Galatee - The Mistake - 26 in Hindi Detective stories by prashant sharma ashk books and stories PDF | गलती : द मिस्टेक  भाग 26

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गलती : द मिस्टेक  भाग 26

हवेली में सुराग की तलाश के दौरान भौमिक के दिमाग में कई बातें चल रही थी। हालांकि वो सिर्फ कयास ही लगा पा रहा था, क्योंकि उसके इन कयासों को हकीकत का स्वरूप देने के लिए कोई भी साक्ष्य उसके सामने नहीं था। ना तो कातिल का कोई चेहरा उसके सामने था और ना ही कत्ल करने की कोई वजह ही भौमिक को पता चल पा रही थी। कई घंटे तक हवेली के हर कोने को तलाशने के बाद भी भौमिक को एक बार फिर हवेली से खाली हाथ ही लौटना पड़ रहा था। वो कुछ निराश था, क्योंकि इस बार भी हवेली से उसे कत्ल या कातिल के संबंध में कोई सुराग नहीं मिला था।

हवेली से निकलकर भौमिक सीधे अपने घर पहुंच गया था। वो अपने घर पर अकेला ही रहता था। घर पहुंचने के बाद उसने अपने लिए खाना तैयार किया और फिर खाना खाकर अपने बेड पर लेट गया था। हालांकि खाना बनाने से लेकर बेड पर लेटने तक भी उसके दिमाग में बस यह केस ही चल रहा था। केस के बारे में इतना सोचने के बाद भी उसे कोई ऐसी लिंक नहीं मिल रही थी, जिससे कि वो केस को आगे बढ़ा सके। ऐसे ही सोचते हुए उसे नींद आ गई थी और अगले दिन वो उठकर फिर से ऑफिस पहुंच गया था।

10 दिन बीत चुके थे। केस अब तक जहां था वहीं था। भौमिक अपने ऑफिस में बैठा दूसरे केस पर काम कर रहा था। इसी दौरान वहां परमार आ गया। उसने आते ही भौमिक को सेल्युट किया। भौमिक ने उसे बैठने का इशारा किया। परमार भौमिक के सामने रखी कुर्सी पर बैठ गया था। करीब 20 मिनट तक भौमिक अपना काम करता रहा और परमार उसे देखता रहा। 20 मिनट बाद भौमिक ने हाथ में ली हुई फाइल बंद कर उसे टेबल के साइड में रख दिया और फिर परमार से कहा-

हां परमार बताओ क्या कोई खास खबर मिली है ? भौमिक ने प्रश्न किया।

सर जैसा कि आपने कहा था मैंने डॉ. अविनाश सक्सेना के बारे में पता किया है। परमार ने कहा।

ओके वेरी गुड। क्या पता चला है डॉक्टर के बारे ? भौमिक ने फिर से प्रश्न किया।

सर, पता चला है कि उनके पिता भी एक डॉक्टर थे। डॉ. अविनाश उनके एक ही बेटे थे। पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए उन्होंने भी डॉक्टरी का पेशा चुना। वे हार्ट सर्जन थे। जल्द ही उनको बहुत कामयाबी मिली, वे ना सिर्फ शहर के बल्कि देश के भी टॉप हार्ट सर्जन में शामिल हो गए। धीरे-धीरे उनकी ख्याती देश से विदेशों में भी फैल गई। वे अक्सर विदेशा टूर पर भी जाने लगे थे। देश और विदेशी के कई नामी गिरामी लोग उनके मरीजों की लिस्ट में शामिल थे। परमार कहता रहा।

ओके, ये सब तो ठीक है, उनके दोस्त और दुश्मनों के बारे में कुछ पता चला है ? भौमिक ने परमार से प्रश्न किया।

वैसे उनके दोस्तों और दुश्मनों के बारे में बहुत अधिक जानकारी तो नहीं मिल सकी है। दोस्तों के रूप में केवल तीन नाम सामने आए हैं। इनमें से दो की मौत हो चुकी है और एक दोस्त उस हवेली का मालिक ही है। दुश्मनी के बारे में भी कुछ खास पता नहीं चला है। पर... परमार कहते हुए रूक गया।

पर... पर क्या परमार। रूक क्यों गए। भौमिक ने परमार को देखते हुए कहा।

सर वो एक ऐसी बात पता चली है जिस पर मुझे यकीन हो रहा है। क्योंकि मैंने अब तक जितना भी डॉ. अविनाश के बारे में पता किया है, उसके बाद उस बात पर यकीन करना कुछ मुश्किल है।

ऐसा क्या पता चला है परमार ? भौमिक ने प्रश्न किया।

सर डॉ. अविनाश के बारे में पता करने के दौरान मैं करीब 100 से अधिक लोगों से मिला हूं। कईयों ने उनकी तारिफ की हैं। हालांकि कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने तारिफ के साथ यह भी कहा कि वो एक बहुत बड़े सनकी इंसान भी थे।

सनकी... सनकी इंसान से मतलब ? भौमिक ने फिर से प्रश्न किया।

आखिर क्या पता चला है परमार को डॉ. अविनाश सक्सेना के बारे में ? कौन है वो लोग जिसने डॉक्टर को सनकी इंसान कहा है ? क्या डॉक्टर का यह सनकीपन ही उसके कत्ल की वजह बना है ? इन सभी सवालों के जवाब मिलेंगे कहानी के अगले भाग में। तब तक कहानी से जुड़े रहे, सब्सक्राइब करें और अपनी समीक्षा अवश्य दें व फॉलो करना ना भूले।