The Author Devaki Ďěvjěěţ Singh Follow Current Read ऐसे बरसे सावन - 24 By Devaki Ďěvjěěţ Singh Hindi Love Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books THE MIRROR KEEPER The village library stood like a quiet guardian in the heart... Predicament of a Girl - 13 Predicament of a Girl A romantic and sentimental thriller Ko... HAPPINESS - 104 Keep erasing hatred from hearts in the universe. Keep... Love at First Slight - 28 The Grand Event at Marina Bay SandsThe night was alive with... The Village Girl and Marriage - 2 Diya had only seen the world of books; she had not witnessed... 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मेरे रूम में ही कहीं रखा होगा l अधीरा - लाओ फिर दिखाओ अभिराम - प्लीज ,अभी मैं ज़रा जल्दी में हूँ.... ऑफिस से आकर ढूंढ़कर दिखाता हूँ ....ऐसा वह अधीरा से कह तो देता है....पर उसे जरा भी ध्यान नहीं है कि उससे ब्रेसलेट गुम हो गया l शाम में ऑफिस से आकर वह ब्रेसलेट ढूंढता हैं पर उसे नहीं मिलता....जहां जहां उसे उम्मीद थी उन सभी जगह पर ढूंढता हैं पर उसे नहीं मिलता l अधीरा - क्या भाई , आपको मैंने गिफ्ट देने से पहले ही कहा था इसे बहुत सम्भाल कर रखना पर आपने उसे गुम कर दिया l अभिराम - अरे नहीं चिम्पो, यहीं कहीं होगा मैं उसे ढूंढता हूँ.... बस तू अपने हाथों की स्पेशल वाली कॉफी पीला दे.... फिर देख मेरा दिमाग कंप्युटर सा दौड़ेगा और मैं चुटकी में ब्रेसलेट ढूंढता हूँ l अधीरा - कॉफी लाकर भाई को देती हैं अभिराम - कॉफी का सीप लेते हुए बड़बड़ाता है ....न्यू ईयर के दिन जब ऑफिस गया था तब सुबह सुबह उसे पहनना भूल गया था.... फिर रात को पार्टी में जा रहा था तब जल्दबाजी में मेरे हाथ से पर्फ्यूम की बोतल गिर गयी थी तभी मेरी नज़र ब्रेसलेट पर पड़ी.... फिर मैंने उसी वक़्त उसे पहन लिया था .... उसके बाद पार्टी से लौटने के बाद मैंने ड्रेस चेंज किया था वाॅलेट को ड्रॉ में रखा,, पर ब्रेसलेट आदतन हमेशा वाॅलेट के साथ उतार कर रखता था पर उस दिन नहीं रखा था....इसका मतलब न्यू ईयर वाले दिन ही उससे कहीं खो गया क्योंकि उस दिन के बाद से ही उसने नहीं देखा l अधीरा - क्या भाई क्या बड़बड़ा रहे हो....बताओं कहां हैं ब्रेसलेट अब तो आपने कॉफी भी पी ली l अभिराम - सॉरी अधीरा, लगता है मुझसे न्यू ईयर वाले दिन ही कहीं खो गया l अधीरा - क्याss, साल का पहला दिन और आपने मेरा गिफ्ट गुम कर दिया मैंने कितने प्यार से आपके लिए उसे ऑर्डर देकर बनवाया था आपको तो मेरी दी हुई चीज़ की कोई फिक्र ही नहीं है और भाई से गुस्सा होती है l अभिराम - सॉरी अधीरा, जान बूझकर नहीं किया, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो l माँ - माफ़ कर दो बेटा, उसने कोई जानबूझकर थोड़ी न किया हैं l अधीरा - ठीक है माँ, सिर्फ आप कह रही हो इसलिए लेकिन मेरी एक शर्त है l अभिराम - मुझे तुम्हारी हर शर्त मंजूर हैं l अधीरा - आपको मुर्गा बनना पड़ेगा l अभिराम - क्याsss ये कैसी बकवास शर्त हैं.... मैं इसे नहीं मानता ....हम बॉर्डर पर दुश्मनों की बैंड बजाते हैं.....और तू यहाँ छोटी सी चीज के लिए मेरी बैंड बजाने पर तुली हैं l अधीरा - देख लो भाई....आपने प्रॉमिस किया है और वो क्या सिर्फ़ छोटी सी चीज़ थी....लेकिन उससे जुड़ी मेरी भावनाएं नहीं दिखाई दे रही आपको ....ऐसा बोलकर.....वह और ज्यादा गुस्सा हो जाती हैं l अभिराम को अधीरा को इस तरह गुस्से में देखकर बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था तो उसका मूड ठीक करने के लिए कहता है - "दो पल की हैं जिंदगी थोड़ा हंस लो थोड़ा मुस्कुरा लो क्या पता कल दिखाने के लिए हमारे आगे के 2 दांत हो न हो " "चिम्पो की तरह " उसकी बातें सुनकर घर के सब लोग हंसने लगते हैं और फिर अधीरा भी हंसने लगती हैं और कहती हैं देखो मेरे आगे के दोनों दांत सलामत हैं l अधीरा का मूड ठीक देखकर अभिराम कहता है मेरे पास तुम्हारे लिए एक ऑफर हैं.... मुझे मुर्गा बनना देखना चाहती हो या एक नया " एडवेंचर एंड फन प्लाजा" खुला हैं वहां पर चलोगी ?? To be continued...... ‹ Previous Chapterऐसे बरसे सावन - 23 › Next Chapter ऐसे बरसे सावन - 25 Download Our App