Anokha Pitrurun - 1 in Hindi Fiction Stories by S Sinha books and stories PDF | अनोखा पितृऋण - 1

The Author
Featured Books
Categories
Share

अनोखा पितृऋण - 1

 

 
                                    कहानी - अनोखा पितृऋण

 
दयानिधि शहर के नामी कॉलेज में साइंस के प्रोफेसर थे .उम्र पचास  के आस पास रही होगी .उन्हें एक बार दिल का दौरा भी पड़ चुका था .प्रोफेसर साहब ने अपने घर से सटे एक कमरे और गुसलखाने का आउट हाउस बना रखा था जिसमें उनके ही गॉंव की एक गरीब  ईसाई विधवा औरत अपनी बेटी एलीना के साथ रहती थी .यूँ तो प्रोफेसर स्वयं उच्च जाति के थे पर वे काफी उदार और आधुनिक विचारों वाले व्यक्ति थे . दोनों  माँ बेटी मिल कर उनके घर का काम कर दिया करती थीं . एलीना खाना बनाया करती थी और माँ साफ़ सफाई कर देती थी .एलीना भी उनके कॉलेज में  ग्रेजुएशन  कर रही  थी. प्रोफेसर भी दोनों की जरूरतों का पूरा ध्यान रखते  .शहर के प्रतिष्ठित व्यक्तियों में उनका भी नाम था .

वैसे प्रोफेसर की जिंदगी अच्छी खासी खुशहाल थी . उन्हें कमी थी तो एक संतान की  . उनके समय सैरोगेट मदर या IVF जैसी आधुनिक सुविधाएं मौजूद नहीं थी  . उनकी पत्नी  किसी बीमारी के चलते माँ बनने में असमर्थ थी  .प्रोफेसर और उनकी पत्नी ने एक बच्चे को गोद लिया   . उस समय बच्चे की आयु एक साल की रही होगी  . वह एक गरीब विधवा का बच्चा था  जिसका पति एक दुर्घटना में मर चुका था . पति की मौत के बाद विधवा भी बहुत गंभीर बीमारी से त्रस्त थी  . अब  प्रोफेसर के परिवार में उनकी पत्नी  नंदा और एकलौता गोद  लिया बेटा  मोहन थे  . समय के साथ मोहन भी बड़ा होता गया  . उसे अपने असली माता पिता के बारे में कुछ भी पता नहीं था  . प्रोफेसर दम्पत्ति ने भी इस बारे में उसे कुछ बताना जरूरी  नहीं समझा  . एलीना या उसकी माँ को भी मोहन के बारे में कुछ पता नहीं था   . जब  वह प्रोफेसर के यहाँ आयी तब मोहन दो साल का  था  . अब मोहन  की उम्र भी बाईस  के लगभग होगी .वह  एम . एस.सी फाइनल में पढ़ रहा था . 

   इधर कुछ माह पूर्व प्रोफेसर  की पत्नी  को लकवा मार गया था .प्रोफेसर अपनी पत्नी को बेहद प्यार करते थे .उन्होंने पत्नी  के इलाज में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी  .नंदा की हालत में कुछ सुधार भी हुआ .अब वो छड़ी के सहारे थोड़ा चल सकती थी   .फिर भी उसके हाथ पांव में थोड़ी कम्पन तो रह गयी थी .बोली भी साफ़ नहीं थी , उसके  कुछ लड़खड़ाते शब्दों से किसी तरह उसकी  बातों  का अंदाज़ प्रोफेसर और उनका बेटा लगा लेते थे .

अब  एलीना की जिम्मेदारी बढ़ गयी थी . प्रोफेसर के खाने पीने  और बिस्तर ठीक करना भी एलीना के जिम्मे था .वैसे तो प्रोफेसर शराब के शौक़ीन नहीं थे ,बस कभी कभी  किसी खास मौके पर दोस्तों की जिद पर घर से बाहर  एक  दो पेग ले लेते थे .पर इस से ज्यादा कभी नहीं और ना ही कभी उन्होंने नशे में अपना संयम खोया था .इधर एलीना का घर में आना बढ़ गया था . प्रोफेसर साहब इन दिनों घर में खास कर छुट्टी के दिनों में  एक दो पेग लेने लगे थे.

इधर  एलीना की माँ भी कुछ  दिनों से  बीमार चल   रही  थी . पहले तो  कुछ दिनों तक घर पर  ही डॉक्टर  आ कर देख जाता था ,पर कुछ भी फायदा नहीं हो  रहा  था बल्कि  उसकी हालत बिगड़ती  जा रही थी .डॉक्टर की सलाह पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया पर कुछ दिनों बाद उसकी मौत हो गयी .एलीना बिलकुल टूट चुकी थी .उसकी माँ ही उसकी जिंदगी का एकमात्र सहारा थी ,वह भी अब नहीं रही . प्रोफेसर की पत्नी  ठीक  से बोल नहीं पाती थी .बस उसे पास बुला कर नम आँखों से पीठ थपथपा कर सांत्वना दे रही थी .प्रोफेसर ने भी उसके सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा " एलीना तू घबराना नहीं .तेरी माँ की कमी तो हम पूरी  नहीं कर सकते हैं , पर तू अब हमारी जिम्मेदारी है .तू बस पढ़ाई  पूरी कर ले ,हम तुम्हारी शादी अच्छे लड़के से कर देंगे ."

प्रोफेसर का लड़का मोहन भी पास में ही खड़ा था .वह एम .एस सी. की पढाई पूरी कर चुका था और कुछ ही दिनों में नौकरी मिलने  की पूरी संभावना थी .मोहन भी एलीना की ओर देखते हुए बोला " तुम्हें चिंता करने की कोई बात नहीं है ,हम सब तुम्हारे साथ हैं ."

 खैर धीरे धीरे घर का माहौल सामान्य होने लगा थ. एलीना भी पहले की तरह अपने घर के काम के साथ पढाई में ज्यादा ध्यान देने लगी थी .तभी एक भयानक रात उसकी ज़िन्दगी में आई जिसकी किसी ने कल्पना भी न की थी .घनघोर अँधेरी रात , आँधी और बरसात की रात थी .प्रोफेसर साहब ने न जाने क्यों आज कुछ ज्यादा पी रखी थी .एलीना रोज की तरह रात का खाना ले कर उनके कमरे में घुसी ही थी कि  बिजली चली गयी .चारो ओर घनघोर अँधेरा था .बीच बीच में बिजली चमक जाती तो कुछ रौशनी कमरे में आ जाती  .ऐसे ही एक पल में उनकी नज़र एलीना पर पड़ी .यद्यपि एलीना का रंग साँवला था पर उसका  चेहरा काफी आकर्षक था .      

  प्रोफेसर ने पूछा " कौन ? एलीना ? "

  "जी ,सर .मैं ही हूँ .आपका खाना लायी हूँ ."  एलीना प्रोफेसर को " सर " कहा करती थी और उनकी पत्नी को आंटी .

फिर खाने को टेबल पर रख कर बोली , " मैं मोमबत्ती और पानी ले कर आ रही  हूँ ."

इतना कह कर वह कमरे से बाहर चली गयी .कुछ पल बाद वह पानी और मोमबत्ती लेकर कमरे में लौटी .मोमबत्ती को टेबल के एक कोने में रखा .मोमबत्ती की रौशनी में प्रोफेसर ने  एक  नज़र एलीना पर डाली तो उन्हें लगा उस रौशनी में एलीना के चेहरे पर सोने सी चमक लगी तभी हवा के झोंके से मोमबत्ती बुझ  गयी  और प्रोफेसर के हाथ से लग कर पानी का गिलास नीचे गिर पड़ा  . एलीना उसे उठाने के लिए बढ़ी पर पाँव फिसलने से सीधे प्रोफेसर की गोद में जा गिरी  . उसे गोद में लिए  वे उसके आकर्षक चेहरे को देखते रहे  . .उनके मन में एक अजब सी  हलचल हुई और  वे उसके बालों को बड़े प्यार से सहलाने लगे  . 

एलीना धीरे से बालों को छुड़ाते हुए बोली ," सर ,मैं खाना लगा देती हूँ , आप खाना खा लें. मुझे और भी काम करने हैं ."

पर प्रोफेसर आज नशे का गुलाम बन चुके थे और जो नशे का हुक्म था वही अदा कर रहे थे. एलीना ने उनकी गोद से उठने का प्रयास किया  पर उन्होंने एलीना को धीरे से खींच कर पास बिठा लिया .शुरू में तो एलीना ने छुड़ाने की भरपूर कोशिश की और कहा " सर ,प्लीज मुझे जाने दें , अभी बहुत काम पड़ा है ".

 पर प्रोफेसर तो उसके और करीब होते गए  और धीरे धीरे उसके चेहरे को सहलाते हुए उसे अपने आगोश में ले लिया और एलीना को बाँहों में कस कर जकड़ लिया  . अब वो उसको चूमने भी लगे थे . एलीना छटपटा कर रह गयी  . उसे लगा जैसे पूरे शरीर में बिजली दौड़ रही थी  और मजबूरन वह खुद को चाहे अनचाहे समर्पित करने   पर मजबूर  थी  . इसके बाद जो नहीं होना चाहिए था वो हो ही गया .

 उस रात जब तक दोनों सहज हुए बहुत देर हो चुकी थी . प्रोफेसर को भी बहुत ग्लानि  हो रही थी . उनका मिस्टर क्लीन इमेज मलिन हो चुका  था .

अगले दिन एलीना ने मन की ग्लानि को छुपाते हुए अपने व्यवहार को दिन भर  रोज की तरह ही रखा .पर प्रोफेसर को खाना देते समय उनसे नज़रें चुराए हुए थी .खाना लगा कर चुपचाप कमरे से बाहर चली गयी  और प्रोफेसर साहब भी कुछ नहीं बोल सके  .रोज रात को सोने से पहले वह प्रोफेसर की पत्नी  को मालिश किया करती थी .आज मालिश करते समय उसकी आँखों से आँसूं की कुछ बूँदें नंदा के पैर पर जा टपके. नंदा को कुछ पता नहीं था , कुछ इशारों व कुछ अपनी लडखडाती जुबान से वह बोली जिसका मतलब था " एलीना , तू रो क्यों रही है ? माँ की याद आ रही है .बोल न तुझे क्या तकलीफ है या अगर कुछ चाहिए तो निःसंकोच बोल . हमलोग हैं न ."

 


क्रमशः