भौमिक वहां से निकल कर हवेली के पीछे बने नौकर राजन के कमरे की ओर चला गया। इस दौरान बाकि पुलिसकर्मी अपना काम कर रहे थे। फोरेंसिक टीम भी अपने काम में व्यस्त थी। वहीं परमार अपने काम में व्यस्त था। भौमिक राजन के कमरे पर पहुंचा तो राजन बाहर ही बैठा हुआ था। भौमिक को अपनी ओर आता देख राजन तुरंत उठकर खड़ा हो गया था। भौमिक उसके पास पहुंचा तो राजन ने उसे नमस्ते किया।
तुम्हारा ही नाम राजन है ? भौमिक ने प्रश्न किया।
जी, साहब मेरा ही नाम है।
कितने समय ये यहां काम कर रहे हो ?
साहब हमें तो करीब 8 साल हो गए हैं।
तो आठ साल में इस हवेली के मालिक यहां कितनी बार आए हैं ?
जी, साहब तो आठ सालों में दो या तीन बार ही आए होंगे। वो बाहर रहते हैं, हमें बस हवेली की देखरेख के लिए रख छोड़ा है यहां पर।
तुम्हारे अलावा यहां और कौन-कौन रहता है ? भौमिक ने प्रश्न किया।
साहब मैं और मेरी पत्नी सावित्री रहते हैं। महीने में एक बार माली आता है और गार्डन की साफ-सफाई कर चले जाता है। राजन ने जवाब दिया।
और कोई ?
नहीं साहब और तो कोई नहीं आता। हां हवेली की लाइन बंद हो जाए या कोई टूट-फूट हो जाए तो हम बिजली वाला और मिस्त्री को बुलाकर ठीक करा देते हैं। राजन ने फिर से जवाब दिया।
और जो ये लड़के-लड़कियां यहां छुट्टी मनाने के लिए आते हैं वो ?
हां, साहब महीना-दो महीना में लड़के- लड़कियों का ग्रुप यहां आता रहता है। दो चार दिन रूकते हैं, आसपास घूमते हैं और फिर चले जाते हैं। राजन ने जवाब दिया।
भौमिक ने राजन को घूरते हुए कहा- तो इसकी जानकारी तुम्हारे साहब को होती है या तुम्हारी एक्सट््रा इनकम होती है।
नहीं साहब। हमारे साहब को पता होता है। हम भी बता देते हैं। लड़के-लड़कियां आते हैं तो हम साहब का अकाउंट नंबर उन्हें दे देते हैं और वो उनके रूपए भेज देते हैं। मेरी कमाई तो उनके लिए खाना बनाने और जाते समय वो अपनी मर्जी से जो दे जाते हैं उससे हो जाती है। राजन ने फिर भौमिक के प्रश्न का जवाब देते हुए कहा।
ठीक है, ये जो लड़के-लड़कियां यहां आए हैं वे कब आए थे ? भौमिक ने फिर से प्रश्न किया।
साहब ये लोग तो कल दोपहर में ही आए थे। हमने उन्हें नीचे वाले चार कमरे दिए थे। वे सभी अपने कमरे में चले गए थे। जाने के पहले एक लड़के ने हमें कुछ रूपए दिए थे और खाना बनाने के लिए कहा था।
जिनकी हत्या हुई है वो लोग कौन है और कब आए थे ?
साहब हम उनको नहीं जानते हैं। वे तो अचानक आ गए थे। उन्होंने हमको एक खत दिया, खत हमारे साहब का था तो हमने उनके लिए कमरा खोल दिया था। वे लोग तो आने के बाद अपने कमरे में ही चले गए थे, उसके बाद वे बाहर ही नहीं आए। राजन ने जवाब दिया।
कल रात को तुम अपने कमरे में कितनी बजे आए थे ?
साहब करीब 11.30 बजे। वो लड़के-लड़कियों ने खाना खा लिया था। परिवार के साथ आए साहब को हमने पानी दे दिया था, उसके बाद मैं अपने कमरे में आ गया था। सावित्री मेरी पत्नी करीब 12 बजे बर्तन साफ कर कमरे में आ गई थी।
मुझे पता चला है कि तुम रात के समय हवेली का चक्कर लगाने के लिए जाते हो ? भौमिक ने प्रश्न किया।
जी, हां साहब, हम रात को कम से कम एक बार हवेली का चक्कर लगाने के लिए जाते हैं। वो क्या है ना साहब। हाइवे हैं, आसपास थोड़ा जंगली इलाका भी है। इसलिए रात को एक बार चक्कर लगा लेता हूं।
कल रात को भी तुमने चक्कर लगाया था ?
जी, हां साहब हम तो हर रोज एक बार चक्कर लगाता ही हूं।
कल रात को कितनी बजे अपने कमरे से हवेली के पास गए थे?
साहब रात को तीन बजे। राजन ने जवाब दिया।
रात के तीन ही बजे थे यह कैसे कह सकते हो तुम।
साहब वो हम अपने मोबाइल में अलार्म लगाकर रखते हैं। अलार्म बजता है तो हम वो लाठी उठाते हैं, टार्च लेते हैं और एक बार पूरी हवेली का चक्कर लगाते हैं और फिर अपने कमरे में आ जाते हैं।
क्या राजन भौमिक को कत्ल के संबंध में कोई सुराग दे पाएगा ? क्या हवेली में ऐसा कोई आया था, जो कत्ल करके चला गया ? यदि आया था तो उसने पति-पत्नी और दो बच्चों का ही कत्ल क्यों किया, क्या कातिल की उस परिवार से कोई दुश्मनी थी ? विशाल और उसके दोस्त क्या भौमिक को कत्ल और कातिल के संबंध में कोई सुराग दे पाएंगे? इन सवालों के जवाब मिलेंगे अगले भाग में। तब तक कहानी से जुड़े रहे, सब्सक्राइब करें और अपनी समीक्षा अवश्य दें।