Bunch of Stories - 9 in Hindi Motivational Stories by Devaki Ďěvjěěţ Singh books and stories PDF | Bunch of Stories - 9 - दोस्ताना

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Bunch of Stories - 9 - दोस्ताना

🕉☪️🕉तू हिंदू ,मैं मुसलमान ☪️🕉☪️
🇮🇳हम दोनों का दोस्ताना हर धर्म से हैं महान 🇮🇳

❤️❤️👏👏👏👏👏👏👏👏👏❤️❤️

अल्फाज और संस्कार की मुलाकात आठवीं कक्षा में हुई थी l तभी से वे दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे l उन दोनों का उठना बैठना, खेलना, घूमना सब साथ में ही होता था l उनकी दोस्ती से उनके परिवार को भी कोई ऐतराज नहीं था l

अल्फाज के कुछ मुस्लिम दोस्त उसे संस्कार के खिलाफ भड़काते थे लेकिन अल्फाज को उनकी किसी बात से कोई फर्क़ नहीं पड़ता था बल्कि वह उल्टा उनको धमका देता " खबरदार! अगर तुमने मेरे दोस्त को कुछ बोला, या कोई छेड़खानी की तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा " l इसी तरह संस्कार भी अपने हिंदू दोस्तों को डपट देता l

धीरे-धीरे उनके बदमाश दोस्त भी समझ गए की उनकी दोस्ती में फूट डालना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है तो वे लोग भी अब उनकी दोस्ती के बीच नहीं पड़ते l

संस्कार और अल्फाज का दोस्ताना पूरे स्कूल में बहुत ही मशहूर था l यहाँ तक की उनके अध्यापक भी उनकी दोस्ती की मिशाल दूसरे बच्चों के सामने पेश करते थे, जो हिंदू मुस्लिम के नाम पर झगड़ा करते थे l

वक़्त गुजरता गया दोनों स्कूल से कॉलेज में पहुंच गए, अब भी दोनों की दोस्ती वैसे ही अटूट थी l

एक बार की बात है ,दोनों दोस्त मेले में घूमने गए थे, जहाँ पर अचानक हिंदू मुस्लिम गुटों में किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया और झगड़े ने दंगे का रूप ले लिया l सब कोई अपनी जान बचाने को इधर उधर भाग रहे थे l इसी भीड़ में यह दोनों दोस्त बिछड़ गए l

और इसी दंगे में संस्कार मुस्लिम गुट के हाथों में पड़ गया, जिसकी खबर अल्फाज को अपने एक परिचित से मिली जो उस गुट में शामिल था ,और उसे अल्फाज और संस्कार की दोस्ती के बारे में पता था l

उस परिचित की बातें सुनकर, अल्फाज खुद को बचता बचाता हुआ वहां पहुंचा जहां वे संस्कार को पीटने में लगे थे l वहां उसने मुस्लिम गुट के लोगों से उसे छोड़ देने की गुहार लगाई पर वे सुनने को तैयार नहीं थे, वो उसे पीटने में लगे थे संस्कार को बचाने के लिए वह उसके शरीर से लिपट गया और बोला- " मेरे दोस्त को छोड़ दो या मुझे भी इसके साथ ही मार दो " l
अल्फाज, अपने दोस्त को बचाने के लिए अपने ही धर्म भाइयों से लड़ने मरने को तैयार हो गया l

उसका यह दोस्ताना देखकर ,उस गुट का नेता बोला- "तेरे दोस्ताना को हमारा सलाम 🙏🙏
ले जा ,अपने दोस्त को छुपते छुपाते , किसी और गुट के हत्थे नहीं पड़ना, हमनें तो छोड़ दिया पर कोई और नहीं छोड़ेगा , और हाँ ध्यान रखना, यहाँ जो कुछ भी हुआ इस बात की खबर बाहर नहीं निकलनी चाहिए "
अल्फाज उनसे वादा करता हैं और अपने दोस्त को छुपते छुपाते लेकर अस्पताल पहुंचता है और दंगे शांत होने तक अपने दोस्त का छुप छुपाकर अस्पताल में इलाज करवाता है और खुद ही उसकी देखभाल भी करता हैं l

वह अपने और संस्कार के घरवालों को उनके सुरक्षित होने की खबर करता हैं और सारी घटना की जानकारी देता है, जिसे सुनकर संस्कार के माता-पिता उसका बहुत आभार व्यक्त करते हैं l

इस घटना के बाद अल्फाज और संस्कार की दोस्ती की चमक और भी बढ़ जाती हैं l अल्फाज ने साबित कर दिया था कि उन दोनों का दोस्ताना धर्म से ऊपर हैं दोनों दोस्त एक दूसरे से वादा करते हैं जब तक जिएंगे साथ जियेंगे, और मरेंगे तो साथ मरेंगे l

✍️🌹देवकी सिंह 🌹