Wo Maya he - 99 in Hindi Adventure Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | वो माया है.... - 99

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वो माया है.... - 99



(99)

ललित खबर रोज़ाना में छप रही पुष्कर की हत्या से संबंधित सारी रिपोर्ट्स पढ़ता था। खबर रोज़ाना में छपी रिपोर्ट में लकी ढाबे के मालिक और वहाँ काम करने वाले लड़के चेतन के बारे में छपा था। रिपोर्ट में लिखा था कि चेतन ने ही दिशा और पुष्कर की टेबल पर जाकर ऑर्डर लिया था। ललित को याद आया कि उसी लड़के ने उसका ऑर्डर भी लिया था। वह वहीं आसपास ही घूम रहा था। पुष्कर के निकलने के समय चेतना ने उसका बिल लिया था और उसे बाहर जाते देखा था। ललित के मन में डर आ गया कि कहीं चेतन उसके बारे में कुछ बता ना दे।
ललित ने अपना हुलिया पूरी तरह बदल लिया था। अपना सर मुड़ा लिया था। दाढ़ी मूंछें हटा दी थीं। नए हुलिए के साथ वह लकी ढाबे पर यह जानने के लिए गया कि क्या गतिविधि हो रही है। जब वह लकी ढाबे पर पहुँचा तो वहाँ पुलिस को देखा। उसे यकीन हो गया कि पुलिस चेतन से सवाल जवाब करने ही आई होगी। उसने वापस आकर सारी बात पुनीत को बताई। दोनों परेशान हो गए। सोचने लगे कि इस विषय में क्या किया जाए। पुनीत ने सुझाव दिया कि अगर चेतन खतरा बन रहा है तो उसे मार दो। उस पर नज़र रखो। जब वह ढाबे के बाहर निकले तो मौका देखकर किसी खुली जगह पर उसे मार दो। इस तरह तीसरा चरण भी पूरा हो जाएगा और रास्ते का कांटा भी निकल जाएगा। ललित को यह बात पसंद आई। उसने ढाबे पर नज़र रखना शुरू किया। उस बीच चेतन ढाबे के काम से बाहर निकला भी था। पर उसे सही मौका नहीं मिल पाया। ललित को लगा कि ढाबा बंद होने के बाद ही सही मौका मिल सकता है।
इंस्पेक्टर हरीश ने उसकी बात सुनकर सवाल किया,
"तुम्हें इस बात पर यकीन था कि ढाबा बंद होने के बाद चेतन अकेला निक‌लेगा और तुम उसे मार दोगे।"
ललित ने जवाब दिया,
"नहीं इस बात की कोई गारंटी नहीं थी। मैं तो बस एक चांस ले रहा था। अगर सफल ना होता तो कुछ और सोचता। पर उस वक्त शायद मेरी किस्मत ज़ोर मार रही थी। मुझे मौका मिल गया।"
ललित ने आगे बताया......
वह ढाबे के बंद होने के बाद वहाँ पहुँचा। सब जा चुके थे। ढाबे पर सन्नाटा था। उसे पता था कि ढाबे के एंट्रेंस पर सीसीटीवी कैमरा लगा है। इसलिए वह ऐसी जगह से अंदर गया जहाँ से कैमरे में ना आ सके। वह अंदर पहुँचा। उसे किचन से कुछ आवाजें आती सुनाई पड़ीं। उसने ध्यान से सुना। ढाबे का मालिक गुस्से में चेतन से कह रहा था कि मेरे मना करने पर भी तुम पुलिस से बात करना चाहते हो। तुम्हारी इतनी हिम्मत। यह कहकर वह चेतन को पीटने लगा। कुछ देर में वह पैर पटकते हुए वहाँ से निकला और एक टीन शेड कमरे में चला गया। ललित इस बात से परेशान हो गया कि चेतन पुलिस को कुछ बताना चाहता है। उसने सोचा कि दूसरे चरण को बाद में पूरा करेगा। पहले इसे यहीं मारकर अपने रास्ते का कांटा हटा दे। तभी उसने चेतन को बाहर निकलते देखा। वह आड़ में छिप गया। उसने सुना कि चेतन उस टीन शेड कमरे की तरफ देखकर कह रहा है कि मुझ पर बहुत जुल्म कर लिया। मैं पुलिस स्टेशन जा रहा हूँ। उन्हें सब बताकर तुम्हारी शिकायत करूँगा। यह कहकर वह ढाबे के बाहर निकल गया। ललित को लगा कि वह जो चाहता था वह हो गया। चेतन के निकलने के बाद वह उसी जगह से ढाबे से बाहर निकला जहाँ से घुसा था। अपनी मोटरसाइकिल के पास आकर उसने सोचा कि क्या करे। चेतन ने पुलिस स्टेशन जाने की बात कही थी। ललित जानता था कि पुलिस स्टेशन से कुछ पहले एक मैदान है। जहाँ चेतन को आसानी से मार सकता है। वह मोटरसाइकिल सवार होकर उस मैदान के पास पहुँच गया।
उस रात बहुत सर्दी थी। कोहरा बहुत अधिक था। थोड़ी देर बाद ललित ने देखा कि चेतन सामने से चला आ रहा है। उसकी पिटाई हुई थी। पर गुस्से ने उसके भीतर एक ताकत पैदा कर दी थी। वह तेज़ कदमों से चल रहा था। जब वह थोड़ा पास आया तो ललित ने उसे आवाज़ दी। चेतन कोहरे में इधर उधर देखने लगा। ललित पर नज़र पड़ी तो वह उसके पास आया। ललित तैयार था। उसने उसकी गर्दन पर वार करके बेहोश कर दिया। फिर उसे घसीट कर मैदान में बनी एक टूटी हुई दीवार के पीछे ले गया। मोटरसाइकिल से अपना हथियार निकाला। उससे चेतन की हत्या कर दी।
चेतन की हत्या की कहानी बताते हुए ललित रुका। उसने साइमन की तरफ देखकर कहा,
"मैंने सब सही तरह से किया था। मैं मोटरसाइकिल लेकर भागने लगा तभी मुझे लगा कि शायद वह थैला नीचे गिर गया है जिसमें हथियार और दस्ताने रखे थे। मैंने मोटरसाइकिल रोक दी। पर ना जाने कैसे इंजन बंद हो गया। मैंने पलट कर देखना चाहा। पर कुछ दिखा नहीं। ठीक उसी समय एक दूसरी मोटरसाइकिल की हेडलाइट मुझ पर पड़ी। मैंने हेलमेट पहना था। वह ढाबे का मालिक था। वह शायद मेरी शक्ल नहीं देख पाया था। वह बिना रुके आगे बढ़ गया। उसके जाने के बाद मैंने उतर कर देखा। थैला गिरना मेरा वहम था। मैंने मोटरसाइकिल स्टार्ट की और वहाँ से चला गया।"
सब इंस्पेक्टर कमाल ने कहा,
"उसने तुम्हारी शक्ल नहीं देखी थी। लेकिन तुम्हारी हेडलाइट के पास लगा खोपड़ी वाला स्टिकर देखा था। हमें वैसे ही स्टिकर लगी मोटरसाइकिल की तलाश थी। उसी तलाश में हमारे खबरी कुलभूषण को पुनीत की टेंपो पर भी वैसा ही स्टिकर दिखा। उसके सहारे वह तुम लोगों तक पहुँच गया।"
ललित ने पुनीत की तरफ देखा। दोनों कुछ नहीं बोले। इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,
"कमरे की दीवार पर भी खोपड़ी का चित्र बना था जो तुम लोगों ने मिटाने की कोशिश की थी। इस खोपड़ी का तुम्हारी आराधना से कोई खास संबंध था ?"
इस बात का जवाब पुनीत ने दिया। उसने कहा,
"दरअसल ललित ने सेकेंड हैंड मोटरसाइकिल ली थी। उस पर पहले से ही वह स्टिकर चिपका था। मुझे वह बहुत अच्छा लगा था। मैं कहीं भी आता जाता था तो अपने ऑटो से आता जाता था। एक ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म पर मुझे वैसा ही स्टिकर दिखा। मैंने मंगाकर अपने ऑटो पर चिपका लिया। वैसा ही चित्र मैंने मुराबंध की मूर्ति के पीछे दीवार पर बना दिया। दीवार पर जो चित्र था उसका मुराबंध की आराधना से सीधा संबंध नहीं था।"
कुछ पलों के लिए कमरे में शांति छाई रही। ललित और पुनीत जानते थे कि सबकुछ खत्म हो गया है। साइमन और उसके साथी जो सच सामने आया था उस पर विचार कर रहे थे। कुछ पलों के बाद साइमन ने कहा,
"तुम दोनों जिस समुदाय से हो वह प्रकृति पूजक है। समुदाय के लोग प्रकृति को ही देवताओं के रूप में पूजते हैं। प्रकृति ने जो कुछ भी दिया है उसके लिए आभार प्रकट करते हैं। पर तुम दोनों ने लालच में आकर अपने ही समाज की उस परंपरा को तोड़ दिया। जो था उसका आभार प्रकट करने की जगह लोगों की हत्या का पाप करने लगे।"
सब इंस्पेक्टर कमाल ने कहा,
"सर ने एकदम ठीक कहा है। तुम दोनों ने अंधविश्वा‌स के चलते लोगों को मारकर देवता की आराधना नहीं की बल्की पाप किया है। अपने स्वार्थ में तुम लोग इतना नीचे गिर गए।"
यह सारी बातें सुनकर पुनीत को अच्छा नहीं लगा। उसने गुस्से से कहा,
"वाह मैंने जो किया वह पाप था पर मेरे साथ जो हुआ क्या वह पाप नहीं था‌ ? बारह साल की उम्र में मैंने जो झेला उसने मुझे जीवन भर के लिए तोड़कर रख दिया। एक बच्चे के साथ वह हरकत करने वाला पापी नहीं था ?"
यह कहकर वह रोने लगा। इंस्पेक्टर हरीश ने उससे कहा कि वह उसके साथ जो गलत हुआ था बताए। पुनीत ने अपनी कहानी बताई। सब सुनने के बाद साइमन ने कहा,
"मैं मानता हूँ कि तुम्हारे साथ बहुत गलत हुआ था। पर जिसने भी तुम्हारे साथ गलत किया था उसके पाप की सज़ा तुमने उन लोगों को दी जिनकी कोई गलती नहीं थी। तुम्हें तो उन लोगों के बारे में कुछ पता नहीं था। हो सकता है कि वह भी तुम्हारी तरह किसी ज्यादती का शिकार रहे हों। लेकिन तुमने खुद भी उनके साथ ज्यादती कर दी।"
इंस्पेक्टर हरीश ने बात को आगे बढ़ाया,
"तुम लोगों को मारकर ताकतवर बनना चाहते थे। इस तरह से कोई ताकतवर नहीं बनता है। हम लोग मानते हैं कि उस समय तुम बच्चे थे। उस सबको सह पाना कठिन था। लेकिन अपने दुख से बाहर निकलने का तुमने जो रास्ता अपनाया वह हर लिहाज़ से गलत था। अब तुमको और तुम्हारे साथी को सज़ा भुगतनी पड़ेगी।"
ललित और पुनीत को उनकी सेल में भेज दिया गया। साइमन के चेहरे पर एक खुशी थी। वह एकबार फिर उस केस को सॉल्व करने में सफल हुआ था जिसके लिए उसे भेजा गया था। इंस्पेक्टर हरीश और सब इंस्पेक्टर कमाल ने उसे बधाई दी। साइमन ने उनसे कहा,
"केस को सॉल्व करने में तुम दोनों का भी सहयोग रहा है। उसके लिए तुम दोनों को भी बधाई। मीडिया जानना चाहती थी कि पुलिस क्या कर रही है। अब वक्त आ गया है उन्हें हमारी सफलता के बारे में बताने का।"
तीनों ने गले लगकर एक दूसरे को बधाई दी और अपनी सफलता का जश्न मनाया।
ललित और पुनीत के बयान रिकॉर्ड किए गए थे। उनसे उनके बयान पर दस्तखत लिए गए। पुलिस ने उनके विरुद्ध पिछली चार हत्याओं के साथ साथ पुष्कर और चेतन की हत्या की चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी शुरू कर दी।