परमार जल्द ही मंत्री और तीनों बिजनेसमैन को भौमिक के केबिन में लेकर आ गया था। भौमिक ने सभी को बैठने के लिए कहा और खुद भी चेयर पर बैठ गया था। दुष्यंत शाह ने चिंता के स्वर के साथ भौमिक से प्रश्न किया-
एसीपी हमारे बच्चे कहां हैं, वे कैसे हैं ?
भौमिक ने कहा- शाह साहब आप चिंता ना करें बच्चे पूरी तरह से ठीक है। हमें उनसे बस कुछ पूछताछ करना है इस कारण उन्हें यहां रोक रखा है। हमारी पूछताछ होते ही हम उन्हें छोड़ देंगे और आप उन्हें अपने घर ले जा सकेंगे।
इस बार कुणाल मेहता ने कहा- एसीसी हमारे बच्चों ने मर्डर नहीं किया है तो फिर उनसे पूछताछ क्यों ?
सर चूंकि आपके बच्चे हत्या के समय हवेली में थे, इसलिए उनसे पूछताछ करना जरूरी है। हो सकता है कि हमें कातिल के संबंध में कोई सुराग मिल जाए। आप लोगों चिंता ना करें यह बस एक रूटिन पूछताछ है। हम बच्चों पर कोई प्रेशर नहीं बनाने वाले हैं। हम भी जानते और समझते हैं कि वे स्टूडेंट हैं, इसलिए उनसे ऐसे कोई सवाल नहीं किए जाएंगे जिससे वे परेशान हो जाए।
रहमत खान और मंत्री शशिकांत शितोले ने भी बच्चों के प्रति चिंता जाहिर की, परंतु भौमिक ने उन्हें अपनी बातों से बताया कि वे बच्चों की चिंता ना करें। इसके बाद सभी भौमिक की बात से संतुष्ट हो गए थे और सभी ने भौमिक को बच्चों से पूछताछ के लिए इजाजत दे दी थी। इसके बाद सभी भौमिक के केबिन से बाहर निकल गए थे। इसके बाद भौमिक ने परमार से सभी को कैबिन में लेकर आने के लिए कहा। कुछ ही देर में परमार विशाल और उसके दोस्तों को भौमिक के केबिन में लेकर आ गया था। सभी चेयर पर बैठे हुए थे, परंतु उनके चेहरे पर किसी तरह का कोई भाव नजर नहीं आ रहा था।
भौमिक ने सबसे पहला अपना परिचय देते हुए कहा- बच्चों मेरा नाम भौमिक है और मैं इस शहर का एसीपी हूं। आप सभी पूरी तरह से रिलेक्स हो जाए और जो कुछ भी हुआ है उससे डरने की आप सभी को बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। मैं जानता हूं कि आपका उससे कोई लेना-देना नहीं हैं। हमारे बस कुछ सवाल है, जिसका जवाब आप दे देंगे तो आप अपने घर जा सकते हैं। आप मुझे बता सकते हैं कि उस दिन हवेली में क्या हुआ था ? क्या आप मुझे हवेली में हुए चार लोगों के कत्ल के बारे में कुछ बता सकते हैं ?
विशाल और उसके दोस्तों ने जैसे ही भौमिक के मुंह से हवेली और कत्ल के बारे में सुना सभी के चेहरों के भाव अचानक बदल गए थे। विशाल जहां एक दम गुस्से में नजर आने लगा था, वहीं शेखर ने लगभग अपना आपा खो दिया था और वो कुर्सी से उठकर खड़ा हो गया था। जिज्ञासा, मेधा, वंशिका और मानसी ने जोर से रोना शुरू कर दिया। मानव और साहिल एकदम से गुमसुम हो गए थे। भौमिक ने जब ये सब देखा तो उसे समझ नहीं आया कि अचानक इन सभी को क्या हो गया ? उसने बच्चों को शांत करने की कोशिश की।
उसने सबसे पहले शेखर को संभाला जो कि हाइपर होकर कुर्सी से खड़ा हो गया था। उसने उसे पकड़ा और कुर्सी पर बैठाया और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा- शेखर... शेखर आराम से गुस्सा होने की जरूरत नहीं है। मेरी बातों का आराम से जवाब दो। शेखर के बर्ताव से भौमिक को लग रहा था कि शेखर कत्ल या कातिल के संबंध में जरूर कुछ जानता है। शेखर कुछ शांत हुआ तो उसने विशाल को शांत किया और फिर चारों लड़कियों को रिलेक्स किया। मानव और साहिल तो यूं भी गुम सुम बैठे थे, इसलिए भौमिक ने भी उन्हें शांत रहने के लिए कहा।
भौमिक ने दोबारा से उनसे वहीं सवाल किया- बच्चों आप मुझे आराम से बताओ कि उस दिन हवेली में क्या हुआ था। क्या आप में से किसी ने कातिल का चेहरा देखा था, या कत्ल के बारे में आप मुझे कुछ बता सकते हो ? भौमिक के फिर सवाल दोहराने के साथ ही सभी ने फिर से एक उसी तरह का व्यवहार किया, जैसा कि पहले सवाल सुनते ही किया था। यानि कि विशाल गुस्से में आ गया, शेखर उसी तरह से हाइपर होकर कुर्सी से उठा खड़ा हुआ था। चारों लड़कियों ने रोना शुरू कर दिया और मानव और साहिल गुमसुम हो गए थे।
क्या विशाल और उसके दोस्त भौमिक को कातिल के संबंध में कुछ बताएंगे ? आखिर क्यों भौमिक के प्रश्न करते ही विशाल और उसके दोस्तों का व्यवहार बदल जा रहा था ? क्या वे हवेली में हुए कत्ल के संबंध में कुछ जानते हैं ? इन सवालों के जवाब मिलेंगे अगले भाग में। तब तक कहानी से जुड़े रहे, सब्सक्राइब करें और अपनी समीक्षा अवश्य दें।