Aise Barse Sawan - 17 in Hindi Love Stories by Devaki Ďěvjěěţ Singh books and stories PDF | ऐसे बरसे सावन - 17

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ऐसे बरसे सावन - 17

अभिराम - ओह गॉड , 6 :45 हो गए , फिर झुंझलाहट में....माँ आपने हमें उठाया क्यों नहीं ?

अब आगे -

माँ - मैं तो आपको एक घंटे से उठा उठा कर थक चुकी पर आप हैं की उठने का नाम ही नहीं ले रहे थे इसलिए मजबूरन अधीरा को भेजना प़डा आपको उठाने के लिए l

माँ की बातें सुनकर अधीरा भी हँसने लगती है उसे हँसता देख

अभिराम - चिंपू , तुझे तो मैं बाद में देख लूँगा

अधीरा - हाँ भाई, पहले घड़ी देख लो फिर मुझे भी देख लेना l


अभिराम - फिर घड़ी देखते हुए टाॅवल लेकर तेजी से बाथरूम की तरफ भागता है फिर जल्दी जल्दी ब्रश ,शेविंग करता हैं फिर फटाफट नहा कर निकलता हैं और अपने रूम में जाकर फटाफट तैयार होता है क्योंकि उसे ठीक 7:30 बजे योगा ग्राउंड में पहुँचना है l

देरी से उठने के कारण उसके पास पर्याप्त समय नहीं है कि वह सपने के अभिराम की तरह तैयार होकर स्वरा से मिलने जाये l

वह 7: 15 बजे तक तैयार होकर हॉल में आता है देखता है उसके माता-पिता तैयार होकर वहीं बैठे हैं उनसे वह गाड़ी में चलकर बैठने के लिए कहता है और अधीरा को आवाज़ देता है l

अभिराम चिल्लाते और झुंझलाते हुए - अधीराssss जल्दी चलो 7: 30 पर हमें वहां पहुंच जाना हैं l

अधीरा - हाँ भाई , बस आ ही रही हूँ ..... रूम से बाहर आकर....क्या भाई , कितना शोर मचा रखा है .....आपको उठाने के चक्कर में मैं लेट हुई और ऊपर से आप मुझ पर ही चिल्ला रहे हैं ये बिल्कुल भी ठीक नहीं है l

अभिराम को अपनी गलती का ऐहसास होता है फिर कहता है , सॉरी बहना ..... चल जल्दी चल अभी लेट हो रहा है..... ऐसा कर तू मुझे बाद में डांट लेना l

अधीरा - हाँ, यह ठीक है

फिर दोनों भाई बहन दरवाज़ा लॉक कर के घर से बाहर निकलते हैं ..... अभिराम ड्राइविंग सीट पर बैठता है और अधीरा मां के साथ पीछे वालीं सीट पर बैठती हैं l

अभिराम की मां - हमें कार में बिठाकर क्या कर रहे थे तुम दोनों इतनी देर अंदर ?

अभिराम - (समय की कमी और नजाकत समझते हुए ) वो कुछ नहीं माँ ताला ढूंढ रहा था ( वह जानता था अगर उसने अधीरा का नाम लिया तो वह फिर से लड़ने लगेगी....इसलिए बहाना बनाकर टाल देता है )l

पीछे सीट पर बैठी अधीरा उसकी बातों को सुनकर मुस्करा रही है जिसे वो आईने में साफ़ साफ़ देख रहा है l

अभिराम की माँ - अच्छा, अब जल्दी गाड़ी स्टार्ट करो और चलो देर हो रही हैं l

अभिराम की माँ को योगा करके बहुत अच्छा लगा था इसलिए वे योग के लिए बहुत ही उत्साहित हैं और समय पर पहुंचकर सबसे आगे की जगह को अपने लिए रोकना चाहती हैं l

वे सभी समय से वहाँ पहुँच जाते हैं l

सभी लोग पार्किंग एरिया में अपनी गाड़ी पार्क कर मैदान की तरफ बढ़ रहे हैं l

अभिराम भी अपनी गाड़ी पार्क कर अपने माता-पिता से ग्राउंड की तरफ जाने के लिए कहता है और खुद, फोन पर बात करने के बहाने वहीं पार्किंग एरिया से हटकर थोड़ा दूर खड़ा हो जाता है और स्वरा का इंतजार करने लगता है l

स्वरा की टीम ठीक 8:50 बजे आर्मी की छावनी गेट पर पहुंच चुकी थी आज बिना किसी तामझाम के उन्हें आसानी से गेट के अंदर प्रवेश मिल जाता है फिर गेट से उनकी गाड़ी पार्किंग एरिया की तरफ बढ़ती हैं l

ड्राइवर बस को पार्किंग एरिया में खड़ी कर देता है l बस के खड़े होते ही निखिल और स्वरा की टीम धीरे-धीरे बस से उतरकर योग मैदान की तरफ बढ़ने लगती हैं l

स्वरा को बस से उतरता देख अभिराम सुबह वाले मनोहारी सपने में खो जाता है और अपने आप मे ही मुस्कराते रहता है , वह अपने मधुर सपने के ख्यालों में खोया ही रहता है और स्वरा उसके सामने से निकल जाती हैं और उसे पता ही नहीं चलता l

तभी उसके फोन पर कॉल आता हैं जिससे उसका ध्यान भंग होता है और ख्यालों की दुनिया से बाहर निकलता है देखता है स्वरा तो ग्राउंड में पहुंच चुकी हैं l

उसे अपने दिल के हाल पर तरश आता है और अपनी बेवकूफी पर मुस्कुराता हैं और मन ही मन कहता है -
" दिल का हाल बेहाल हैं
सामने महबूबा हैं
इजहार ए मोहब्बत सिर्फ ख्याल में हैं "

और मुस्कराते हुए तेजी से ग्राउंड की तरफ बढ़ता है
जहाँ पर उसका मित्र स्वास्तिक उसका इंतजार कर रहा है l

स्वास्तिक - क्यों अभी , तू मेरा फोन क्यों नहीं उठा रहा था ?

अभिराम - वो मैं आ ही रहा था, इसलिए तेरा कॉल नहीं उठाया l

स्वस्तिक उसके जबाब से संतुष्ट नहीं था, उसे तो कुछ और ही लग रहा है इसलिए वो उसे अजीब नज़रों से देखता है पर कुछ कह नहीं पाता क्योंकि
सबलोग अपना स्थान ग्रहण कर चुके हैं और योग भी शुरू हो गया है l

आज स्वरा की जगह निखिल ने प्रोग्राम शुरू किया
और उनके दो साथी मानस और पलास सभी को योग करके दिखा रहे हैं जिसका सभी को अनुसरण करना हैं l

आज स्वरा को मंच पर न देखकर अभिराम अपनी चोर नजरो से ढूंढने का प्रयास करता हैं पर जैसे ही पीछे मुड़ता हैं देखता हैं स्वास्तिक उसे ही घूर रहा है l

स्वास्तिक - अपनी भौहें उचकाकर इशारों से उससे पूछता है , क्या हुआ ?

अभिराम - इशारे से अपनी मुंडी कुछ नहीं हुआ की मुद्रा में हिलाता हैं और बनावटी हंसी दिखाता है l
वह स्वास्तिक को देखकर समझ गया था की आज उसकी निगाहें उसी पर टिकी है इसलिए मन मार कर सीधा बैठ जाता है पर अंदर ही अंदर थोड़ा उदास हो जाता है l

आज स्वरा आई हैं इस बात का तो पता हैं इसलिए थोड़ी संतुष्टि हैं पर वह कहां हैं दिखाई क्यों नहीं दे रही हैं पीछे दूर तक लंबी लाइन हैं पर वह पीछे मुड़कर नहीं देख सकता क्योंकि उसके पीछे ही उसका दोस्त स्वास्तिक बैठा था जिसने मानो उसी पर अपनी नजरें टीका रखी हो अगर वह इधर-उधर अपनी गर्दन घुमा कर स्वरा को खोजता हैं तो उसे स्वास्तिक के सवालों का जबाब देना पड़ेगा जो वह अभी बिल्कुल भी नहीं चाहता है l

अभिराम स्वरा से दिल की बात कह पाएगा और यह स्वरा कहां गयी जानने के लिए पढ़ते रहिए

"ऐसे बरसे सावन "
llजय श्री राधे कृष्णा ll