Ek add Aurat - 4 in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | एक अदद औरत - 4

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एक अदद औरत - 4

उसने फिर से एक बार किराए पर मकान ले लिया था।अब एक बार फिर उसकी दिनचर्या में एक बार फिर परिवर्तन आया था।
पहले वह स्टेशन पर ही रहता था।लेकिन मकान लेने के बाद वह रात को ट्राली को नौकर के हवाले करके घर चला जाता था।तारा ,कमला का ख्याल रखता था।उसके लिए नए नए कपड़े लाता और उसके खाने पीने का पूरा ख्याल रखता।
कमला तारा की ब्याहता नही थी।लेकिन तारा ने उसे ब्याहता का दर्जा दे दिया था। इसलिए वह भी पतिव्रता नारी की तरह तारा का पूरा ख्याल रखती थी।
तारा मझले कद और सुडौल शरीर का हुष्ट पुष्ट जवान था।उसे कसरत और पहलवानी करने का बहुत शौक था।इसलिए उसका शरीर साधा हुआ और बलिष्ठ था। और सीना चौड़ा था।
रात के एकांत क्षणों में जब तारा,कमला के नग्न शरीर पर उंगलियां फेरता तो उसके बदन के तार झनझना उठते।उसका रोम रोम पुलकित हो जाता।वह उसके नग्न जिस्म को चूमता,चाटता,उसके अंग प्रत्यंगों को सहलाता।उसको दबोचता,झिंझोड़ता।मर्द के नग्न जिस्म की तपिश और छेड़छाड़ उसको उतेजित कर देती।तारा उसके जिस्म से चिपक जाता।दो जिस्म मिलकर एक हो जाते।वह काम यात्रा शुरू करता लेकिन मंजिल तक पहुचने से पहले ही उसका साथ छोड़ देता।वह रक तरफ पड़कर सो जाता लेकिन कम पिपासा अधूरी रह जाने पर कमला पूरी रात प्यासी तड़पती रहती।बिन पानी की मछली की तरह फड़फड़ाती रहती।
क्या नारी का जन्म उसलिये ही हुआ है कि वह मर्द की इच्छा ही पूरी करे।क्या उसकी कोई कामना या इच्छा नही है।इसके अलावा एक प्रश्न मन मे और उठा।तारा उसकी काम वासना जाग्रत कर देता है।उसके साथ सेक्स की यात्रा भी शुरू कर देता है लेकिन बीच सफर में ही क्यो छोड़ देता है।क्यो उसे मंजिल तक नही ले जा पाता।क्यो उसे सन्तुष्ट नही कर पाता।
उसके मन मे तारा के एकांत क्षणों के उसके व्यवहार ने उसके मन मे सन्देह का बीज अंकुरित कर दिया।तारा रोज रात को कमला को निर्वस्त्र करता।उसके शरीर को चूमता।उसके जिस्म से छेड़छाड़ करता।उसको उतेजित तो कर देता लेकिन उसकी प्यास को बुझा नही पाता।उसे पूर्ण सुख नहीं दे पाता था।
तारा कि रोज रात को होने वाली हरकते उसके सन्देह को मजबूती प्रदान करती गयी।
तारा रोज सुबह जल्दी स्टेशन चला जाता था।उसके जाने के बाद कमला घर का काम निपटाती।फिर नहाकर खाना बनाती।फिर टिफिन लगाकर स्टेशन ले जाती।स्टेशन पर तारा और कमला एक साथ बैठकर खाना खाते।कमला स्टेशन से शाम को वापस आती थी।दिन में वह स्टेशन पर ही रहती थी।
एक दिन कमला स्टेशन पर ही थी।तारा के कुछ स्टेशन के साथी बैठे आपस मे हंसी मजाक कर रहे थे।पहले वे जोर जोर से बाते कर रहे थे।फिर धीरे धीरे बाते करने लगे ।
तभी कमला के कानों में उनकी फुसफुसाहट सुनाई पड़ी,"साला नामर्द।दिखाने का शरीर है।दम है जो औरत रखेगा।अरे औरत की भूख मिटाने की ताकत चाहिए।पहले भी तीन औरते छोड़ के भाग गई है।कमला भी चली जायेगी।"
कमला को सन्देह हुआ था तारा नामर्द तो नही।और उसके साथियों की फुस फसाहत ने उसके मन मे उपजे सन्देह को यकीन में बदल दिया था।
मानव की सबसे पहली भूख होती है पेट की।पेट भरने से ही आदमी जिंदा रहता है।पेट भरा हो तो शरीर की भूख जगती है