछताछ कर चुके हैं और उसमें हमें कुछ भी हासिल नहीं हुआ था। परमार ने कहा।

हां परमार जानता हूं कि हम पहले भी उनसे पूछताछ कर चुके हैं, पर ये भी तय है कि कातिल उस रात हवेली में मौजूद था। उन स्टूडेंट और राजन और उसकी पत्नी के अलावा हवेली में और कोई नहीं था। मतलब साफ है कि इन 10 लोगों में से ही कोई एक कातिल है। भौमिक ने कहा।

इतना कहने के बाद भौमिक कुछ देर तक सोचता रहा। परमार भी वहीं केबिन में खड़ा रहा। फिर भौमिक ने कहा- परमार तुम्हें घर जाने की जल्दी तो नहीं है ?

परमार ने कहा- नहीं सर बिल्कुल नहीं।

तो फिर चलो आज हम दोनों हवेली चलते हैं। भौमिक ने कहा।

इसके बाद भौमिक और परमार हवेली के लिए रवाना हो गए। करीब दो घंटे में दोनों हवेली पहुंच गए थे। हवेली पर शाह पहले से मौजूद था और वो राजन के साथ बात कर रहा था। भौमिक को हवेली पर देखकर शाह उसके पास आ गया।

एसीपी साहब यहां हवेली पर ? कुछ खास था क्या ? शाह ने प्रश्न किया।

कुछ खास तो नहीं बस ऐसे ही आ गया था। वैसे आप यहां क्या कर रहे हैं ? आप जानते हैं ना हमने इसे अभी क्लीयर नहीं किया है, यानि कि यह अब भी क्राइम सीन है। भौमिक ने कहा।

जी, बिल्कुल जानता हूं। वो क्या पहले मैं इसमें काम करा रहा था और फिर वो काम बंद हो गया था। इसलिए राजन को समझाने आया था कि पुलिस जब अपना काम यहां से खत्म कर लें तो काम फिर से शुरू कराना है। अब अब इसे एक रिसोर्ट के रूप में चलाना चाहता हूं, इसलिए थोड़ा काम करा रहा था। शाह ने जवाब दिया।

कोई बात नहीं, आपकी हवेली है आप जो चाहे करें। वैसे हम कुछ ही दिन में इसे क्लीयर कर देंगे। भौमिक ने कहा।

जी कोई बात नहीं जब तक आप क्लीयर नहीं कर देंगे हम काम शुरू नहीं करेंगे। शाह ने कहा।

आओ परमार अंदर चलते हैं। भौमिक ने परमार से कहा और फिर दोनों हवेली के अंदर चले गए।

सर अब हम यहां क्या करने आए हैं ? परमार ने भौमिक से प्रश्न किया।

परमार पता नहीं मुझे क्यों लग रहा है कि कातिल ने यहां कोई ना कोई सुराग तो छोड़ा ही होगा। हालांकि तीन बार पहले भी आ चुका हूं पर वो सुराग मेरी नजरों में नहीं आया है। मैं आज फिर उस सुराग की तलाश में आया हूं। तुम भी उस सुराग की तलाश करो और मैं भी तलाश करता हूं। भौमिक ने कहा।

पर सर हमारी टीम पहले ही इस हवेली के चप्पे-चप्पे को छान चुकी है। फोरेंसिक टीम भी अपना काम कर चुकी है। अगर कोई सुराग होता तो हमें मिल गया होता सर। परमार ने कहा।

फिर भी परमार। एक बार और देख लेने में हमारा क्या जाता है? हो सकता है कि हमें सुराग मिल जाए और कातिल हमारे सामने आ जाए। भौमिक ने कहा।

ठीक है सर जैसा आप ठीक समझे। दोनों फिर हवेली के उस हॉल और कमरे की तलाशी लेने में जुट जाते हैं। करीब तीन घंटे से भी अधिक समय तक भौमिक और परमार हवेली में ही रहते हैं, परंतु उन्हें कातिल से संबंधित कोई सुराग नहीं मिलता है।

देखा सर मैंने तो पहले ही कहा था, हमारी टीम और फोरेंसिक की टीम ने यहां का चप्पा-चप्पा छान मारा था, यहां कोई सुराग बाकि रह ही नहीं सकता है। परमार ने कहा।

अपराधी कोई ना कोई गलती जरूर करता है परमार। मुझे अपराधी या यूं कहूं कि उस कातिल की उस गलती को ही पकड़ना है। यह एक परफेक्ट क्राइम नहीं हो सकता है। कोई भी अपराधी इतना शातिर नहीं हो सकता है कि वो अपराध करके आसानी से बच निकले। कुछ तो होगा जो कातिल को हमारे सामने बेनकाब कर देगा। भौमिक ने कहा।

क्या सच में हवेली में कोई ऐसा सुराग है जो कातिल को बेनकाब कर सकता है ? बिना सुराग के भौमिक कातिल तक कैसे पहुंचेगा ? कातिल की पहचान के लिए भौमिक अब क्या करेगा ? क्या सच में विशाल और उसके दोस्तों में से ही किसी ने कत्ल किया है ? इन सभी सवालों के जवाब मिलेंगे कहानी के अगले भाग में। तब तक कहानी से जुड़े रहे, सब्सक्राइब करें और अपनी समीक्षा अवश्य दें व फॉलो करना ना भूले।