Wo Maya he - 98 in Hindi Adventure Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | वो माया है.... - 98

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वो माया है.... - 98



(98)

इंस्पेक्टर हरीश ने सब इंस्पेक्टर कमाल को समझाया कि वह पुलिस में है। अभी उसने शुरूआत‌ की है। अभी ऐसे ना जाने कितने केस उसके सामने आएंगे। उसके लिए आवश्यक है कि अपनी भावनाओं पर काबू रखे। तभी वह सही तरीके से काम कर पाएगा। वह समझाकर उसे कमरे में ले गया। जब दोनों कमरे में आए तो सब शांत थे। ललित अपने सामने रखी बोतल से पानी पी रहा था।
जब इंस्पेक्टर हरीश और सब इंस्पेक्टर कमाल कमरे में आए तो साइमन ने उन दोनों की तरफ देखा पर कुछ कहा नहीं। दोनों वापस अपनी जगह पर बैठ गए। ललित के पानी पीने के बाद पुनीत ने भी उसी बोतल से पानी पिया। उन दोनों ने चार हत्याओं की ज़िम्मेदारी ले ली थी। अब पुष्कर और चेतन की हत्या के केस पर से पर्दा हटना था। यह तो तय था कि उन दोनों की हत्या में भी ललित और पुनीत का हाथ था। साइमन अब उनके मुंह से सुनना चाहता था। उसने ललित से कहा,
"तुम दोनों ने दो चरण पूरे कर लिए थे। अब तीसरा चरण होना था। इस बार ज़िम्मेदारी किसने ली ?"
जवाब पुनीत ने दिया। उसने कहा,
"पहला चरण ललित ने पूरा किया था। उससे हिम्मत पाकर दूसरा चरण मैंने किया। जब तीसरे चरण की बारी आई तो हमने तय किया कि उसी क्रम में चलेंगे। तीसरा चरण ललित और चौथा मैं पूरा करूँगा।"
यह कहकर पुनीत ने ललित की तरफ देखा। ललित ने कहा,
"हाँ... तीसरे चरण की ज़िम्मेदारी मैंने ली। पहले ढाबे के सामने वाले मैदान में एक हत्या की। दूसरी शाहखुर्द पुलिस स्टेशन से कुछ पहले एक मैदान में।"
ललित ने हत्या करने की बात कुबूल कर ली थी। साइमन ने और स्पष्ट करने के लिए कहा,
"लकी ढाबे के सामने वाले मैदान में पुष्कर की और दूसरी चेतन की।"
"मुझे कत्ल के समय नाम नहीं पता था। मीडिया रिपोर्ट्स से बाद में पता चला कि उसका नाम पुष्कर था। मीडिया से ही चेतन का नाम पता चला था।"
सब इंस्पेक्टर कमाल ने कहा,
"अजीब बात है तुम्हें उनके नाम भी नहीं पता थे। फिर भी उनकी हत्या कर दी।"
ललित ने कहा,
"हम दोनों तो अपने किसी भी शिकार के बारे में नहीं जानते थे। हमने किसी व्यक्तिगत दुश्मनी में उनकी हत्या नहीं की। हम तो अपने मकसद के लिए ऐसा कर रहे थे।"
यह सुनकर सब इंस्पेक्टर कमाल उत्तेजित हो गया। गुस्से में बोला,
"लोगों की जान लेकर अपने देवता का वरदान प्राप्त करना तुम्हारा मकसद था। तुम दोनों को यकीन है कि ऐसा करने से देवता प्रसन्न होकर वरदान दे देते।"
पुनीत ने कहा,
"हाँ हमें पूरा विश्वास है। अगर हम चौथा चरण पूरा कर पाते तो कोई हम पर हाथ रखने के लायक भी ना रहता। मुराबंध हमें हर तरह से ताकतवर बना देते।"
सब इंस्पेक्टर कमाल यह जवाब सुनकर और भड़क गया था। साइमन ने बात संभालते हुए कहा,
"कमाल हमें अपनी पूछताछ आगे बढ़ानी है। तुम चाहो तो कुछ देर बाहर घूमकर आ सकते हो।"
सब इंस्पेक्टर कमाल उसका इशारा समझ गया। वह शांत होकर बैठ गया। साइमन ने ललित से कहा,
"अब तीसरे चरण में क्या हुआ विस्तार से बताओ।"
साइमन के सवाल का जवाब देते हुए ललित ने कहानी आगे बढ़ाई।
दूसरे चरण के बाद उन दोनों ने मुराबंध की मूर्ति बनाकर उसकी आराधना पूरी कर ली थी। अब तीसरे चरण की बारी थी। पहले दो चरण अच्छी तरह से बीते थे। पर सुनने में आया कि पुलिस उन हत्याओं की तफ्तीश कर रही है। ललित ने सोचा कि इस बार थोड़ा रुक जाते हैं। मामला शांत पड़ने पर तीसरा चरण शुरू करेंगे। दोनों राजीगंज के मकान में कुछ समय बीत जाने का इंतज़ार करने लगे। बरसात का मौसम था। राजीगंज के मकान का एक हिस्सा पहले ही गिर चुका था। दूसरे हिस्से के गिरने की भी संभावना बढ़ गई थी। अभी अगले चरण की प्लानिंग नहीं हो पाई थी। ललित हुसैनपुर के अपने मकान में चला गया। पुनीत ने कहा कि वह कुछ दिन अपने घर बिताकर उसके पास हुसैनपुर आ जाएगा। हुसैनपुर आने के बाद ललित ने अगले चरण की प्लानिंग शुरू कर दी। वह हुसैनपुर और आसपास के क्षेत्रों में घूमकर तीसरे चरण के लिए सही जगह तलाश कर रहा था।‌ उसे अपने तीसरे चरण के लिए शाहखुर्द‌ को चुना।
पिछली हत्याओं में पुलिस ने कुछ जांच करने के बाद केस बंद कर दिए थे। ललित को लगा कि अब तीसरा चरण शुरू करने का सही मौका है। उसने पुनीत को फोन पर खबर दी कि अब तीसरा चरण शुरू करना है। पुनीत ने कहा कि वह जल्दी ही आ रहा है। पर उस बीच उसकी तबीयत बिगड़ गई तो उसने कुछ और रुकने को कहा। ललित ने सोचा कुछ और इंतज़ार कर लेता है। पर पुनीत की तबीयत जल्दी ठीक नहीं हो रही थी। ललित अब ऊबने लगा था। उसने सोचा कि तीसरे चरण की ज़िम्मेदारी उसकी ही है। इसलिए क्यों ना वह अकेले ही शुरुआत कर दे। उसने ऐसा ही करने का निश्चय किया। लकी ढाबे के सामने मैदान में पुष्कर की हत्या कर दी।
साइमन के मन में पुष्कर की हत्या से संबंधित कुछ सवाल थे। आगे बढ़ने से पहले उसने पूछा,
"पहले दो चरणों में हत्या के स्थान बहुत एकांत थे। पर पुष्कर की हत्या के लिए तुमने लकी ढाबे के सामने वाले मैदान को चुना। वहाँ तो भीड़ थी। हत्या भी तुमने दिन के समय की थी।"
ललित ने उसके प्रश्न का जवाब देते हुए कहा,
"मैंने शाहखुर्द को तीसरे चरण के लिए चुना था। मैं अक्सर अपना गेटअप कुछ बदल कर शाहखुर्द में घूमकर यह देखता रहता था कि कोई मौका हाथ लग जाए। उसी दौरान एक दिन मैं लकी ढाबे के पास वाले मैदान का मुआयना करने पहुँचा था। मैं मैदान से बाहर आ रहा था तब वहाँ मैंने दो लोगों को किसी की हत्या की साज़िश की बात करते हुए सुना। मुझे इतना समझ आया कि वह दोनों ढाबे से आगे जाकर किसी आदमी की हत्या करने वाले हैं। उनमें से एक आदमी अपनी मोटरसाइकिल के पास खड़ा रहा। दूसरा ढाबे के पास खड़ी टैक्सी में जाकर बैठ गया। मैं लकी ढाबे पर पहुँचा। कुछ देर बाद मोटरसाइकिल वाला आदमी ढाबे पर आया। वह चाय पीते हुए वहाँ बैठे एक जोड़े को ताक रहा था। मैं समझ गया कि दोनों उस आदमी की ही बात कर रहे थे। वह पुष्कर था। चाय पीने के बाद वह आदमी चला गया। कुछ देर बाद मैंने देखा कि पुष्कर अकेले ढाबे से निकल गया। मैं भी बाहर आया। मैंने देखा कि वह टैक्सी के पास खड़ा कुछ कर रहा है। मेरी बाइक मैदान में खड़ी थी। मैं वहाँ पहुँचा। चलने की सोच रहा था तभी झाड़ियों के पास मुझे पुष्कर दिखा। शायद पेशाब कर रहा था। उसी समय मन में एक विचार कौंधा। इस आदमी को मारने के लिए कोई पीछे लगा है। यदि मैं इसे मार दूँ तो सारा शक उस पर जाएगा जो इसका पीछा कर रहा था। मेरा काम भी हो जाएगा। मैं दबे पांव पुष्कर के पास गया। उसकी गर्दन पर वार करके उसे बेहोश कर दिया। उसे खींचकर पास लगे पेड़ के पीछे ले गया। बाइक की डिक्की से हथियार निकाल कर उसकी हत्या कर दी। उसके बाद बाइक पर बैठकर मैदान के दूसरी तरफ से निकल गया।"
ललित ने पहले सवाल का जवाब तो दे दिया था। उसने बताया था कि वह बाइक पर था। लेकिन मैदान में मिले टायर के निशान उसकी मोटरसाइकिल के टायर के निशान से मैच नहीं हुए थे। साइमन ने उससे कहा,
"हमने तुम्हारे घर पर रखी मोटरसाइकिल के टायर के निशान को मैदान में मिले टायर के निशान से मिलाया था। पर दोनों मैच नहीं हुए। ऐसा क्यों ?"
"क्योंकी वह दूसरी बाइक थी। पुष्कर की हत्या के कुछ दिन बाद मैंने उसे बेचकर नई बाइक ले ली थी।"
साइमन के मन में अब हथियार को लेकर सवाल था। उसने पूछा,
"तुमने हत्या के लिए अजीब से पंजेनुमा हथियार का इस्तेमाल किया था। वह कहाँ से लिया ?"
"मैंने एक अंग्रेजी फिल्म में एक चरित्र का धारदार पंजा देखा था। मुझे बहुत आकर्षक लगा था। मैंने एक हथियार की दुकान में उसी तरह का पंजेनुमा धारदार हथियार देखा। उसे यह सोचकर खरीद लिया कि इस बार उसका ही इस्तेमाल करूँगा। मैंने उसका ही इस्तेमाल किया था।"
पुष्कर की हत्या का कारण तो साफ हो गया था। अब चेतन की हत्या के बारे में जानने का समय था। साइमन ने उससे कहा कि वह अब चेतन की हत्या के बारे में बताए। ललित ने आगे की कहानी बताई।

पुष्कर की हत्या करके ललित शाहखुर्द से सीधे अपने घर हुसैनपुर चला गया। वह हत्या के इरादे से गया नहीं था। पर फिर भी बड़ी सफाई से उसने अपना काम कर दिया था। वह खुश था कि तीसरे चरण का आधा काम पूरा हो गया। उसने पुनीत को इस बात की जानकारी दी तो उसने बताया कि वह अपने ऑटो से वहीं आ रहा था। उस समय रास्ते में है। पुनीत के आने पर ललित ने उसे सारी बात विस्तार से बताई। सब सुनकर पुनीत ने कहा कि तुमने हत्या तो कर दी पर अब थोड़ा संभलना पड़ेगा। यह हत्या दिन के समय ऐसे इलाके में हुई है जहाँ लोगों का आना‌ जाना था। ऐसा ना हो किसी ने तुम्हें देख लिया हो। इसलिए सावधान हो जाओ। मीडिया पर नज़र रखो।
ललित को उसकी बात सही लगी। उसने सबसे पहले यह सोचकर कि उसकी बाइक किसी ने देख ना ली हो उसे बेच दिया। उसके बाद एक नई बाइक ली। वह शाहखुर्द में हुई हत्या की खबर पर नज़र रखने लगा। खासकर खबर रोज़ाना में छपी रिपोर्ट को ध्यान से पढ़ता था।