Bharosa - 6 in Hindi Fiction Stories by Gajendra Kudmate books and stories PDF | भरोसा - भाग 6

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भरोसा - भाग 6

भाग – ६
सुबह सुबह चिडिया कि आवाज से चाची कि निंद खुली तब तक बुधिया भी उठ गयी थी. दोनों ने ब्रश कर लिया था और अब दोनों को चाय कि तलब लग रही थी. तब चाची बोली, “ बेटी सुबह के चाय कि बहोत तलब उठ रही है.” तभी बुधिया बोली, “ हा चाची, तलब तो मुझे भी लगी है, लेकीन क्या करे हम दुसरे के घर पर है. अपने घर पर होते तो क्या मै तुम्हे कुछ बोलने देती.” तभी पीछे से ममता कि आवाज आयी, “ मां जी मै भी आपको कुछ बोलने कहा दुंगी.” कहकर ममता ने दोनों के लिये दो कप चाय लाकर दि. चाचीने भी दिल से ममता को आशीर्वाद दिया, “सदा सुखी और खुश रहो बेटी.” फिर ममता ने पुछा, “ आप क्या खायेंगी.” तब चाचीने कहा, “ बेटी कल रात को मेरे बेटी कि इज्जत और मेरी जान बचाकर तुमने जो अहसान किया है मुझपर उसका बदला मै कैसे चुकाउंगी यह मै भी नही जानती. तू जो भी बनायेगी वह खा लेंगे हम तू चिंता मत कर.” तभी बुधिया बोली, “ दिदी, कुछ काम दो ना बैठे बैठे सुस्ती आ रही है. कहो तो मै आंगन झाड दु, या बर्तन मांज दु, या फिर कपडे हि धोकर दु.” ममता बोली , “ अरे बुधिया तू मेरे घर में आयी है, इस हि बहाने थोडा आराम कर, तू एक काम कर चिंकी के साथ थोडा देर खेल ताकी मै घरका काम कर सकू. तुम तो जानती हो ना वह सवालो कि एक बडी किताब है. उसके सवालो के जवाब देते देते मेरी सारी शक्ती कम होने लगती है.” कहते कहते सभी जोर से हसते है. तभी बुधिया कहती है, “ हा दीदी वह तो है लेकीन सच में बहोत प्यारी है तुम्हारी गुडिया. कहा है प्यारी सी गुडिया ” ममता बोली, “ है अपने कमरे में खिलोनो को सवाल पूछते हुये. चलो मै आप दोनो को उसके कमरे में छोड देती हुं.”
ममता दोनों को लेकर चिंकी के कमरे में जाती है. दरवाजा खोलकर देखते है तो चिंकी ने खिलोनो कि दुकान खोलकर रखी हुई है. वह अभी फिलहाल में डॉक्टर बनी हुई है और पेशंट को चेक कर रही है. चाची और बुधिया को देखकर चिंकी बोलती है, “ अरे वाह, हमारे दवाखाने में आज दो नये पेशंट आये है गुडिया, मै जरा उनका चेकअप करती हुं तुम तब तक आराम करो.” तभी उसे ममता भी दिखती है तो वह कहती है, “ और एक तिसरा पेशंट भी है जो बहोत होशियार है हमेशा मुझे उल्लू बनाकर भाग जाता है.” तभी ममता कहती है, “ गुडिया तिसरे पेशंट को खाना बनाना है इसलिये उसे रसोई में जाना है. अगर तिसरा पेशंट दवाखाने में रुक गया तो तुम्हारे डॉक्टर को भुखा रहना पडेगा.” तब झट से चिंकी बोली, “ नही मम्मी मुझे भूख लगी है कुछ खाने को दो.” और तभी सब हसते है. ममता के जाने के बाद चिंकी बुधिया के साथ बतीयाते हुये खेलने लगती है. चाची बेचारी जीस काम से आयी है उसके बारे में सोचती है और गुडिया के कमरे में इधर उधर घुमती है. तभी चाची कि नजर एक फोटो पर पडती है. अभी चाची कि उम्र भी हो चली है इसलिये वह धुंदली सी चीजो को साफ साफ नही देख पाती है. तो वह बुधिया को आवाज देती है, बुधिया चाची के पास जाकर बोलती है, “ क्या हुआ चाची, क्यो बुलाया मुझे.” तभी चाची बोलती है, “ बेटा उम्र के साथ मेरी नजर अब कुछ कमजोर सी होने लगी है, तो मै तुझे कुछ दिखाना चाहती हुं. वह देखकर तू मुझे बता.”
फिर बुधिया चाची से बोलती है, “ कौन सी चीज है जो तुम मुझे दिखाना चाहती हो और कहा है वह.” तब चाची बुधिया को शो केस में रखी हुई एक तस्वीर के तरफ इशारा करती है और कहती है, “ जरा देख तो वह तस्वीर किसकी है.” बुधिया जाती है और तस्वीर को पास से देखती है. तस्वीर को देखकर बुधिया को अपनी आंखो पर भरोसा नही होता है. बुधिया का चेहरा एकदम शून्य सा हो जाता है और वह एक जगह ठीठक जाती है. उधर चाची चिंकी के साथ बतीयाते हुये बुधिया का इंतजार कर रही है. बुधिया वही उस हि जगह एक बूत बनकर खडी है. तभी चिंकी उठती है और बुधिया के पास जाती है. तब बुधिया धीमे उदासभरे शब्दो में पुछती है, “ यह कोन है, चिंकी?” तब चिंकी झट से कहती है, “ मेरे पापा.” और तभी बुधिया वही बैठ जाती है. चिंकी अपने खेलने के मस्ती में वहा से चली जाती है लेकीन बुधिया वही नीचे सिर कर के बैठकर रोने लगती है. तभी चाची बुधिया के पास जाकर कहती है, “ क्या हुआ बेटी, ऐसे क्यो बैठी है.” बुधिया जब अपना सिर उठाती है तो चाची को बुधिया के आंख से आंसू निकलते दिखते है, तब चाची पुछती है, “ बेटी मिल गया क्या?” तभी बुधिया चोंककर पुछती है, “ क्या मिला चाची !” चाची कहती है, “ बेटा हम जो ढूढने आये थे वह नालायक रामदिन.”
जब चाची और बुधिया दोनो जान चुके थे कि, वह जिसे ढूढने आये थे यह घर उस रामदिन का हि है और ममता उसकी पत्नी और चिंकी उनकी बेटी है तो, बुधिया के पावतले से जमीन हि खिसक गयी थी. वह चाची कि छाती से लीपटकर रोते हुये कह रही थी, “ चाची रामदिन ने मेरा भरोसा तोडा है, मै जिस भरोसे के सहारे तनहा जीवन जी रही थी उस भरोसे को उसने चकनाचूर कर दिया. मुझे वहा गाव में लौटने कि आस देकर यहा अपना नया बसेरा बना लिया.” तब चाची बोली, “ बेटा यह दुनिया बहोत जालीम है, मै तुम्हे हरबार कहती आ रही हुं के मर्द वह अपना हो या पराया उसपर आंख मुंदकर भरोसा नही करते.” कहते हुये दोनो भी रोने लगती है.
शेष अगले भाग में ..............