राजन कालेज के बाहर एक पेड़ के नीचे आकर खड़ा हो गया।उसने जेब से फोटो निकालकर देखा।
यह फोटो उसे कानपुर वाली मौसी ने भेजा था।राजन के एम सी ए करते ही उसकी नौकरी लग गयी और वह आगरा आ गया था।हमारे यहाँ आज भी ऐसा ही होता है।लड़के की नोकरी लगते ही उसके लिए रिश्ते आने लगते हैं।
राजन के साथ भी ऐसा ही हुआ था।उसके नौकरी लगते ही लड़की वाले उसकी माँ के पास आने लगे थे।राजन की सरला मौसी कानपुर में रहती थी।उसकी जेठानी आगरा में रहती थी।जेठानी राधा की बेटी पारुल एम बी ए कर रही थी।राजन की माँ कानपुर गयी थी।तब सरला मौसी ने पारुल के रिश्ते की बात चलाई और पारुल का फोटो दिया था।माँ ने वह फोटो राजन को दे दिया था।
और आज राजन उसी फोटो को लेकर आया था।राजन आगरा गया तब माँ उसे फोटो देते हुए बोली,"तेरी मौसी की जेठानी की बेटी है।आगरा में ही है।लड़की देख लियो।"
माँ ने उसे लड़की के बारे में सब बता दिया था।राधा विजय नगर में रहती थी।पहले तो उसके मन मे आया वह पारुल को देखने के लिए राधा के घर ही चला जाये पर बाद में उसने इरादा बदल दिया।राजन ने पहले बिना परिचय दिए या घर जाए पारुल को देखने का निर्णय लिया और आज वह पारुल को देखने के इरादे से आया था।वह बाहर खड़ा होकर पारुल के निकलने का इंतजार करने लगा।लड़के लडकिया निकल रहे थे लेकिन पारुल अभी नही आई थी।
जब काफी देर हो गयी तो राजन के दिल मे ख्याल आया,"वह पारुल को देखने के इरादे से आया है।ऐसा न हो कही पारुल आयी न हो।
और यह बात मन मे आने पर उसने लौटने का निर्णय लिया।वह लौटता उससे पहले एक हीरो टाइप का लड़का आकर खड़ा हो गया।
राजन वापस लौटता उससे पहले ही गेट से बाहर पारुल आती दिखी।दूर से उसे देखते ही वह खुश हो गया।जैसी वह फोटो में दिख रही थी,उससे ज्यादा सुंदर थी।गेट से निकलते ही वह बाई तरफ चल दी।वह लड़का पारुल के पीछे हो लिया।राजन उस लड़के से फासला बनाकर चलने लगा।
"सुनो तो।"वह लड़का पारुल के बराबर में आ गया।
"मैंने कितनी बार मना किया है,मेरा पीछा मत करो।"
"छोड़ देंगे पीछा करना बस तुम हा कह दो।"
"ना ना तुम हजार बार पूछोगे तो भी ना ही निकलेगा।"
",मेरी नही हुई तो किसी और कि भी नही होने दूंगा।"
"धमकी दे रहे हो।"
"प्यार से समझा रहा हूँ।मेरी हो जाओ वरना
वरना तुम क्या करोगे?"
"तुम्हारे साथ वो करूंगा कि तुम किसी ओर को मुंह दिखाने के काबिल नही रहोगी
उसकी बात सुनकर भी पारुल नही बोली,तो उसने अपनी बात फिर दोहराई थी
"तुम चाहे जो करो।मेरी ना है
जब पारुल ने मना कर दिया तो उसने पारुल का हाथ पकड़ लिया।पारुल चिल्लाई।राजन उसके पास पहुँच कर बोला,"छोड़ो इसका हाथ
तू कौन है
"दिख नही रहा आदमी हूँ।हाथ छोड़ दे
"नही छोडूंगा।क्या करेगा
"ये देख क्या करूँगा
राजन ने एक घुसा मारा था
"मुझे मरेगा
औऱ राजन ने इतना मारा की वह माफी मांगने लगा
"अब कभी करेगा
"नही
"माफी मांग इनसे
और जैसे तैसे वह जान बचाकर भागा था
"थेँक्यु--पारुल बोली,"आज आप न होते तो
"ये तो मेरा फर्ज था।चलिए आपको घर छोड़ दु
"मैं चली जाउंगी
"अरे नही।इस बहाने आपके हाथ की एक कप चाय तो मिलेगी
और वे बाते करते हुए चलते रहे
"आप मेरे बारे मैं ही पूछ रहे है अपने बारे में तो बताया नही
"बस एक आम आदमी हूँ।आपके शहर में अभी नया हूँ
"ली
ओ घर आ गया--पारुल बोली थी।पारुल उसे अंदर ले गयी थी।
"मम्मी--पारुल ने आवाज लगाई थी।राधा कमरे में आते हुए बोली,"तू आ गयी
राजन को देखकर बोली,"यह कौन है
"माँ अगर आज ये नही होते तो
पारुल ने अपनी माँ को पूरी बात बताई थी।
"बेटा--राधा ने बहुत धन्याद दिया था।
"बेटा तुम्हारा नाम क्या है
"राजन
"नाम तो जाना सा लग रहा है
"मैं सरलामौसी का
"अरे तुम
"मौसी ने पारुल का फोटो भेजा था।मैं उसे देखने ही मे गया था।"
"पारुल,"राधा ने बेटी को आवाज लगाई थी
"हा मम्मी
"जानती हो ये कौन है
"नही
" तेरी सरला चाची के मौसी का बेटा राजन।मैंने सरला से फोटो भेजने के लिए कहा था।और तुम खुद ही आ गए।इसी से तेरे रिश्ते की बात
पारुल माँ की बात सुनकर शरमा कर भाग गई
"तुम बेठो ।मैं चाय बनाकर लायी
चाय पीकर जाते समय राजन पारुल को अपना नम्बर देते हुए बोला,"कोई भी तुम्हे परेशान करे तो मुझे फोन कर देना