Budhape se Jawani ki Aur - 3 in Hindi Comedy stories by r k lal books and stories PDF | बुढ़ापे से जवानी की ओर (सच्ची घटना) - 3

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बुढ़ापे से जवानी की ओर (सच्ची घटना) - 3

बुढ़ापे से जवानी की ओर -3 (सच्ची घटना)

आर० के० लाल


शर्मा जी आजकल कुछ ज्यादा ही परेशान रहते हैं। वैसे तो  रिटायरमेंट के बाद उन्होंने अपने जीवन जीने का नजरिया ही बदल दिया था और  एकदम निश्चिंत हो कर मस्त लाइफ बिताने लगे थे । उनकी कोई लायबिलिटी नहीं बची थी। सभी बच्चों की शादी कर चुके थे जो अपने-अपने काम में व्यस्त थे। शर्मा जी दिन भर दोस्तों के साथ घूमते फिरते, क्लब में बैठकर ताश खेलते और आए दिन कभी अपनी पत्नी के साथ तो कभी दोस्तों के साथ पी वी आर चले जाते। चटपटे खाने का आनंद वे खूब लेते और खरीद-फरोक्त भी जम कर करते । उन्हें रोकने- टोकने वाला कोई नहीं था। 

परंतु इधर कुछ दिनों से वे गुमसुम रहने लगे तो उनके दोस्तों में से भट्ट जी ने पूछा, “ शर्मा जी! आजकल आपकी डायबिटीज बढ़ गई है क्या?

 मैं तो कहता हूं कि आप बाजार का लचर-पचर कम खाया करो,  थोड़ा जीभ पर कंट्रोल कर लिया करो मगर आप तो किसी की मानते ही नहीं । चलो मैं आपका फास्टिंग ब्लड शुगर चेक करवा देता हूं । “

शर्मा जी झुंझलाते हुए  बोले, “ कोई नहीं भई! ऐसा कुछ नहीं है। मेरे पास भी ग्लूकोमीटर है। आज ही चेक किया है बिल्कुल नॉर्मल ब्लड शुगर था।” 

बात आई गई हो गई मगर जब अगले तीन-चार दिन तक शर्मा जी के चेहरे पर उदासी छाई रही तो लोगों ने सोचा कि आज एक पार्टी करते हैं उसमें शर्मा जी को बुलाते हैं और फिर उनसे जानते हैं कि उनके साथ ऐसा क्या हो गया है। 

शाम को यादव जी ने सभी को अपने घर पर  बियर पर आमंत्रित किया। वहां सबने शर्मा जी की प्रोब्लम जाननी चाही। पहले तो शर्मा जी टालते रहे लेकिन दो तीन गिलास बियर पीने के बाद उनके गम बाहर आने लगे । स्वयं बोले कि हर कोई यह चाहता है कि वह 60 की उम्र में भी 45 का दिखे। मैं भी चाहता हूं तो क्या बुरा है? मगर बहुत प्रयास करने के बाद भी मेरे साथ कुछ उल्टा ही हो रहा है। मैं बचपन से ही बहुत सज- संवर के रहना पसंद करता हूं। इसी क्रम में एक दिन जब मैं बालों में डाई कर रहा था मुझे दर्पण में लगा कि जैसे मेरा चेहरा बूढा लग रहा हो। आंखों के नीचे तमाम झुर्रियां इस बात का संकेत दे रही थी। जल्दी बुढ़ापा का मतलब है जल्दी  जीवन का अंत । मैं परेशान सा हमेशा सोचने लगा कि जल्दी बुढ़ापा आने का क्या कारण है,  लोग तो 80 वर्ष की उम्र में भी चुस्त दुरुस्त रहते हैं। 

मेरी पत्नी तो कहती है कि उम्र बढ़ने को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता लेकिन बुढ़ापा आने को अच्छे खान-पान और सदाचार जीवन शैली बना कर धीमा जरूर किया जा सकता है। समझ नहीं आता कि मैं क्या करूं। कोई कहता है कि वर्क- आउट करो तो कोई कहता है कि नमक-चीनी से दूरी बना लो।  अब इस उम्र में तो वर्क-आउट होने से रहा हां मैंने नमक और चीनी दोनों काम कर दिया है पर इन सब के अतिरिक्त भी मेरी एक उलझन है।

 

शर्मा जी ने बिना रुके जब अपने यौन जीवन के विषय में समस्या बताना शुरू किया तो सभी भौचक उनका मुँह ताकने लगे । शर्मा जी ने कहा, “ लोग अक्सर इस बारे में बात करने से कतराते हैं जबकि रिसर्च से पता चला है कि जो बुजुर्ग उम्र के इस पड़ाव में भी इनको महत्व देते हैं, उनका सामाजिक जीवन और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है और वे अपनी असल उम्र से काफी छोटे लगते हैं । लेकिन इस उम्र में यह एक अपराध बोध वाला प्रकरण समझा जाता है । कभी-कभी मेरा मन भी  प्यार में डूबना चाहता है लेकिन इसे कोई समझता ही नहीं। परिणाम स्वरूप रात में मुझे बहुत एंजायटी और घबराहट होती है ।  कुछ ऐसा भी नहीं है कि डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत हो परंतु  मेरा मानसिक तनाव बढ़ गया है। अब तो नींद ही नहीं आती। क्या करूं आप ही बताइए।

यादव जी बोले कि यह कोई गंभीर बात नहीं है। हम सब को भी इस बात की चिंता रहती है लेकिन इतना भी परेशान होने की जरूरत नहीं होती जितना कि आपके चेहरे से लगता है। उम्र के साथ तो सभी के चेहरे बनते-बिगड़ते हैं पर संतोषजनक रिलेशन के लिये बदलाव एवम प्रयास अपेक्षित  होता है। दुर्भाग्य से अपने यहां इन विषयों के काउंसलर की कमी है जो सही बात बता सके परंतु  आप को समझने की जरूरत है कि कैसे सामान्य रहा जाता है। चलते-चलते सभी ने शर्मा जी को और अधिक सोशल एक्टिविटीज में व्यस्त रहने की सलाह दी।

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