Kala Jaadu - 4 in Hindi Thriller by roma books and stories PDF | काला जादू - 4

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काला जादू - 4

काला जादू ( 4 )

यह सुनकर अश्विन कुछ देर के लिए बिल्कुल शाँत रहा वह कभी विंशती को तो कभी उसके साथ आए लड़के को देखता।

" क्या हुआ दादा? " प्रशांत ने पूछा।

" तुम लोग ज्यादा जल्दी नहीं कर रहे? आई मीन अभी तो बहुत छोटी है विंशती...... "अश्विन ने कहा।

" दादा..... अभी शादी थोड़ी कोरवाया है.... शादी तो पोढ़ाई खत्म होने के बाद ही कोरवाएगा दोनों का..... अभी तो खाली इंगेजमेंट करवाया है.... " प्रशांत ने काॅफी का एक सिप लेते हुए कहा।

" बट फिर भी यार...... इन दोनों को अभी से साथ में नहीं घूमना चाहिए.... आई मीन लोग तरह तरह की बातें करने लगते हैं ना...... " अश्विन ने कहा।

यह सुनकर विंशती अश्विन को घूरने लगी लेकिन प्रशांत के सामने कुछ कह ना सकी।

यह सुनकर प्रशांत कुछ सोचने लगा, फिर कुछ देर बाद उसने कहा " तुम सही कह रहा है दादा ..... विंशती तुम अब से अभिमन्नो के साथ आना जाना थोड़ा कोम कर देना ......"

" जी दादा..... किंतु हमें शोमाज का फिक्र थोड़ी कोरना चाहिए , वो लोग होमारा शुख दुःख में साथ थोड़ी देता हैं....."

विंशती की बात बीच में काटते हुए प्रशांत ने कहा " देखो विंशती, हम नहीं चाहेगा कि कोई भी होमारा बहन पर उँगली भी उठाये ,इसलिए तुम होने वाला जोमाई के शाथे आना जाना थोड़ा कोम ही करो..... "

" दादा ठीक ही तो बोलेछिलो विंशती...... और वैशा भी वह पूरी तरह से भी मिलने से थोड़ी मोना कोर रहा हैं.... " अभिमन्यु ने कहा।

" और नहीं तो क्या, यहाँ घर पर सबके साथ मिलो जुलो कौन रोक रहा है लेकिन घर की मर्यादा का भी तो ख्याल रखो..... " अश्विन ने कहा।

यह सुनकर विंशती कुछ बोल ना सकी और चुपचाप वहाँ से चली गई ।

" अरे विंशती बात तो शुनो..... " कहते हुए अभिमन्यु भी उसके पीछे पीछे चला गया।

अभिमन्यु और विंशती के जाने के बाद अश्विन ने प्रशांत से पूछा " क्या इन दोनों की लव मैरिज होगी? "

" हाँ .....ये दोनों कॉलेज में साथ पोढ़ता है , अभिमन्नो हमारे ही बिरादरी का है इसलिए सब मान भी गया.... "

" अच्छा..... वैसे आप कौन सी बिरादरी से हैं? "

" हम बंगाली ब्राह्मण हैं.... " प्रशांत ने संक्षिप्त सा उत्तर दिया।

" सुना है कि ब्राह्मण लोग अपने नियमों के बहुत कठोर होते हैं.... " अश्विन ने पूछा।

" हाँ जी..... हम किशी भी कीमोत पर ओपना बिड़ादरी से बाहर ब्याह नहीं कोरता है और ना ही कोरने देता है, अभिमन्नो हमारा ही बिड़ादरी का है इसलिए उन दोनों का शादी हो सकता है.... "

" लेकिन प्रशांत विंशती को तो सुनने में भी दिक्कत है ना तो ऐसे में उसे कोई अच्छा लड़का मिले यही बड़ी बात होगी ना? "

" हम ये सोब नहीं जानता है..... हमारा लिए हमारी बिड़ादरी में हमारा मान मोर्यादा भी कुछ मायने रखता है दादा..... अभी हम ब्राह्मण है , बाकि का लोग हमसे ही तो सीखेगा ना ? जो हम ही अपना बनाया नियम तोड़ेगा तो बाकि का लोग भी तो यही करेगा ना? " प्रशांत ने कहा।

" मैं पूरी तरह से आपसे सहमत हूँ..... हमारे पूर्वजों ने कुछ सोच समझ कर ही तो यह नियम बनाए होंगे ना..... "

" तुम सही कहता है..... " प्रशांत ने मुस्कुराते हुए कहा।

" अरे! बहुत समय हो गया आज तो.... मुझे घर जाकर मेरी माँ को फोन भी करना था....अच्छा तो मैं चलता हूँ.... "

" ठीक है दादा.... "

उसके बाद अश्विन वापस अपने फ्लैट की तरफ जाने लगा, वह प्रशांत के फ्लैट से निकलकर अपने फ्लैट के दरवाजे तक पहुँचा ही था कि तभी पीछे से विंशती वहाँ आ गई और बोली " आपको क्या प्राब्लम थी हाँ जो आपने दादा का कान भरा ? हम चुप नहीं बैठेगा इशका बोदला लेगा आपशे......" यह कहते समय उसके चेहरे पर आक्रोश साफ दिखाई दे रहा था।

" देखो विंशती इस तरह शादी से पहले तुम दोनों का अकेले घूमना सही नहीं है..... क्या तुम चाहती हो कि तुम्हारी वजह से तुम्हारे घरवालों को कुछ सुनना पड़े? "

अश्विन की इस बात से विंशती सोच में पड़ गई और वह बिना कुछ कहे वापस अपने फ्लैट की तरफ बढ़ गई।

अश्विन उसे जाता देखता रहा और उसके जाने के बाद वह भी अपने फ्लैट में वापस आ गया।

_____________________

अश्विन खाना खाकर आज जल्दी सोने की कोशिश करने लगा, लेकिन किसी कारणवश उसकी नींद उड़ गई थी, वह कुछ कुछ देर में करवट बदल रहा था।

जब काफी देर तक भी उसे नींद नहीं आई तो वह उठकर बाल्कनी में चला गया, वहाँ जाकर वह खुली हवा में टहल ही रहा था कि तभी उसकी नजर विंशती की बाल्कनी पर पड़ी।

उस समय वहाँ कोई नहीं था, वहाँ था तो केवल अंधेरा.... रात होने के कारण वहाँ काफी सन्नाटा भी पसरा हुआ था, इस चाँदनी रात में ठंडी ठंडी हवा के थपेड़े भी अश्विन को पड़ रहे थे, अश्विन इस हवा का लुत्फ ना लेते हुए लगातार विंशती की बाल्कनी की ओर देख रहा था, फिर कुछ देर बाद वह वापस अपने कमरे में चला आया।

उसे नींद तो आ ही नहीं रही थी इसलिए वह मन बहलाने के लिए अपने मोबाइल पर यूटुब में वीडियो देखने लगा, कुछ देर बाद वह अपने मोबाइल पर पैरानाॅर्मल विडियोज़ देखने लगा।

अश्विन वैसे तो इन सबमें विश्वास रखने वाला शख्स नहीं था लेकिन वह विडियोज़ देखने के बाद अश्विन के मन में इसके बारे में और जानने की जिज्ञासा बढ़ने लगी थी।

उसी विषय में सोचते सोचते उसे नींद कब आई उसे पता ही नहीं चला....

_________________

अगले दिन अश्विन किसी होटल में नाश्ता करके आॅटो से अपने आॅफिस पहुँचा।

अश्विन ने आज पीली कमीज के साथ नीली जींस पहनी हुई थी जो कि उसपर काफी फब रही थी।

आॅफिस के गेट पर एन्ट्री कर वह लिफ्ट के पास पहुँचा, वहाँ उसने लिफ्ट का बटन दबाया ही था कि तभी पीछे से अनुष्का, पीयूष और मनीष वहाँ आ गए और उन्होंने एक साथ कहा " गुड मॉर्निंग सर..... "

अश्विन ने पीछे पलट कर एक नजर उन तीनों को देखा , अनुष्का ने गुलाबी शर्ट के साथ नीली जींस पहनी हुई थी , पीयूष ने सफेद टीशर्ट के साथ काली जींस पहनी हुई थी और मनीष ने नीली शर्ट के साथ काली पतलून पहनी हुई थी, वह तीनों ही उसे देखकर मुस्कुरा रहे थे, उन्हें देखकर अश्विन ने कहा " गुड मॉर्निंग..... " उसके बाद वह वापस सामने की तरफ देखने लगता है।

"कैशै हो सार आप..... " अनुष्का ने मुस्कुराते हुए कहा।

" ठीक हूँ.... " अश्विन ने संक्षिप्त सा उत्तर दिया, अब लिफ्ट आ चुकी थी, लिफ्ट आते ही अश्विन उसमें बढ़ जाता है, अश्विन के पीछे पीछे वह तीनों भी उस लिफ्ट में आ जाते हैं, वह तीनों उस लिफ्ट में आकर अश्विन के सामने की दिशा में खड़े हो जाते हैं।

वह तीनों नजरे नीची करके अश्विन को ही देख रहे थे और अश्विन सामने से उन्हें । तभी पीयूष ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा " सार आप सिगरेट पीएगा? "

" मैं सिगरेट नहीं पीता.... " अश्विन ने उसे घूरते हुए कहा।

" आप मजाक कार रहा है ना सर..... " मनीष ने कहा।

" तुम क्या मेरे मामा के लड़के हो जो मैं तुम्हारे साथ मजाक करूँगा.... " यह कहते वक्त अश्विन के चेहरे के भाव बिल्कुल सामान्य थे।

यह सुनकर वह तीनों ही चुप हो गए, अब लिफ्ट तीसरे फ्लाॅर पर आकर रूकी थी , लिफ्ट का दरवाजा खुलते ही अश्विन ने पाया कि सामने बहुत से लोग थे जिनमें से कई 50 की उम्र के पार लग रहे थे।

यह देखकर अश्विन लिफ्ट से बाहर आ गया और सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया।

यह देखकर वह तीनों एक दूसरे का मुँह तांकने लगते हैं ।

अश्विन सीढ़ियों से ही 6 th फ्लाॅर तक आ गया ,फिट होने के कारण उसे इसमें कोई समस्या भी नहीं हुई , वहाँ आकर उसने रजिस्टर में अपनी एन्ट्री की और फिर सीधे आकर अपने कैबिन में बैठ गया।

अब तक वह तीनों भी अपनी अपनी जगह पर आकर बैठ चुके थे , अश्विन को कैबिन में जाता देख वह तीनों उसे घूरने लगते हैं, उसके कैबिन में जाने के अनुष्का कहती है " सोर कितना कूल है ना..... "

" हाँ यार ....वो आगर मेरा बहिन से ब्याह कोर ले तो कितना ओच्छा होगा ना....... " मनीष ने कहा।

यह सुनकर अनुष्का बोली " तुम्हारा बहिन का शादी तुम किसी और शे कराना क्योंकि आश्विन सर को तो हम बहुत पोशंद कोरता है सो ही इज माइन.... समझा तुम? "


" लेकिन आश्विन सोर तुमको पोशंद थोड़ी करता है ...." मनीष ने हँसकर कहा।

" तुमको ऐशा क्यों लोगता है? " अनुष्का ने मनीष को आँखें दिखाते हुए कहा।

" क्योंकि तुम्हारा जैशा लोड़की को आश्विन सोर जैसा भालो मानुष कोभी पोशंद नहीं कोर सकता..... " मनीष के इतना कहते ही अनुष्का ने उसे एक थप्पड़ जड़ दिया।

वह थप्पड़ पड़ने के बाद मनीष को बहुत गुस्सा आया और उसने भी गुस्से में अनुष्का को एक थप्पड़ मार दिया ।

प्राकृतिक रूप से पुरूषों में महिलाओं की अपेक्षा अधिक शारिरीक बल होता है ,इसी कारण अनुष्का के थप्पड़ से मनीष को तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ा लेकिन मनीष का वह थप्पड़ अनुष्का को इतनी जोर से पड़ा कि वह मुँह के बल कंप्यूटर सिस्टम के ऊपर जा गिरी और उसके नाक पर चोट लग गई।

उन दोनों की हाथापाई के कारण अब सारा स्टाफ ही वहाँ इकट्ठा होने लगा था, उन दोनों को लड़ता देखकर अश्विन भी वहाँ आ गया और उनपर चिल्लाते हुए कहा " तुम दोनों पागल तो नहीं हो गए? "

अश्विन और बाकि के स्टाफ को वहाँ देखकर उन दोनों को अंदाज़ा हुआ कि उन्होंने कितनी बड़ी गलती कर दी थी अब शायद आॅफिस में इस तरह हाथापाई करने के लिए उन दोनों की नौकरी जा सकती थी।

इस दौरान अनुष्का कंप्यूटर सिस्टम पर ही थी अश्विन की आवाज़ सुनकर अनुष्का घबराते हुए कंप्यूटर सिस्टम पर से उठी और कहा " सससाॅरररररी सोर.... "

इस दौरान अश्विन ने पाया कि अनुष्का के नाक से काफी खून बह रहा था , यह देखकर वह मनीष पर भड़कते हुए बोला " ये सब क्या है? "

सबने अश्विन को आज पहली बार इतने गुस्से में देखा था इसीलिए उसका ये रूप देखकर सारे आॅफिस के कर्मचारी सहम से गए।

इस पर मनीष सहम कर बोला " ओनुष्का ने शुरू किया था सोर...... "

" अगर अनुष्का ने तुम्हें पहले मारा भी था तो तुम भी उसे हल्के से ही मारते.....इतनी जोर से मारने की क्या जरूरत थी? " अब अश्विन ने गुस्से में कहा।

यह सुनकर मनीष बहुत डर गया लेकिन फिर उसने हिम्मत जुटा कर कहा " माना सोर कि मुझे ओनुष्का को मारना नहीं चाहिए था बट उसने मुझे पहले क्यों मारा? अगर वो मुझे पहले नहीं मारता तो हम भी नहीं मारता उसे..... "

" अनुष्का..... तुमने इसे क्यों मारा? "अश्विन ने अनुष्का से पूछा।

" सर.... वो..... " अनुष्का हिचकिचाते हुए बोली कि तभी " पीयूष तुम बताओ कि बात क्या है? " अश्विन ने अनुष्का की बात बीच में काटते हुए पीयूष से पूछा।

पीयूष ने कहा " सोर वो ओनुष्का एक लोड़के को पोशंद कोरता है लेकिन मोनीष बोलेछि कि वो उस लोड़के का शादी अपना बहिन से करवाएगा क्योंकि ओनुष्का ओच्छा लोड़की नोई है ....."

यह सुनकर अश्विन ने कहा " तुम्हें शर्म नहीं आती अपनी दोस्त को ऐसा बोलते हुए? "

" हम तो मोजाक कर रहा था..... " मनीष ने कहा।

" किसी लड़की के बारे में ऐसा बोलना कि वह एक अच्छी लड़की नहीं है तुम्हारे लिए मजाक की बात है?...... यही बात तुम्हारी बहन के बारे में कोई बोले तो?........ दूसरों की बहन बेटी को उतना ही बोलो जितना खुद की बहन बेटी के बारे में सुन पाओ...... " यह सुनकर मनीष ने अपनी आँखें झुका ली फिर अश्विन ने आगे कहा " तुमने पहले अनुष्का के बारे में उल्टा सीधा कहा और जब उसने इसका विरोध किया तो तुमने उसे मारा भी...... मैं तुम्हें ऐसे नहीं छोड़ सकता..... अगर आज तुम्हें ऐसे छोड़ दिया तो बाकि भी तुमसे यही सीखेंगे इसलिए मैं इसकी शिकायत एम डी से करूँगा...... और अनुष्का ( अनुष्का की तरफ मुड़कर ) तुम अभी डाॅक्टर के पास जाकर अपना ट्रीटमेंट करवाओ और आज छुट्टी लेकर आराम करो । "

क्रमश:.......
रोमा..........