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पुलिस स्टेशन
वह पुलिस स्टेशन में बैठा, पुलिस की दीवारों पर महात्मा गांधी, भीम रॉव अम्बेडकर और गंगाधर तिलक की तस्वीरों को लगातार देखा जा रहा है। उसकी पलकें झपक ही नहीं रहीं है। उसके मुरझाए हुए चेहरे पर असीम उदासी और भूरी आँखों में एक खालीपन है जो उसे उसकी उम्र से ज़्यादा बड़ा बना रहा है। दो कांस्टेबल उसे देखते हुए आपस में फुसफुसाने लगते है--
यार ! यह छोकरा रोज़ आ जाता है। बड़े साहब ने देख लिया तो गुस्सा करेंगे ।
तू सही कह रहा हैं, इसे साहब के आने से पहले भगा देते हैं।
एक कांस्टेबल हरिलाल ने अपनी मूँछे ठीक की और दोनों सधे हुए कदमों से उसके पास गए और दूसरे कांस्टेबल रूपम ने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा--
बेटा जी, स्कूल ड्रेस बदलकर, आराम से खा-पीकर आ जाते। उसने उसकी तरफ़ नज़र घुमाई पर कहा कुछ नहीं। रूपम ने हरिलाल को ईशारा किया और अब वह अपना गला ठीक करते हुए बोला--
साहब ने बताया तो था जैसे ही कुछ पता चलेगा हम तुम्हें बता देंगे। अब तन्मय से रहा नहीं गया और वह बोल पड़ा--
मुझे सर से बात करनी है। फिर उस बैंच से उठकर वह दूसरी बैंच पर बैठ गया । दोनों ने मुँह बनाया और स्टेशन से बाहर निकल गए।
यार ! यह लड़का तो मरवाएगा, आज बड़े साहब हम दोनों का ट्रांसफर कर देंगे।
पता नहीं, इसका बाप इस पर लगाम क्यों नहीं लगाता।
अपनी बीवी पर तो उससे लग़ाम नहीं लगाई गई, तभी तो यह नौबत आ गई है।
भाग गईं होगी, किसी के साथ। हरिलाल ने मुँह में पान डालते हुए कहा। अब रूपम भी बीड़ी सुलगाने लगा। उसके मुँह से धुआँ निकला और आवाज़ भी। कुछ भी कहो, इसकी माँ है, बड़ी ख़ूबसूरत । पक्का कहीं और आशिकी कर रहीं होगी।
अच्छा तो इसका बाप भी लगता है। हो सकता है, उसका भी कहीं चक्कर हो और उसने ही उसे रास्ते से हटा दिया हों।
धीरे बोल! सुन लेगा तो यहीं रोना-धोना मचा देगा। तभी हरिलाल की नज़र जीप से उतरते इंस्पेक्टर रुद्राक्ष पर पड़ी तो उन दोनों ने जल्दी से मुँह से पान और बीड़ी को निकाला और सीधे खड़े हो गए। रुद्राक्ष लगभग 36-37 साल का होगा, उसका लम्बा कद, साँवला रंग है। साथ ही चेहरे थोड़ी दाढ़ी से ढका हुआ है। वह आँखो में शेड्स लगाए , उनकी तरफ़ चला आ रहा है। पास पहुँचते ही उन दोनों ने रुद्राक्ष को सलाम किया। जैसे ही वह अंदर जाने लगा, हरिलाल ने उसे रोकते हुए कहा, साहब, वो छोकरा अंदर बैठा है। रुद्राक्ष ने दोनों को घूरा तो उन्होंने मुँह नीचे कर लिया और रुद्राक्ष गहरी सांस छोड़ते हुए पुलिस स्टेशन के अंदर घुसा। उसने आँखों से अपने शेड्स उतारे । उसे देखते ही वह चहकते हुए उसके पास पहुँच गया। रुद्राक्ष ने प्यार से उसके गालों पर हाथ फेरा और उसके सामने रखी कुर्सी पर बैठ गया। उसके बैठते ही तन्मय बोला, अंकल कुछ पता चला?
उसने उसे मुस्कुराते हुए देखा,
तन्मय, हम कोशिश कर रहें है।
यह सुनकर उसके मन में जगी उम्मीद की किरण पानी के बुलबुले की तरह बुझ गई। उसने मुँह लटकाते हुए कहा, अंकल आप रोज़ यहीं कहते है।
बेटा आप भी रोज़ एक सवाल पूछते हों,. आप हमें थोड़ा टाइम दो, हम आपकी मम्मी को ढूंढ़ने में लगे हुए हैं।
पर एक महीना बीता गया है।
कम टाइम बीता है । अब उसने उसे समझाने के लहज़े से बोलना शुरू किया, देखो! ऐसे बहुत से लोग है, जिनके परिवारवाले कई सालों से मिसिंग है और हम जब उन सबको ढूँढते है तो तुम्हारी मम्मी को भी ढूँढ लेंगे। तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगाओ और रोज़-रोज़ यहाँ मत आया करो। जैसे ही कुछ पता चलता है,. वैसे ही तुम्हारे पापा को फ़ोन कर देंगे।
तीन महीने बाद मेरा बर्थडे है, क्या तब तक मेरी मम्मी आ जाएगी।
उसने गहरी सांस ली और कुछ सोचते हुए पूछा, कितने साल के होने वाले हों?
सोलह साल का होने वाला हूँ,
फ़िर तो तुम इतने बड़े हो गए हों कि मेरी यह बात समझ सकते हो कि तुम्हारी मम्मी की तलाश ज़ारी है। हमारी पूरी कोशिश रहेंगीं कि वह तुम्हारे बर्थडे पर तुम्हारे साथ हों। अब अपने घर जाओ और आराम करो, उसने उस पर एक नज़र डाली और तन्मय समझ गया कि उसे पुलिस स्टेशन में कल से न आने की हिदायत दी जा रहीं है। तन्मय ने सिर झुका लिया और पास खड़े हरिलाल और रूपम को देखा, जो हल्के से मुस्कुरा रहें है। रुद्राक्ष ने फ़िर दोनों को ईशारा किया। वह जब उसे छोड़ने के लिए उसके साथ जाने लगे तो उसने हाथ झटककर मना कर दिया और वह उन तीनों को घूरता हुआ स्टेशन से बाहर निकला गया।
सर, बच्चा बुरा मान गया।
क्या कर सकते हैं, समझाना भी जरूरी था।
सर एक बात नोटिस की आपने ?
क्या? उसने फाइल से नज़रे हटाते हुए उसकी तरफ़ देखा ।
इसका बाप तो बस तीन-चार आया है और यह एक महीने से आ रहा है।
नैना इसकी माँ है और उसकी बीवी। अब रूपम भी बोल पड़ा।
उस पति को अपनी पत्नी की कितनी चिंता है, यह चिंतन का विषय है। रुद्राक्ष कुर्सी पर सिर टिकाकर बोला। मिस्टर अभिमन्यु, आपसे दोबारा मुलाक़ात करनी ही पड़ेगी। तभी उसने एक फ़ोन घुमाया और वहाँ से आवाज़ आई, हैल्लो !
मिस्टर अभिमन्यु, कहाँ है आप ? मैं इंस्पेक्टर रुद्राक्ष बोल रहा हूँ।
सर, नैना के बारे में पता चला?
इसी सिलसिले में आपसे मिलना चाह रहें है।
सर, मैं अभी अपने मॉल में हूँ, आप चाहे तो यहाँ आ सकते हैं।
ओके । यह कहकर उसने फ़ोन रख दिया। मगर अभिमन्यु सोचने लग गया, लगता है, कुछ गंभीर मामला है फिर कुछ सोचते हुए उसके चेहरे पर पसीने की बूंदे दिखाई देने लगी। सर, सब ठीक तो है? उसके मैनेजर अविनाश ने पूछा ।
इंस्पेक्टर अभिमन्यु मिलना चाह रहें है।
सर हो सकता है कि मैम के बारे में कुछ सुराग मिला हो।
हाँ, हो सकता है। उसने पास रखा पानी पिया और अपने केबिन में जाते हुए बोला, तुम कस्टमर सम्भालो, मैं अपने रूम में हो।
सर को क्या हो गया ? साथ काम करने वाली पल्लवी भी बोल पड़ी।
पता नहीं, इंस्पेक्टर आ रहा है।
तो यह क्यों घबरा रहें हैं ? इन्होंने कौन सा कुछ किया है।
पल्लवी, हर घर अपनी कहानी कहता है और क्या पता कि इस कहानी के विलेन यहीं हो। पल्लवी यह सुनकर हैरान हो गई ।
अभिमन्यु सर ऐसा नहीं कर सकते। मुझे यकीन है।
तुम अपना काम करो और इंस्पेक्टर को पता करने दो।
अभिमन्यु ने केबिन में पहुँचकर किसी को फ़ोन घुमाया और काँपती आवाज़ में बोला,
इंस्पेक्टर नैना के बारे में बात करने आ रहा है, लगता है, उसे कुछ पता चल गया है ।