हां वैसे तुम्हारी बात में वजन तो हैं। भौमिक ने परमार की बात पर सहमति जताते हुए कहा।
हां सर, बस कत्ल का मकसद पता नहीं चल रहा है। परमार ने कहा।
वो भी पता चल जाएगा परमार। तुम अब एक काम करो डॉ. अविनाश के बारे में पता करो। वो कौन था, क्या करता था, कैसे करता था। उसकी पूरी जन्म कुंडली निकालो। उसके दोस्त, उसके दुश्मन, उसके परिवार से जुड़े लोग। डॉक्टर और उसकी फैमिली से जुड़ी हर एक छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बात हमें पता होना चाहिए। भौमिक ने कहा।
पर सर मुझे एक बात अब भी समझ नहीं आ रही है कि वो आखिर उस हवेली में करने क्या गया था, वो भी अपने पूरे परिवार के साथ ?
यह भी पता चल जाएगा परमार। हो सकता है कि उसे किसी ने वहां आने के लिए कहा हो, कोई उससे मिलने के लिए आने वाला हो। हो सकता है कि वो भी परिवार के साथ छुट्टी बिताने के लिए आया हो? उसके किसी दुश्मन को खबर लग गई और उसने वहां जाकर उसका काम तमाम कर दिया।
होने को तो कुछ भी हो सकता है सर। परमार ने कहा।
मैं तुम्हें 10 दिन देता हूं, इन 10 दिनों में मुझे डॉक्टर अविनाश की पूरी जानकारी चाहिए। इस बार भौमिक का लहजा आदेशात्मक था।
परमार ने जी सर कहा और फिर वहां से चला गया।
दूसरी ओर विशाल और उसके सभी दोस्त हॉस्पिटल से अपने घर पहुंच गए थे। हालांकि उनके परिवार वाले उनके यूं अचानक बेहोश हो जाने से कुछ परेशान थे। परंतु घर पहुंचने के बाद वे सभी नॉमर्ल हो गए थे, इसलिए बहुत अधिक परेशानी नहीं हुई थी।
भौमिक अब भी अपने केबिन में ही बैठा था, तभी उसका मोबाइल घनघना उठा। यह कमिश्नर का कॉल था। भौमिक ने मोबाइल उठाते ही कहा- जय हिंद सर।
दूसरी ओर से आवाज आई, भौमिक केस की क्या प्रोग्रेस हैं ? जांच कहा तक पहुंची ? कमिश्नर ने सवाल किया।
सर, मैंने आज ही सभी स्टूडेंट से पूछताछ की है। हालांकि उनसे पूछताछ के दौरान कोई खास जानकारी नहीं मिली है। बल्कि उनसे पूछताछ के बाद केस और भी ज्यादा उलझ गया है।
क्यों, उन बच्चों ने ऐसा क्या बता दिया कि केस उलझ गया है ? कमिश्नर से फिर से सवाल किया।
सर, सभी स्टूडेंट का कहना था कि कत्ल उन्होंने किया और उनके बाकि दोस्तों का कत्ल से कोई लेना-देना नहीं है। मतलब साफ है कि चार लोगों के कत्ल में अब कम से कम आठ संदिग्ध तो हमारे सामने ही है। हालांकि मुझे लगता नहीं है कि स्टूडेंटस में से किसी ने उन चारों का कत्ल किया है, परंतु हम उनके इकबाल-ए-जुर्म को दरकिनार भी नहीं कर सकते हैं। भौमिक ने जवाब दिया।
तो किसी का कत्ल करने का मोटिव सामने आया है ? कमिश्नर ने फिर से सवाल किया।
नहीं सर, अभी तक कत्ल का कोई मोटिव सामने नहीं आया है। फिलहाल तो मैंने सभी को उनके घर रवाना कर दिया है। अब मैं डॉ. अविनाश सक्सेना के बैकग्राउंड को तलाश कर रहा हूं ताकि कातिल या कत्ल के मोटिव के संबंध में कोई सुराग हाथ लग सके। भौमिक ने कहा।
तो हवेली से कुछ नहीं मिला ? कमिश्नर ने पूछा।
नहीं सर मैं खुद दो बार हवेली में जांच करके आ चुका हूं। या तो कातिल बहुत शातिर है और उसने हमारे लिए हवेली में कोई सुराग नहीं छोड़ा है, या फिर कातिल ने कत्ल के दौरान इतनी सावधानी बरती है कि कोई सुराग छुटे ही नहीं। भौमिक ने कहा।
जो भी हो, इस केस को जल्द से जल्द सॉल्व करो भौमिक। यह बहुत हाई प्रोफाइल केस हैं। हालांकि अब तक मीडिया ने इस केस पर बहुत अधिक हल्ला नहीं किया है, पर ये भी मानकर चलो कि इस केस में अगर कोई प्रोगेस नहीं हुई तो मीडिया हमारे पीछे पड़ जाएगी। मीडिया को तो वैसे भी पुलिस की टांग खींचने के लिए कोई ना कोई बहाना चाहिए ही होता है और यह केस उनके लिए मौका बन सकता है। कमिश्नर ने कहा।
सर मैं अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रहा हूं। जल्द ही इस केस में मैं कोई लीड हासिल कर लूंगा और फिर केस को जल्द से जल्द अंजाम तक पहुंचा दूंगा। कातिल कुछ दिन तक छिप सकता है, परंतु हमेशा के लिए वो मेरी नजरों से नहीं बच सकता। भौमिक ने कहा।
ओके भौमिक, जो भी करो जल्दी करो। इतना कहने के बाद कमिश्नर ने फोन कट कर दिया।
भौमिक का अगला कदम क्या होगा ? क्या डॉ. अविनाश की बीती जिंदगी में ही इन कत्लों का राज छिपा है ? क्या परमार का शक सही है कि शेखर ने ही वो चारों कत्ल किए हैं ? आखिर ऐसी क्या वजह रही होगी कि शेखर को चार लोगों का कत्ल करना पड़ गया ? इन सवालों के जवाब मिलेंगे अगले भाग में। तब तक कहानी से जुड़े रहे, सब्सक्राइब करें और अपनी समीक्षा अवश्य दें।